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Gurudeen Verma
शीर्षक- सजा तुमको तो मिलेगी ------------------------------------------------------ सजा तुमको तो मिलेगी, जख्मी मेरे दिल को किया क्यों। बेवफा तुमको होना था तो, गुमराह हमको किया क्यों।। सजा तुमको तो मिलेगी-------------------।। दर्द देकर मेरे दिल को, चैन से रह रही हो तुम। मुझको करके बेघर, महलों में सो रही हो तुम।। तोड़ना ही था जब मुझको तो, मजा अब तक किया क्यों। सजा तुमको तो मिलेगी-------------------।। तुम क्यों भूल रही हो, नजरें हमसे ऐसे चुराकर। मेरी बाँहों में रही हो तुम, दिल यह हमसे लगाकर।। खता तुम्हारी ही ज्यादा है, मंजूर तुमने नहीं किया क्यों। सजा तुमको तो मिलेगी---------------------।। खाक मेरे ख्वाबों को करके, बैठी हो अब किसी के सँग। हाँथों में मेहंदी लगाकर तुम, चली हो अब किसी के सँग।। करना था बर्बाद मुझे तो, तुमने मजाक यह किया क्यों। सजा तुमको तो मिलेगी--------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गीतकार
आशुतोष "गोरखपुरी"
Gurudeen Verma
शीर्षक- तुम्हारी यह नफरत ही दुश्मन है तुम्हारी --------------------------------------------------------------------- तुम्हारी यह नफरत ही, दुश्मन है तुम्हारी। नफरत इतनी हमसे करो नहीं।। हमसे तो ज्यादा तुम्हारी है बर्बादी। गुस्सा इतना हमसे करो नहीं।। तुम्हारी यह नफरत ही--------------------।। वहम अपने दिल का दूर करो तुम। गलत क्या है यह मालूम करो तुम।। सितम तुमपे हमने तो किया नहीं कोई। सितम बेवजह हमपे करो नहीं।। तुम्हारी यह नफरत ही-------------------।। तुम्हें दिल से हमने क्या नहीं दिया। मगर सुख तुमने कभी नहीं दिया।। अपनी जिंदगी की खुशी माना तुम्हें ही। नाराज इस तरहां हमको करो नहीं।। तुम्हारी यह नफरत ही--------------------।। खेले क्यों पहले तुम मेरे दिल से। सजाई क्यों अपनी तस्वीर मेरे लहू से।। गुनाह करके भी हमको करते हो बदनाम। मजबूर सजा को हमें करो नहीं।। तुम्हारी यह नफरत ही--------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गीतकार
Bhagwad Geeta Krishna
Bhagwad Geeta Krishna
Gurudeen Verma
White शीर्षक- किससे कहे दिल की बात को हम ------------------------------------------------------------------- किससे कहे दिल की बात को हम। हँसता है हरकोई इसको सुनकर।। करता नहीं है मदद कोई भी। करते नहीं बात वो भी खुलकर।। किससे कहे दिल-------------------------।। मिलायेंगे वो हाथ तो रोज हमसे। पूछेंगे हाल भी वो दिल का।। हमारी हाँ में मिलाते हैं हाँ वो। मगर चल देते हैं वो हँसकर।। किससे कहे दिल-------------------।। अगर सुन ले बुरी खबर वो हमारी। बहुत हमदर्दी जताते हैं हम पर।। मगर हो हमें गर दवा की जरूरत। बढ़ाते नहीं है वो हाथ बढ़कर।। किससे कहे दिल---------------------।। पसंद नहीं उनको कष्ट उठाना। किसी के लिए अपने आँसू बहाना।। हरकोई भूखा यहाँ है दौलत का। नहीं कोई लुटाता खुशी भूलकर।। किससे कहे दिल----------------------।। मतलब के रिश्ते हैं यहाँ पर सभी के। बिना स्वार्थ कोई नहीं प्यार करता।। नहीं मिलती है इज्जत बिना दौलत के। आते हैं मिलने गरज हाँ समझकर।। किससे कहे दिल----------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गीतकार
Yogi Sonu
ईश्वर बाहर भी है और भीतर भी बाहर खोजने वाला भटकता है भीतर खोजने वाला पाता है अतः है प्रिय अपने को सभी बंधनों से मुक्त जानो अष्टावक्र गीता। ©Yogi Sonu ईश्वर बाहर भी है और भीतर भी बाहर खोजने वाला भटकता है भीतर खोजने वाला पाता है अतः है प्रिय अपने को सभी बंधनों से मुक्त जानो अष्टावक्र गीता। #