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Diya
White बसंती बयार🍂🍂🍂🍂 बसंती बयार से प्रीतम के प्यार से, सारी राहे, महकने लगी जब चली बसंती बयार से। अमवा की डालिया सज गई कोयल की कूंक से गाने लगी, जब मिली वह प्रीतम के प्यार से, हृदय के फूल खिलने लगे, गेहूं की बालियां से जब खेत महकने लगे प्रकृति की हरियाली से, सारी राहे सज गई टेसू के फूलों से, कवि के भी स्वर नाँच उठे बसंती बयार से, जब हृदय में आगमन हुआ प्रीतम के प्यार से, थोड़ी सी तपीस थोड़ा सा कुहासा,मन को भाने लगा बसंती बयारर से, हर फूल मुस्कुराने लगा प्रीतम के प्यार से,प्रीतम के प्यार से........ बसंती बयार चलने लगी प्रीतम के द्वार से....🍂🍂🍂🍂🍂🍂 ✍🏼 deeptigarg ❤ ©Diya बसंती बयार🍂🍂🍂🍂 बसंती बयार से प्रीतम के प्यार से, सारी राहे, महकने लगी जब चली बसंती बयार से। अमवा की डालिया सज गई कोयल की कूंक से गाने लगी,
बसंती बयार🍂🍂🍂🍂 बसंती बयार से प्रीतम के प्यार से, सारी राहे, महकने लगी जब चली बसंती बयार से। अमवा की डालिया सज गई कोयल की कूंक से गाने लगी,
read moreMahesh Patel
White सहेली.... उनकी आंखें मेरे लिए जन्नत बन गई.. लाला.... ©Mahesh Patel सहेली... जन्नत...लाला....
सहेली... जन्नत...लाला....
read moreMahesh Patel
White सहेली..... छोटी मुलाकात तुम्हारी.. मोहब्बत में तब्दील हो गई.. बस एक नजर देख लिया तूने.. जिंदगी मेरी जन्नत बन गई.. लाला..... ©Mahesh Patel सहेली... जन्नत... लाला...
सहेली... जन्नत... लाला...
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
Unsplash इस गुलाबी शाम को बस शाम ही रहने दो, दबे जज़्बातों को मेरे अनजाम ही रहने दो। ना दिखाओ मुझे ख़्वाब जन्नत-ए-इश्क़ की, चांद और तारों को आसमान में ही रहने दो। मत छेड़ो मेरी तन्हाई के इस सुकून को, दर्द का दरिया है, इसे बहता ही रहने दो। मैं मोम नहीं, जो गले तेरी तपिश से, मैं पत्थर हूँ, मुझे पत्थर ही रहने दो। ©theABHAYSINGH_BIPIN #Book **इस गुलाबी शाम को बस शाम ही रहने दो, दबे जज़्बातों को मेरे अनजाम ही रहने दो। ना दिखाओ मुझे ख़्वाब जन्नत-ए-इश्क़ की, चांद और तारों क
#Book **इस गुलाबी शाम को बस शाम ही रहने दो, दबे जज़्बातों को मेरे अनजाम ही रहने दो। ना दिखाओ मुझे ख़्वाब जन्नत-ए-इश्क़ की, चांद और तारों क
read moreनवनीत ठाकुर
न जाने क्यों उन्हें मेरा साथ गवारा लगने लगा। हमसे हुए मुखातिब, तो हमारा साथ उन्हें जन्नत लगा। हुआ है सामना मेरा आज जमाने की जिल्लत से, हुए है वो भी रूबरू अपनी जिंदगी से हाल ही में, आज उन्होंने जन्नत को भूल जाना ही बेहतर समझा। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर न जाने क्यों उन्हें मेरा साथ गवारा लगने लगा हमसे हुए मुखातिब, तो हमारा साथ उन्हें जन्नत लगा, हुआ है सामना मेरा आज जमाने की जिल्
#नवनीतठाकुर न जाने क्यों उन्हें मेरा साथ गवारा लगने लगा हमसे हुए मुखातिब, तो हमारा साथ उन्हें जन्नत लगा, हुआ है सामना मेरा आज जमाने की जिल्
read moreParasram Arora
Unsplash जन्नत से भी ज्यादा अज़ीज़ है मुझे अपने पुश्तैनी घर का ये आँगन क्योंकि इसी आँगन मे अच्छे से उम्र अपनी गुज़ार दीं है मैंने वो भी बिना किसी शिकवे शिiकायत के ©Parasram Arora जन्नत जैसा aangn😍
जन्नत जैसा aangn😍
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