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Laxman
इससे डाउनलोड करें और पेशे कमाये दामन गेम मेरे कोड लगाना है पलिज भाई साहब मे थारो राईटर Ltch love you ©Laxman इससे डाउनलोड करें
Lovely Lovely Boy
https://mary.jewelry//#/register?r_code=7508E393 ©Jio Jio डाउनलोड करो और पैसा कमाओ #Sea
Pushpendra Pankaj
लिखो सदा प्रत्यक्ष लिखो, बंधकर नहीं ,निष्पक्ष लिखो । लोकतंत्र के हम सब प्रहरी, खुलकर अपना पक्ष लिखो ।। पुष्पेन्द्र पंकज ©Pushpendra Pankaj निष्पक्ष लेखन मर्यादित लेखन
Tomar Sister's
कागज़ पर अपनी भावनाएं व्यक्त करना इतना भी आसान नहीं होता जितना लगता है। खुद को खुद में ही खोकर विचारों के सागर में डूबते-उतराते उन भावनाओं को जीते हुए ख़ुद को मथना पड़ता है, तब कहीं जाकर लेखनी शब्दों को कगज पर उतारती है और बनती है वो रचना जो बुद्धि जनों को अपनी रौं में बहा ले जाती है। Tomar Sisters #लेखन
Ashutosh singh chauhan
खुशबू हवाएं ले उड़ी , वक्त रंगत ले गया गुल ने दास्तां कही , क्या से क्या यह हो गया । और न लेखन के बारे में कोई दावा है हम नहीं कहते कि हम ही कहते हैं । यही तो कहते हैं , कि हम भी कहते हैं । लेखन
Mohan Sardarshahari
लिखता तो इसलिए हूं कि दिल में हर चीज छुपाना संभव नहीं वरना कलम-कोपी कोई चंदन का पेड़ और मैं भी कोई भुजंग नहीं।। ©Mohan Sardarshahari # लेखन
पूर्वार्थ
लेखन..... कभी-कभी लेखन भी.... कहां आसान सा होता है?? मन में चलते तो है.... जैसे कई तेज तूफ़ान से हैं..... पर उस तूफ़ान में से..... अपने लेखन के लिए,कुछ शब्द चुन पाना... कहां आसान सा होता है??.... उस वक्त तो बस,,,,,,, औरों की ही..... कविताएं पढ़ -पढ़ कर ..... जैसे अपना मन भरते ही जाते है...... और अपने लेखन की कला को..... कुछ हद तक, निखारते जाते हैं... और फिर से,,,,, अपने उस लेखन को..... आज़माते जाते हैं....,,,,,,,, कभी - कभी ..... अपने मन की बातें ,,,,,,,, लेखन में उतार पाना ...... कहां उतना आसान होता है?.... कहां आसान होता है?? ....... ©purvarth #लेखन
Manmohan Dheer
घटनाएं ही लेखन का मूल हैं स्मृतियों के लिए भी आवश्यक मन का सोचा कहाँ होता है पूरा सो अच्छा बुरा है लेखन भी पहले व्युत्क्रम नही होता था लेखन घटनाओं पर होता था कल्पनाओं के बादल नही यहां सक्रिय प्रदर्शन होता है यथार्थ कलम दौड़ती नियंत्रण में अंधी बन जाने क्या क्या लिख जाती है अपना बच्चा सबसे प्यारा लेखक का भी यही मूल है लेखन अच्छा बुरा नही होता है होता है यथार्थ या वीभत्स कल्पना . . धीर लेखन