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poet Abhishek 'ANANT'
विषादों से भरा जीवन,सरस आनंद जैसा हो। विचारों के गगन में मन विहग- स्वच्छंद जैसा हो। युगों से है,युगों तक हो,सनातन विश्वगुरु भारत, युवाओं का
Alka Pandey
जिस देश में चाय बेचने वाला इतनी मेंहनत करके , देश के प्रधानमंत्री बने, वह देश फिर से विश्वगुरु कैसे नही बनेगा?? ©Alka Pandey विश्वगुरु भारत❤️ lalit saxena, Anshu writer, Prem Lata solanki, Anu Agarwal, Ravi vibhuti, shudha tripathi, kesav Kamal, Seth ji, ambika jha
Savita Nimesh
ये विश्वगुरु मेरा भारत महान है इसको पूरी दुनिया ने माना है कोटि कोटि वंदन करू इसे जो मैं इस धरा पे जन्मा हूं दी कल्पना ने ऊंची उड़ान यहां सोने की मिलती खान यहां यहां जात पात मत भेद नहीं रंग बिरंगी फुलवारी है वीर और वीरांगना जन्मी इस धरती पर महान ज्ञानी यहां लोग हुए जिनके आगे ये विश्व नतमस्तक होकर शीश झुकाए क्या कहने है मेरे वतन के यारो पूरे विश्व में विश्व गुरु मेरा भारत कहलाए ©Savita Nimesh #विश्वगुरु#मेरा#भारत
Tanendra Singh Khirjan
#bharatmata #indianflag #Indianculture #vishwguru #lovemyindia #kashmir भारत (विश्वगुरु)
Nirankar Trivedi
भारत ऐसा देश हमारा, जहाँ नवयुग निर्माण रहा | कितने आये -कितने जाये ,इसका कोई मोल रहा | किया संस्कृति को छिन्न -भिन्न ,ऐसा सबका वार रहा | भारत फिर से विश्वगुरु होगा ,ऐसा मेरा संकल्प रहा | #भारत फिर से विश्वगुरु होगा ,ऐसा मेरा संकल्प रहा |
Saurav Tiwari
विश्व पटल पे जिसकी गाथा हर एक मुख सुना रही थी, यूँ हीं नही है भारत विश्व गुरु। पूरी दुनियां जब डगमगा रही थी, तब भारत माँ दीपों से जग-मगा रही थी। Saurav Tiwari.....✍🏻 #विश्वगुरु
Aapka Dheeraj
India quotes सुबह सुबह उठ कर जब हम विको बज्रदन्ति से दांतों को चमकाएंगे और सिन्थॉल के साबुन से नहाएंगे खाने में सिर्फ अपने किसान भाई की सींची मेहनत वाली लोकल ब्रांड की रोटी चावल खाएंगे गर्व से हम स्वदेशी अपनाएंगे भारत को फिर से विश्वगुरु बनायेगे स्थानीय और देशी बुनकरों के हाथ से बने कपड़ो को पहन कर जब फैशन का नया ट्रेंड लाएंगे एयरटेल या बीएसएनएल के सिम से ही फोन में हम बतियाएंगे गर्व से हम स्वदेशी अपनाएंगे भारत को फिर से विश्वगुरु बनायेगे इस गर्मियों में अमूल की छास या लस्सी से ही आलस को भगाएंगे कभी शाम को भूख लगने पर टाटा की चाय के साथ पतंजलि का आटा नूडल खाएंगे गर्व से हम स्वदेशी अपनाएंगे भारत को फिर से विश्वगुरु बनाएंगे तुम देखना कैसे छोटी छोटी आदतों को बदलने पर एक जिम्मेदार भारतीय होने का गर्व का हम एहसास कराएंगे तेरा ब्रांड मेरा ब्रांड की लड़ाई छोड़ सुई से लेकर संबल तक be indian by indian वाली अपनी team india को ही हम जिताएंगे गर्व से हम स्वदेशी अपनाएंगे भारत को फिर से विश्वगुरु बनाएंगे ©aapka dheeraj गर्व से हम स्वदेशी अपनाएंगे भारत को फिर से विश्वगुरु बनाएंगे #makeinindia #madeinindia #beindianbuyindian
निखिल कुमार अंजान
ब्रह्मांड गुरु तेरे चरणों मे मै बारंबारअपना शीश धरुं शेषनाग को बना के माला अपने कंठ मे है तूने डाला त्रिनेत्र वाला शंकर बाबा है बड़ा भोला भोला माँ गंगा और चंद्र को भी अपने शीश पर विराज कर डाला हे नील कंठ त्रिलोकी नाथ भस्म रमा कर देह पर अपनी तू करता हिमालय की कंदराओं मे वास ज्ञान का है तू भंडार है तू वो ज्योत जिसमे समाहित है पूरा संसार हे विश्व गुरु मेरे भोले नाथ अपने बालक का करो वंदन स्वीकार...... #अंजान... #विश्वगुरु #भोलेबाबा #अंजान.... #मेरी_डायरी... #nojoto
Jayrajsinh Gohil
