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RUPESH Kr SINHA
......................................... ......... ©RUPESH Kr SINHA #कभी दर्द भी महसूश करो
#कभी दर्द भी महसूश करो
read moreseema patidar
तेरे एक इशारे पर तेरी हो सकती हूं मैं कुछ नहीं है पास खोने को फिर भी बहुत कुछ खो सकती हूं मैं पत्थर सी बन गई हूं ,और पत्थर बने है जज्बात अगर तू लगाले गले तो जी भरकर रो सकती हूं मैं ......... ©seema patidar जी भरकर रो सकती हूं मैं ......
जी भरकर रो सकती हूं मैं ......
read moreShiv Narayan Saxena
White पानी की हो किल्लत जितनी, नेता को यह भाता है। पानी - पानी कर देने के, वादों पर इतराता है।। पानी स्वयं तत्व होने का अपना बोध कराता है। जिनका पानी उतर गया वह ईंधन ही हो जाता है।। ©Shiv Narayan Saxena #good_night पानी की बात. hindi poetry
#good_night पानी की बात. hindi poetry
read moremeri_lekhni_12
White मेरे जीते जी रो लेता ,तो मैं मरता भला ही क्यों, लौटकर आने की चाहत है पर मैं आ नही सकता। क्यों गमगीन रहते हो , रहो न पहले जैसे तुम, तुम्हारे चेहरे पर मातम सा अब अच्छा नहीं लगता। तसब्बुर में तेरे शामो शहर मैने दिन गुजारे थे, तुझे क्या होगया जो मेरे बिन अब रह नही सकता। तेरी राहों को तकती थी निगाहे मेरी हर सूं तब कि क्यों बैठा है चौराहे पे, मुझे जब पा नही सकता।। पूनम सिंह भदौरिया दिल्ली ©ek_tukda_zindgi _12 मेरे जीते जी रो लेता..........#कविता #Poetry #gajal
Parasram Arora
White वो नदी समुन्दर के निकट पहुंचने के तुरंत बाद लौटने लगी अपने स्त्रोत की तरफ क्यों की उसे डर था कि उसका मीठा जल समुन्द्र के खारे पानी से मिल कर कहीं प्रदूषित न हो जाए ©Parasram Arora नदी और उसका मीता पानी
नदी और उसका मीता पानी
read moreM R Mehata(रानिसीगं )
White जय माता दी 🌺🌺🌺 बस अब थोड़ा आराम करो हद से ज्यादा ना काम करो... अपनो कि फिक्र है तुम को पर थोड़ा तो खुद पर भी ध्यान धरो... 🩸 good night 🩸 ©M R Mehata(रानिसीगं ) आराम करो
आराम करो
read moreSatish Kumar Meena
दुशासन ने चीरहरण किया, प्रभु बचाने आए लाज तेरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। मन कर्म वचन ये सब, भरी सभा में मूक हुए। युधिष्ठिर भीम अर्जुन,, सबके निशाने चूक गए। ऐसा लगा मानवता के, पैर लड़खड़ाने वाले हैं। वो तो श्री कृष्ण है जो,, जग को बचाने वाले हैं। रण हुंकार भरेगी अब फिर, उठेगी लपटे बदले की तेरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। पतन को जतन से उभारे, वो चौसर के सरताज है। जहां किसी पर गिरे गाज,, वहां सांप ऊपर बाज है। कहां गए ये पंच तत्व सब, जिन्हे भ्रम ने घेरा है। द्रोपदी के चीर हरण को,, इन सब ने ही उकेरा है। इसके खून से वेणी धुलेगी, प्रण करे भार्या के प्रहरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। ©Satish Kumar Meena #हे पांचाली नमन करो
#हे पांचाली नमन करो
read moreSatish Kumar Meena
दुशासन ने चीरहरण किया, प्रभु बचाने आए लाज तेरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। मन कर्म वचन ये सब, भरी सभा में मूक हुए। युधिष्ठिर भीम अर्जुन,, सबके निशाने चूक गए। ऐसा लगा मानवता के, पैर लड़खड़ाने वाले हैं। वो तो श्री कृष्ण है जो,, जग को बचाने वाले हैं। रण हुंकार भरेगी अब फिर, उठेगी लपटे बदले की तेरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। पतन को जतन से उभारे, वो चौसर के सरताज है। जहां किसी पर गिरे गाज,, वहां सांप ऊपर बाज है। कहां गए ये पंच तत्व सब, जिन्हे भ्रम ने घेरा है। द्रोपदी के चीर हरण को,, इन सब ने ही उकेरा है। इसके खून से वेणी धुलेगी, प्रण करे भार्या के प्रहरी। हे पांचाली! नमन करो इन्हे, ये पांडवों के हृदय के भेरी।। ©Satish Kumar Meena #हे पांचाली नमन करो
#हे पांचाली नमन करो
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