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Mohammad Arif (WordsOfArif)
शायद लगता है वो बिल्कुल बदल जायेंगे हम दीवानें है मुहब्बत फिर भी करते जायेंगे फिज़ा की रंगीनियत वो नहीं समझता है फिर भी हम इश्क का मरहम लगाते जायेंगे जो तुमने ज़हर घोलें है जिस्म में सबके वो ज़हर प्यार से हम दिल से निकालते जायेंगे अफ़सोस किस बात का है तुमको यारों हम पुराने लोग है प्यार धीरे धीरे करते जायेंगे जिन्दगी है रास्ते भी कठीन है फिर भी आरिफ रुक जा साथ में इश्क करते जायेंगे शायद लगता है वो बिल्कुल बदल जायेंगे हम दीवानें है मुहब्बत फिर भी करते जायेंगे फिज़ा की रंगीनियत वो नहीं समझता है फिर भी हम इश्क का मरहम लगा
DR. SANJU TRIPATHI
कहते हैं प्यार ही सच्ची दौलत है होती इससे बरकत है दुनिया धनवान बन सकती थी पर दुनिया ने चुनी नफरत है। प्यार अगर सच्चा हो तो जिंदगी में बरकत
Diwan G
पहली बार मिले और पहली बार मिले... और लबों पे खामोशी थी। नजरों का मिलना जायज था, और कुछ गुंजाइश न थी। क्योंकि दोनों अजनबी थे, दो दिलों में हलचल थी। मैं बस देखता रह गया, Fantasy Writer® और वो थोड़ा मुस्कुराई थी। मेरा शर्माना लाजिमी था, और वो भी कुछ शरमाई थी। बेशक पहली मुलाकात थी, मगर दिलकश मुलाकात थी।। प्यार हुआ धीरे-धीरे। #pehlibaar #मुलाकात
Hi you
लगता है जैसे दिमाग की एक नस खटक रही हैं जिसका सीधा कनेक्शन दिल से हैं। ©Hi you लगता है धीरे - धीरे #प्यार हो रहा है।
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी प्यार तो पहली सीढ़ी है रिझाने और पहल करने की अंजाम प्यार का धीरे धीरे बदलेगा लगाव कितना गहरा है परखने पर अंदाज ब्या करेगा रोज रोज फूल खिले प्यार हर दिन परवान ना चढ़ेगा बोझ ज्यो ज्यो बढेगा जिम्मेदारियो का चिड़चिड़ापन और घुटन से जीवन मे पतझड़ भी झडेगा सहन कौन कितना कर सकता है बस यही मूल मंत्र सफल जिंदगी का पैमाना बन सकता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Gulaab अंजाम प्यार का धीरे धीरे बदलेगा #nojotohindi
Alok Meshram
हमसुखनं उसके संग हो राहा था रकीब धीरे धीरे जां मेरी जां से जा राही थी धीरे धीरे परिंदो ने अमाद दि किनारा नजदिक होने की कश्ती ले गयी मुझे मगर साहिल से दूर धीरे धीरे बनाया था मैने ख्वाबो में प्यार का मंदिर तोड दि उसी बूत ने वो इमारत धीरे धीरे लाया था दिया मै रोशन करने घर अपना उसी ने घर जलाया अपना देखो धीरे धीरे चली थी दुनिया उजाले में साथ अपने छोड गये अपने भी मेरा साथ अंधेरे में धीरे धीरे "अलोक" लिख रहा हैं फलसफा मोहब्बत का खतम हो चली हैं कलम से स्याही धीरे धीरे #धीरे धीरे