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Arora PR
अचेतन की कदराओ से बाहर निकल कर मुझे. चेतना की चिंगारीयों को सुलगाना पड़ा जिंदगी के उद्यान मे जो कंटीले झाड झखाड़ उग आये थे उन्हें भी मुझे जिंदगी से बेदखल करना पड़ा ©Arora PR अचेतन की कन्द्राओ से
साहस
जो चेतना को याद नहीं करता, वो अचेतन है।। जो चेतना को भूले बैठें हैं क्या वे अचेतन नहीं हैं?? #YourQuoteAndMine Collaborating with Gautam Kothari
Bharat Bhushan pathak
शब्द-शब्द हाव-भाव जब बोलती प्रतीत हो। है दफ़न राज़ जब जो खोलती प्रतीत हो। प्रीत-रीत गीत-जीत जब बखानता अतीत हो। अचेतना में चेतना का वास जब अगर कहीं। समझ लो तभी यही काव्य है वही-वही। ©Bharat Bhushan pathak #achievement शब्द-शब्द हाव-भाव जब बोलती प्रतीत हो। है दफ़न राज़ जब जो खोलती प्रतीत हो। प्रीत-रीत गीत-जीत जब बखानता अतीत हो। अचेतना में चेत
Aamir Qais AnZar
हासिल हुआ कुछ नहीं; उम्र गुज़री तमाम, ग़फ़लत की हवा में समझें खुद को इमाम। गफलत : असावधानी, बेपरवाही। अचेतनता, बेसुधी। negligence इमाम : अगुआ। पथ प्रदर्शक। vanguard, the guide, प्रमुख Hello writers, Collab with Demo
N S Yadav GoldMine
मनुष्य की चेतना को चार भागों में बाँटा जा सकता है। {Bolo Ji Radhey Radhey} १. चेतन मन, २ अवचेतन मन ३. अचेतन मन, ४. अतीन्द्रिय चेतन। अग्रेजी में इसे कान्सेश माइंड, सबकान्सेश माइंड, अनकान्सेश माइंड, सुपरकान्सेशमाइंड, कहते हैं। साधु संतों की साधुक्कड़ी भाषा में इसे :-१ जाग्रत अवस्था, २. स्वप्न अवस्था, ३ सुषुप्ति अवस्था, ४. तुरीया अवस्था, कहते हैं। ©N S Yadav GoldMine मनुष्य की चेतना को चार भागों में बाँटा जा सकता है। {Bolo Ji Radhey Radhey} १. चेतन मन, २ अवचेतन मन ३. अचेतन मन, ४. अतीन्द्रिय चेतन। अग्रे
parveen mati
अचेतना से निकलकर भविष्य की ओर झाँकती हुई नवस्फुटित कोंपलें जीवन की सार्थकता को परिभाषित कर रही है नर होकर भी निराश मन क्यों तेरी जिंदगी मुसीबतों से डर रही है थककर हार ना मान अंदर की जीवन शक्ति को पहचान बस चलते चलते चलते चल परिस्थितियों के दलदल से अब निकल घूम कर देख चारों ओर तेरे हरियाली है ,बहार है ढूंढ रही है जिंदगी तुझको उसे तेरा ही इंतजार है जितने गम है दिए जमाने ने सबको पी ले एक दम भर इन कोंपलों को देखकर इंसान तू बस जी ले इंसान तू जी ले ©Mati माटी अचेतना से निकलकर भविष्य की ओर झाँकती हुई नवस्फुटित कोंपलें जीवन की सार्थकता को परिभाषित कर रही है नर होकर भी निराश मन क्यों तेरी जिंदग
AB
" शैलपुत्री " वन्दे वंछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढाम् शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥ पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती के स्वरूप में साक्षात शैलपुत्री की पूजा देवी के मंडपों में पहले नवरात्र के दिन होती है। शैलपुत्री अपने
Bharti Vibhuti
Nisheeth pandey
मेरी तन्हाई में तन्हाई की तलाश है हमें, खामोश मन की तलाश है हमें.. अब तुम्हारी ख्वाहिशे नहीं है, एक नए कोपल की तलाश है हमें.... बेशक मेरी तन्हाई में बेहिसाब सा दर्द है भरा, लेकिन मेरी तन्हाई में तन्हाई नहीं है मिलता.. मेरी तन्हाई में दर्दों का बोलबाला है सताता हमें तुम्हारी यादों का सहर दस्तख देता है तन्हाई में हमे.... मेरे तन्हाई में शून्य की तलाश है हमें... साँसें थम जाए मन हो जाये खाली सा , ना जाने क्यूँ उसी पल का तलाश है हमें... आवाज़ मेरी उनकी यादों में है दबा सा , अंधेरे जीवन के अंधकार में देख सकूँ अपनी परछाई , अपनी आँखों में ऐसी ज्योती की तलाश है हमें ..… जा सकूँ जो अपनी खामोशी से शून्य में .. ऐसी अचेतन तन्हाई की तलाश है हमें... #निशीथ ©Nisheeth pandey मेरी तन्हाई में तन्हाई की तलाश है हमें, खामोश मन की तलाश है हमें। अब तुम्हारी ख्वाहिशे नहीं है, एक नए कोपल की तलाश है हमें। बेशक मेरी तन्हा