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Hindustani Media.
Ashutosh Mishra
मैंने उनका हाल जो पूछा,वो मुस्कुरा कर चले गए। दिया जो ख़त उन्हें, पर्स में डाल कर चले गए। करता रहा इंतजार दीदार को उनके, वो खिड़की से पर्दा उठा के चले गए। इंतहा हो गई मेरे इंतजार की, मैं परेशान हो गया,, उनकी इस अदा को इंनकार समझूं या इकरार। उन्होने पर्दे की ओट से, धीरे से कहा,,,, ""ढके हुए हैं जज्बात, बेपर्दा न कर, ये सुलगती हुई आग है,इसे हवा ना दे"" इस कहानी में मिट गए कितने राजपाट, जलकर इस आग में तू हो जाएगा बर्बाद। अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🏻🙏🏻 ©Ashutosh Mishra #DhakeHuye मैंने उनका हालचाल पूछा, वह मुस्कुरा कर चले गए। दिया जो खत उन्हें, पर्स में रखकर चले गए। NojotoHindi NojotoEnglish NojotoNews Noj
Naresh Chandra
नज़रों से प्यार की, शिक़ायत न कीजिए होठों को अपनी ज़रा, जहमत तो दीजिए। कान तरस रहे हैं, सुनने को मीठे बोल लफ़्ज़ों से प्यार की, बरसात कीजिए। जुल्फों से चिलमन का,न काम लिजिए रूख से हटाकर, थोड़ा नज़ारा दिखाइए। होठों को रगड़ने की इजाज़त वो मांगती हमने कहा पहले मुझे बोसा तो दीजिए। ©Naresh Chandra नज़रों से प्यार की, शिक़ायत न कीजिए होठों को अपनी ज़रा, जहमत तो दीजिए। कान तरस रहे हैं, सुनने को मीठे बोल लफ़्ज़ों से प्यार की, बरसात कीजिए।
Madhumati Kinikar
Caption मध्ये पहा विषय खंत... #खंत१ #collab #yqtaai Collaborating with YourQuote Taai कडाक्याची थंडी पडली होती. अगदी ओठावर ओठ आपटावे अश
Vedantika
बरसात की एक रात एक अंधेरी रात में मूसलाधार बारिश हो रही थीं। रात के बादलों से आसमान ढका हुआ था जिसकी वजह से रात और अंधेरी हो गई थीं। आसमान में चमकती हुई गरजते बादल और कड़कती बिजली मन में डर जगाने के लिए काफ़ी थीं। शरीर में कंपकपाहट पैदा करने वाली इस बारिश में वेदान्तिका छाते से ढकी खुद को बारिश से बचाते हुए तेज कदमों से चलती जा रही थीं। उसके कपड़े पूरी तरह भीग चुके थे। इतनी रात में कोई टैक्सी या बस नहीं मिल सकती थी इसलिए वो इस रात यही ठहरने के लिए कोई सराय या छोटा होटल ढूंढ रही थीं। एक अंधेरी रात में मूसलाधार बारिश हो रही थीं। रात के बादलों से आसमान ढका हुआ था जिसकी वजह से रात और अंधेरी हो गई थीं। आसमान में चमकती हुई गर
Vedantika
“एक लड़की भीगी-भागी सी” “सोती रातों में जागी सी” “मिली एक अजनबी से” “कोई आगे ना पीछे” “तुम्हीं कहो ये कोई बात है........ओ” “एक लड़की भीगी-भागी सी.......” मॉनसून कैफे में किशोर कुमार का यह सुरीला गीत कैफे के माहौल को खुशनुमा बना रहा था। बाहर झमाझम बारिश हो रही थीं। हवा का रुख कैफे की ओर होने की वजह से बारिश का पानी कैफे के दरवाजे पर आ रहा था जिसकी बूंदे दरवाजे पर एक अलग ही दर्पण बना रही थी। Day: 4 “एक लड़की भीगी-भागी सी” “सोती रातों में जागी सी” “मिली एक अजनबी से” “कोई आगे ना पीछे” “तुम्हीं कहो ये कोई बात है........ओ” “एक लड़की भ
Kamaal Husain
उतरा जो दिल में लफ्ज़ खुली एक किताब का तो होश ही नहीं रहा मुझे अपने आपका दिखाइए अब अपना talent nd follow Md writer.. काफ़ी लोगों क़ो शिक़ायत थी collab के लिये जगह नहीँ रहती चलिये अब करते हैं collab #mdwriterurdu