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Kajal The Poetry Writer
खर्च किए चंद सिक्को के लिए मुझे मेरी औकात बताने लग गए,, घुटने लगा दम मेरा तुम्हारे साथ तो प्यार का दर्द बताने लग गए।। जब नहीं था बस में तो हाथ थामा क्यों था,,, अब नहीं होता रोज रोज का बर्दाश्त तुम्हारा नाटक कह कर मुझे सिरदर्द बताने लग गए।। मेरा दर्द औरत की किस्मत, खुद को लगी खरोच तो मुझे हमदर्द बताने लग गए।। पहले प्यार बड़ा आता था मुझपर,,, क्यूं फिर अब बेदर्द बताने लग गए।। क्या सिर्फ खता मेरी थी,, आत्म सम्मान किया जलील हमेशा यही सजा मेरी थी।। नारी हो तुम संयम में रहना हैं, नारी हो तुम एक शब्द अन्यथा नही कहना हैं।। मेरे अपनों का सम्मान करो,, घर में रखा तुम्हे इस पर अभिमान करो।। भूल जाओ मायका जिसे छोड़ के आई हो,, हमारा सुख दुख हुआ तुम्हारा, यही बियाह के आई हो।। ©KAJAL The poetry writer खर्च किए चंद सिक्को के लिए मुझे मेरी औकात बताने लग गए,, घुटने लगा दम मेरा तुम्हारे साथ तो प्यार का दर्द बताने लग गए।। जब नहीं था बस में तो ह
Ravendra
Krishnadasi Sanatani
कर्मों की सज़ा भोज के लिए एक व्यक्ति ने एक बार एक बकरे की बलि चढ़ाने की तैयारी आरम्भ की। उसके बेटे बकरे को नदी में स्नान कराने ले गये। नहाने के समय बकरा एकाएक बडी जोर से हँसने लगा; फिर तत्काल दुःख के आँसू बहाने लगा। उसके विचित्र व्यवहार से चकित हो कर बेटों ने उससे जब ऐसा करने का कारण जानना चाहा तो बकरे ने कहा कि कारण वह उनके पिता के सामने ही बताएगा। व्यक्ति के सामने बकरे ने यह बतलाया कि उसने भी एक बार एक बकरे की बलि चढ़ायी थी, जिसकी सज़ा वह आज तक पा रहा था। तब से चार सौ निन्यानवे जन्मों में उसका गला काटा जय श्री राम जा चुका है और अब उसका गले कटने की अंतिम बारी है। इस बार उसे एक बुरे कर्म का अंतिम दंड भुगतना था, इसलिए वह प्रसन्न होकर हँस रहा था। किन्तु वह दुःखी हो कर इसलिए रोया था कि अगली बार से तुम्हारे भी सिर पाँच सौ बार काटे जाएंगे। व्यक्ति ने उसकी बात को गंभीरता से लिया और उसके बलि की योजना स्थगित कर दी तथा अपने बेटों से उसे पूर्ण संरक्षण की आज्ञा दी। किन्तु बकरे ने व्यक्ति से कहा कि ऐसा संभव नहीं है, क्योंकि कोई भी संरक्षण उसके कर्मों के पाप को नष्ट नहीं कर सकते। कोई भी प्राणी अपने कर्मों से मुक्त नहीं हो सकता। जब बेटे उस बकरे को ले कर उसे यथोचित स्थान पर पहुँचाने जा रहे थे। तभी रास्ते में किनारे एक पेड़ के शाखा पर नर्म-नर्म पत्तों को देख ज्योंही बकरे ने अपना सिर ऊपर किया, तभी एक वज्रपात हुआ और पेड़ के ऊपर पहाड़ी पर स्थित एक बड़े चट्टान के कई टुकड़े छिटके। एक बड़ा टुकड़ा उस बकरे के सिर पर इतनी जोर से आ लगा कि पलक झपकते ही उसका सिर धड़ से अलग हो गया। ©Krishnadasi Sambhavi कर्मों की सज़ा भोज के लिए एक व्यक्ति ने एक बार एक बकरे की बलि चढ़ाने की तैयारी आरम्भ की। उसके बेटे बकरे को नदी में स्नान कराने ले गये। नहान
Mysterious Girl