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Amar Singh
♨♨♨♨ दिखा कभी अब तक नहीं, कहते जिसको नाथ। कैसे कह दूँ मैं भला,उसको दीना नाथ।। ********************************" दुःख में साथ दिया नहि,सुख में रहा न साथ। ऐसे पाहन को कहे, देखो दुनियाँ नाथ।। ******************************* भगवानों के देश में,नारी है लाचार, दुश्मन मौज मना रहे,दिखे प्रभु लाचार।। 🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻 सत्य वचन ना कह सके,लिख ना पाये न्याय। कैसे लिखिहैं वो भला ,जनता का अन्याय। ******************************** प्रेम सनातन धर्म है,प्रेम धर्म का मूल। प्रेम बिना नीरस लगे,जीवन ये निर्मूल।। अमर'अरमान' बघौली हरदोई ***************************** नीति के दोहे
Amar Singh
प्रेम, दया,संवेदना,जिनके हिय में होय। साँच अमर हैं कह रहे,सच्चा मानव होय ।। (१) 💘💘💘💘💘💘💘 परमारथ की भावना, जिनके करम समाय । है मानव में उच्च वो, दीनबन्धु कहलाय ।। (२) 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 प्रीति, दया,ममता नहीं, जिनकी छाती होत। बिना सींग,बिन पूँछ कै, वो नर पशु सम होत। (३) 🏵🏵🏵🏵🏵🏵🏵🏵 मानव ऐसा बावला,पाहन खोजे राम । जो पाथर उसने गढ़ा,उसमे खोजे राम ।। (४) 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 दोष तके खुद के नहीं,दूजे देवत दोष । मानव ऐसा बावला, कर्मण को दे दोष ।। (५) ✍✍✍✍✍✍✍ गुरुवर नदियाँ नाव है,गुरुवर खेवनहार । गुरु बिन है मिलता नहीं,खुशियों का उपहार ।। (६) 🖋🖋🖋🖋🖋🖋🖋🖋 गुरु बिन है मिलता नहीं,जीवन को आकार । ज्ञान बिना मिलता नहीं, जीने का आधार ।। (७) 🏵🏵🏵🏵🏵🏵🏵🏵 अमर'अरमान' ग्राम:-चुरई पुरवा पोस्ट:- बघौली जिला:- हरदोई राज्य:- उत्तर प्रदेश पिन कोड:- २४११२२ फ़ोन no:-7651997046 नीति के दोहे
Amar Singh
🙏नीति के दोहे🙏 घर-आँगन है खेलती,नन्ही सी इक जान। माता की वह लाडली,बापू की पहचान।। (१) 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 पीहर से है उड़ चली,लेकर गुण की खान । बेटी है नारायणी,बेटी है अभिमान।। (२) 🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀 जिसको है देखा नहीं,आया कभी न पास। कैसे कर लूँ मैं भला, उससे झूठी आस।। (३) 🙈🙈🙈🙈🙈🙈🙈🙈 जीवन है जिनसे मिला, मिला मान सम्मान। मात-पिता मेरे लिए,दीनबन्धु भगवान।। (४) 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 अमर'अरमान' नीति के दोहे
Tarakeshwar Dubey
नीति के दोहे - २ मृत्युंजय पंक्षी के पीये, घटे न सरिता नीर। दान किए धन ना घटे, पुण्य किए ना शरीर।।१।। जल का संचय कीजए, जल ही जीव की जान। जल मरे तो सब मरे, पादप, पंछी, इंसान।।२।। सूर्य ताप अवशोषित करे, तरुवर सहज सुजान। मृत्युंजय जो ये उजड़ गए, उजड़ जाएगा इंसान।।३।। पोखर नाहर राखिए, कृषि में रहेगी जान। मृत्युंजय बोरवेल भरोसे, मर जाएगा धान।।४।। भव ब्याधि दूर करे, एक योग बहु लाभ। मृत्युंजय तड़के उठ के, नित साधे एहि साध।।५।। रात्रि पातक कर्म करे, दिवस करे भगवद जाप। मृत्युंजय अस बहुरुपिए से, राखो न मेल कदापि।।६।। अकेला जग में आया है तू, जायेगा अकेला। दो पाटन के बीच में, लगा मोह का मेला।।७।। कौड़ी कौड़ी जोर के, लिन्यो महल सजाय। मृत्युंजय शेष पथ सभी, खाली हाथों जाय।।८।। धन संपत्ति की गागरी, नारी सुत लेवे बांट। पाप गठरिया कोउ न बांटे, मृत्युंजय साथे जात।।९।। मृत्युंजय मनवा बांवरा, रची रची जोड़े मकान। अंत समय सब छोड़ के, सोवे जा शमशान।।१०।। मोरा मोरा करता रहा, दिखा धन, संपत्ति, मकान। मृत्युंजय सब तजि सो गया, चार गज में तान।।११।। ©Tarakeshwar Dubey नीति के दोहे #apjabdulkalam
Tarakeshwar Dubey
नीति के दोहे - १ मृत्युंजय गाथा तुलसी की, बड़ी बिचित्र महान। इसकी काढ़ा पिये तो टले, खांसी सर्दी जुकाम।।१।। जल ही जीवन की गति, जल यौवन का आधार। मृत्युंजय संभव नहीं बिन, जल के प्राण संचार।।२।। सीमा संभाले सूरवीर है, होते अमर शहीद। अदालत में रसमलाई खाते, काले कौवे गिद्ध।।३।। मृत्युंजय प्रीति की गागरी, नहीं कोई हाट बिकाय। दंभ उतारी परे धरे नर, तेहि हिय बसे समाय।।४।। आवंला तुलसी नीम तीन, औषधि गुण के खान। बहु व्याध पल में हरे, करे मृत्युंजय जो नीत पान।।५।। आंगन मे तुलसी बसे, द्वारे लगाओ नीम। आंवला बगिया में सजे, बड़े उपकारी तीन।।६।। ओछा नहि न कोई वीर, समय होत बलवान। पिपीलिका बिराजे कर्ण में, टूते गज अभिमान।।७।। हिय की पीड़ा वो ही जाने, जेहि हिय लागी होय। ऐसो से कबहुं नहिं बांचो, सोए आपा खोय।।८।। सरहद की रखवाली करे, लगा दांव पर प्राण। मृत्युंजय वीर सपूतों को, करबद्ध कोटि प्रणाम।।९।। वृक्षों का रोपण करें, ये जीवों के जान। वायु का शोधन करे, हो करके निष्काम।।१०।। वृक्षों के विनाश से, माटी का होवे ह्रास। बूंदा बांदी जो पड़े, उमड़े नदिया सैलाब।।११।। ©Tarakeshwar Dubey नीति के दोहे #faraway
vinay vishwasi
आज के दोहे पर धन की इच्छा कभी,नहीं करो जी आप। पर धन की इच्छा सदा, होता है जी पाप।।१२२।। जो कुछ धन है आपका, वही रहेगा साथ। पर धन तो टिकता नहीं,खाली रहता हाथ।।१२३।। श्रम की रोटी में सदा, रहती खूब मिठास। मन को मिलती शांति है,उर में रहे उजास।।१२४।। काम करे जो नीति की,होती जय जयकार। ईश्वर भी देते उन्हें, अपना प्यार दुलार।।१२५।। #दोहे #नीति #विश्वासी