Find the Latest Status about aziz naza ki gazal from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, aziz naza ki gazal.
Poonam Nishad
फिर बीती बातें आँख नम कर गई, यादें सता रहीं हैं गुज़रें हुए दिनों की । फिर से छा रही है उदासी चेहरे पर, खुशियां दूर कर रही है बातें यादों की । ख़ामोश कर गई एक बार फिर लबों को, रह रह कर सता रही हैं बातें यादों की। न सुकून कही अब मिलता न हँस पाते हैं दर्द दे रही है ज़िंदगी छिन गई नींद रातों की। सवालों में उलझी है क्यों ज़िंदगी की राहें, क्यों सता रही हैं यादें पुरानी बातों की। ©Poonam Nishad #WriterPoonamNishad #gazal #Hindi #nojotohindi
साहित्य संजीवनी
अपने मन से छोड़ दोगे तुम हमें, हम पे इतना हक तुम्हें किसने दिया। -विक्रम वैरागी ©साहित्य संजीवनी #skylining #Poetry #Shayari #gazal
शायरा माही (पहाड़ी छोरी)
किसी को भी तेरी जरूरत नहीं है भलाई जमाने की फितरत नहीं है न होना खफा तुम परिंदों से हरगिज उन्हें लौट आने की आदत नहीं है हुआ यूं सवेरा खिला घर ये मेरा न पंछी वो आया तो हैरत नहीं है। रहे जो हमेशा से दिल में समाए यूं अब तो किसी को भी फुर्सत नहीं है। जहर तो उगलना जमाने ने अब तो कि दें साथ उनका हिमाकत नहीं है। यूं आंखे चुराना बहाने बनाना तो बोलो भला ये शरारत नहीं है। ©शायरा माही (पहाड़ी छोरी) #oddone #gazal#nojotofamily #gazal#life Sherni Aj stories,,, Kundan Dubey
Dr Nutan Sharma Naval
ग़ज़ल जब भी उसका दिल करता है वो रूठ जाता है। हमें कैसे पता होगा,वो कहां कुछ बताता है। कहता है हम खुद ही समझ लें हर बात उसकी। बस इशारों इशारों में ही सब जताता है। एक आदत है उसकी जो बहुत अच्छी है। बिना बोले मेरे कुछ भी सब समझ जाता है। अभी तक एक दफा ही मिला है वो मुझसे। अब न मिलता है और न बहाने बनाता है। दूरियों ने शायद दूरियां बढ़ा दी है अब। ये कमबख्त दिल है कहां समझ पाता है। ©Dr Nutan Sharma Naval #gazal
Madhur Nayan Mishra
वो जो देखते है दूर से मुझे हंसते हुए, कभी करीब बैठे तो रोने लग जाए... . ©Madhur Nayan Mishra #Shayari #gazal
vijay sonawane
ख्वाबों में खोया हूँ, रातें गुजारती हैं, धुंधली सी रोशनी, जीने की आस बढ़ाती है। दिल की गहराइयों में, तुम्हारा ख्याल बसा है, इस उम्मीद के साथ, जीने की राहें सजाती हूँ। ©vijay sonawane #ramadan #gazal
Jashvant
मेरी आँखों को बख़्शे हैं आँसू दिल को दाग़-ए-अलम दे गए हैं इस इनायत पे क़ुर्बान जाऊँ प्यार माँगा था ग़म दे गए हैं देने आए थे हम को तसल्ली वो तसल्ली तो क्या हम को देते तोड़ कर का'बा-ए-दिल हमारा हसरतों के सनम दे गए हैं दिल तड़पता है फ़रियाद कर के आँख डरती है आँसू बहा के ऐसी उल्फ़त से वो जाते जाते मुझ को अपनी क़सम दे गए हैं मर्हबा मय-कशों का मुक़द्दर अब तो पीना इबादत है 'अनवर' आज रिंदों को पीने की दावत वाइ'ज़-ए-मोहतरम दे गए हैं ©Jashvant Gazal