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Divya Joshi
Krishna Deo Prasad. ( Advocate ).
जब भी रुकने का मन करे, तो याद करना की शुरु क्यों किया था। ©Krishna Deo Prasad. ( Advocate ). #जब भी रुकने का मन करे तो याद करना की शुरु क्यों किया था।
Sarah Moses
Manu Govind Batra
Mili Saha
// पहली बारिश // उलझन में ऐसा उलझा मौसम की पहली बारिश भूल गया, ज़िंदगी कितनी आगे निकल गई पीछे देखना ही भूल गया, वो हथेली पर पड़ती हुई बारिश की पहली बूंद का एहसास, ज़िन्दगी के सफ़र में, जाने कब कहांँ छूट गया उसका साथ, आज बरसो बाद जब तन्हाई में, बैठा था खिड़की के पास, बादलों की गड़गड़ाहट और तेज बिजली की आई आवाज़, खिड़की से बाहर झांँककर देखा,थे उमड़ते घुमड़ते बादल, देखकर उनकी लुकाछुपी याद आ गया बचपन का वो पल, कैसे बादलों को देख कर, बारिश का इंतजार हम करते थे, मस्ती करने की सारी योजना पहले ही बना लिया करते थे, सोच ही रहा था कि सहसा ही, रिमझिम सी आवाज़ आई, बारिश की अनगिनत बूंदे, खिड़की के शीशे से आ टकराई, देखकर बारिश की बूंदों को, मन कहीं ख्यालों में खो गया, दिल के कोने से बचपन निकलकर, बारिश में भीगने चला, बेफिक्र मस्ती में झूमने लगा ऐसे मानो दुनिया से अनजान, ना माथे पर कोई शिकन ना, उलझन भर रहा ऊंँची उड़ान, कभी आसमान निहारता कभी पानी में छप छपाक करता, तनिक भी चिंता नहीं बीमार होने की, ऐसी मस्ती है करता, आंँखों को बंद कर मुस्कुराहट के साथ बाहें फैलाता है ऐसे, दोनों हाथों से जैसे बारिश की, हर बूंद को समेटना चाहता, इतने में कुछ दोस्त भी पहुंँच जाते लेकर काग़ज़ की कश्ती, फिर तो रोके भी किसी के न रुकेगी ऐसी चल पड़ती मस्ती, ज़मीन पर गड्ढों में भरे जल में तैर रही अनगिनत कश्तियांँ, पानी उछलते एक दूजे पर, मासूमियत भरी वो मनमर्जियांँ, पुकार रहे मम्मी पापा दादा दादी, किसी की नहीं है सुनता, बरसात की आखिरी बूंँद तक, बचपन मस्ती करना चाहता, हाथ पैरों में लगे कीचड़ कपड़ों का भी हो गया है बुरा हाल, पर मन है कि रुकने को तैयार नहीं ये बचपन भी है कमाल, तभी अचानक ही बंद हो गई खिड़की तेज़ हवा के झोंके से, मानों ख़्वाब में था और जगा दिया है किसी ने गहरी नींद से, मैं तो वहीं बैठा था, किन्तु ये मन बचपन की सैर कर आया, कल्पना में ही सही, मौसम की पहली बारिश में भीग आया, कितनी सुंदर वो तस्वीर, सच में कितना सुखद एहसास था, बारिश की बूंदों में भीगा हुआ एक एक क्षण बेहद खास था, हमने खुद को इतना उलझा कर रखा है, इस दुनियादारी में, कि खुद के लिए जीना ही भूल गए जीवन की इस क्यारी में, हर रंग मिलेगा भीगकर तो देखो मौसम की पहली बारिश में, दिल फिर से बच्चा बन जाएगा, मौसम की पहली बारिश में।। ©Mili Saha #Barsaat // पहली बारिश // उलझन में ऐसा उलझा मौसम की पहली बारिश भूल गया, ज़िंदगी कितनी आगे निकल गई पीछे देखना ही भूल गया, वो हथेली पर पड़त
Ashutosh Mishra
कहां गया वो बचपन प्यारा, कहां खो गई मस्ती। बस्ता लेकर स्कूल जाने से लेकर कालेज वाली हस्ती। कभी ना खत्म होने वाली ढ़ेर सारा बातें, पेपर के बाद रिजल्ट का इंतज़ार करते कटती वो लम्बी रातें। ठहर सी गई क्यों ये जिंदगी, रात और दिन के बीच पिसती ये जिंदगी। कहां गए वो हसीं के ना रूकने वाले ठहाके, वो रुठ कर मां बाबा से कहना दिल की बातें। वो रूठ गया या कहीं छूट गया, दिल में गुदगुदी लगाके । अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🏻🙏🏻 ©Ashutosh Mishra #बचपन_की_यादें कहां खो गया बचपन प्यारा, कहां खो गई मस्ती। बस्ता लेकर स्कूल जाने से लेकर कालेज वाली हस्ती। कभी न खत्म होने वाली हो ढेर सारी
SHAYAR (RK)
gaTTubaba
उसे जाने दिया हमने रोकने से जो रुकनेवाला नहीं था... ©gaTTubaba #DhakeHuye उसे जाने दिया हमने रोकने से जो रुकनेवाला नहीं था...
Mukesh Poonia
कामयाबी के सफर में धूप का बड़ा महत्व होता है, क्योंकि छांव मिलते ही कदम रुकने लगते हैं... . ©Mukesh Poonia #girl #कामयाबी के #सफर में #धूप का बड़ा #महत्व होता है, क्योंकि #छांव मिलते ही #कदम रुकने लगते हैं...
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ये प्यार नहीं, कश्तियों का सफ़र है जनाब, समुंद्र पार होने तक कहा रुकने वाला था..! ©Naveen Chauhan ये प्यार नहीं, कश्तियों का सफ़र है जनाब। समुंद्र पार होने तक कहा रुकने वाला था Anshu writer ARTIST VIP. MISHRA Da"Divya Tyagi" Naina... Sh