।। विश्वगुरु अग्रसर भारत यात्रा में हिंदी ।। भारत की राजभाषा हिंदी । भारत के संस्कार की भाषा हिंदी, भारत के सभी जन की भाषा हिंदी, जन जन के मानस की भाषा हिंदी । आज 14 सितंबर को हिंदी दिवस के तौर पर भारत में मनाया जाने वाला यह दिन पूरे विश्व पटल पर एकमात्र ऐसा दिन है जो किसी देश की राजभाषा के लिए मनाया जा रहा है । हिंदी संस्कार की भाषा है, हिंदी सम्मान की भाषा है, हिंदी हमारे स्वदेश की भाषा है । हिंदी का बढ़ता व्याप्त आज हम लोग देख रहे हैं कि 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस के तौर पर मनाना भी 2006 से शुरू हुआ । यहां उपलब्धी है हिंदी भाषा की के आज विश्व में सबसे अधिक बोलने वाली तीसरी भाषा है । जिसके 80 करोड़ से भी ज्यादा हिंदी बोलने वाले लोग आज दुनिया में है । आज जब आजादी के 75 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं तब केंद्र सरकार भी हिंदी को वह सम्मान दिलाने के प्रयास में पिछले 75 वर्ष से कार्य कर रही है 1949 में संविधान समिति द्वारा हिंदी और अंग्रेजी को राजभाषा के तौर पर आज ही के 14 सितंबर के दिन प्रस्ताव पारित किया गया और बाद में 10 मई 1963 संसदीय समिति ने प्रस्ताव पारित किया कि भारत की राजभाषा हिंदी होगी और सहायक भाषा अंग्रेजी रहेगी परंतु आज जब हिंदी के बोलने वाले चाहने वाले इतने बढ़ रहे हैं इसके बावजूद एक दुर्भाग्य की बात यह है कि समाज के जनमानस में से बच्चों के शिक्षण में से और परवरिश के बीच में से हिंदी को निकालने में लगे हे राष्ट्र विरोधी तत्व मां को मॉम और पिता को डैड कर दिया है । जब पिता डैड हो जाएगी तब हिंदी भी डेड हो जाएगी और मां मॉम हो जाएगी तो हिंदी भी भारत जैसे राष्ट्र को मोम की तरह पिघल कर कुछ नहीं रहेगा । पिछले 75 सालों में हिंदी की बढ़ती उपलब्धियों के साथ देश विरोधी ताकते वैचारिक के युद्ध छेड़ दिया है वामपंथ के विचार धारा वाले लोग भारत की स्वाधीनता अखंडता को तोड़ने के लिए उसके विचार मानस पर हमला कर रहे हैं । देश को बांटने की सोच रखने वाले लोग हिंदी को नीच रूप से दिखा रहे हैं अंग्रेजी को क्लास लैंग्वेज बता बता कर सिनेमा टेलीविजन के माध्यम से के वामपंथी विचारधारा के लोग एक वैचारिक युद्ध छोड़ रहे हैं । पर आज भी कुछ लोग, कुछ कलाकार, संगीतकार, लेखक कथाकार इन लोगों के लाखों प्रयास से हिंदी अभी तक साहित्य की भाषा तो बनी रही है । 500 सालों की गुलामी के बाद जब देश आजाद होता है सरकार और समाज के इतने प्रयत्न के बाद भी हिंदी का उतना विकास नहीं हुआ है । जबकि दूसरे दोस्त जैसे कि जापान जर्मनी रशिया इनसे सीख लेनी चाहिए दो-दो विश्वयुद्ध के बाद आर्थिक रूप से टूट चुके इन देशों ने फिर से शुरुआत की ओर दुनिया से टक्कर लेने की ताकत जुटाई । उनके इस उपलब्धी में विज्ञान और टेक्नोलॉजी की विकास यात्रा का सबसे बड़ा योगदान रहा है और उसका एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि उनके प्राथमिक शिक्षण से लेकर उच्च रिसर्च यानी कि शोध कार्य में भी उनकी भाषा की प्राथमिकता उनकी मूल भाषा जर्मन, रशियन या जापानी होती है । आज भी चीन जैसे देश से कोई टक्कर नहीं ले रहा आज सबसे ज्यादा रिसर्च पेटर्न्ड यानी कि शोध पंजीकरण पूरे विश्व में चाइना से होता है और वहां सब चाइनीस भाषा में ही पंजीकृत होता है । इन देशों से हमें सीख लेनी चाहिए कि हमारे रिसर्च पेपर यानी कि शोध पत्र हिंदी भाषा में हो और यह चीज जब हर विद्यार्थी समझने और अनुकरण में लाएगा तब भारत की विकास यात्रा विश्व पटल पर फिर से सुवर्ण अक्षर में अंकित होगी । आज मैं हर छात्र समुदाय को यह बताना चाहता हूं कि जिस दिन हम हमारे शोध पत्र हिंदी विषय बनाना शुरू करेंगे तब भारत उसका विश्वगुरु का स्थान लेगा और तब यह भारत की विकास यात्रा समग्र विश्व को फिर से एक दिशा में कार्य करने के लिए पथ सूचक बनाएगा । आप जब आजादी के 75 वर्ष और हिंदी दिवस के 75 वर्ष कि हो और बढ़ रही है तो इस हिंदी दिवस पर संकल्प करें जिस तरह से साहित्य में रुचि रखने वाला विद्यार्थी उसका पहला विकल्प हिंदी लेता है, इस तरह से हर शोध का विद्यार्थी अपनी शोध पत्र के पंजीकरण हिंदी अपनी राजभाषा में ही करवाएं । - जयराजसिंह गोहिल प्रांत कार्यालय मंत्री अभाविप गुजरात ©Jayrajsinh Gohil हिन्दी दिवस निमित यह लेख "विश्वगुरु अग्रसर भारत यात्रा में हिंदी" #ijayrajsinhgquote #hindidiwas2022 #Hindidiwas #hindidivas #HindiDay