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जगदीश कैंथला

वीभत्स रस #बात

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Neeraj Gautam

वीर रस कविता #Poetry

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 वीर रस कविता

Aditya Nigam

हास्य रस कविता उदहारण

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जब से मंत्री बन गए , बेटा चंदूलाल

शान निराली हो गई , शुर्ख हो गए गाल 

शुर्ख हो गए गाल , न वोटर को पहचाने 

मां की रही न याद , बाप को बाप न माने हास्य रस कविता उदहारण

Sakshi Rajput

रोद्र रस कविता #kavita nojoto #nojotovideo

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Anjaan Saraswat

युद्ध नाद 
००००००००००००००
नाना अनुनय के शंद पढे़,
हम याचनाएँ नित करते रहे,
पर उसने एक ना मानी है!
बस युद्ध हो ऐसी ठानी है।।

कमज़ोर पे उसने बल डाला,
चहूं और है ऐसा छल डाला,
कायर ने छाती तानी है,
बस युद्ध हो ऐसी ठानी है।

कुदृष्टी ऐसी प्रबल डाली,
सब बसुधा उसने खल डाली,
नित करता वह नादानी है,
बस युद्ध हो ऐसी ठानी है।

धम्भी ने जाल विछाया है,
बच्चा-बच्चा थर्राया है, 
खुद को समझे नाफानी है,
बस युद्ध हो ऐसी ठानी है।

वह कहता है 'भगवान हूँ मैं,
ना माने तो, शैतान हूँ मैं,
कोई ना मेरा सानी है',
बस युद्ध हो ऐसी ठानी है।

कई बार है उसको चेत्ताया,
हमने पुरज़ोर है समझाया,
हाय कैसा वह अज्ञानी है!
बस युद्ध हो ऐसी ठानी है।

हर जीव का उसने त्रास किया,
मनु जीवन का उपहास किया,
कैसा दम्भी अभिमानी है,
बस युद्ध हो ऐसी ठानी है।।

ऐसे पौरुष का लाभ है क्या?
डर कर जीने का भाव है क्या?
समझो, तब व्यर्थ जवानी है,
बस युद्ध हो ऐसी ठानी है।

अब फैंसला इसी क्षण होगा,
मिट्टी में मिट्टी तन होगा,
जब वीर धरा पर उतरेंगे,
अति घोर भयंकर रण होगा!
००००००००००००००००
कापि र० अंजान सारस्वत #अंजान#सारस्वत#कविता#वीर-रस

kaviyatri shivalini yadav

वीर रस की बेहतरीन कविता,,,,,,,,

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Sonam Jain

1 श्रृंगार रस 2 हास्य रस 3 करुण रस 4 वीर रस 5 रोद्र रस 6 वीभत्स रस 7 भयानक रस 8 अद्भुत रस #Video #Nojotovoice #nojotohindi #kalam #कलम #nojotoenglish #KalamKiTaaqat #1jun

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मयुर लवटे

भय रस कविता प्रकार #for #you #story

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अमावस्येची रात्रं, 


एकटा रस्त्याच्या कडेला चाललो
अमावसेच्या काळ्या रात्री, 
सोबत कुणी असल्याचा झाला भास 
म्हणून पाहून इकडे तिकडे करू लागलो खात्री... 

पाहता दूरवर अंधारात 
दिसला थोडा प्रकाश, 
कसला तरी प्रकाश पाहून 
पाऊले टाकू लागलो पुढे सावकाश... 

अंधारातून टिमटिमत्या उजेडात 
एक लग्न जोड्यात सुंदर मुलगी दिसली, 
पाहत होतो दुरून तिला मी 
तर खदाखदा माझ्यावर हसली... 

हसत का आहे म्हणून 
मी प्रश्न केला तिला, 
लग्न माझ्याशी कर 
अशी म्हणत होती ती मला... 

तिचं असं बोलणं पाहून 
अचंबा च मला झाला, 
हात तिने पकडला माझा 
आणि गाठला कवठ्या नाला... 

कवठ्या नाल्यावर गेलो तर 
तिथे होतं समदं लग्नाचं वऱ्हाड, 
लग्न करण्यासाठी तिने हार न घालता 
टाकला गळ्यात माझ्या चऱ्हाड... 

मरून शरीर खाली पडलं तिथेच 
आणि माझा आत्मा झाला उभा, 
लग्न केलं तिच्या सोबत 
आणि संसार थाटला नवा... 

बरं झालं आईनं माझ्या
तोंडावर पाणी टाकलं, 
खरंच लग्न झालं त्या हडळ
सोबत, मला होतं वाटलं... 

मयुर लवटे भय रस कविता प्रकार #for #you
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