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SHIV KAILASH
बड़ी मुद्दतों से मिली हमें ,हाँ ये वही आजादी है। जहाँ सड़क पर बाशिन्दों की आज हो रही बर्बादी है। हाँ ये वही आजादी है। जहाँ नारी अपने चरित्र को लांछन से बचती है।हाँ ये वही आजादी है। जहाँ घुटता है गला अरमानों का, और मिलती शोर को शाबासी है।हाँ ये वही आजादी है। जहाँ माफ् है टैक्स अमीरों का ,किसान जिसके आदि है।हाँ ये वही आजादी है। जहाँ नियम धरे हैं जेबों में, जमाखोरों की ही चांदी है।हाँ ये वही आजादी है। जहाँ लड़ा है सैनिक सरहदों पर,और जनता पत्थरों की आदि है।हाँ ये वही आजादी है। जहाँ लुट रहें हैं धर्मों से ,पर बोलने की पाबंदी है।हाँ ये वही आजादी है। जहाँ धन चढ़ा है धर्मस्थानों पर,और आदम भूख का आदि है हाँ ये वही आजादी है। जहाँ वोट गया है लोकतंत्र को,पर हो रही गुट बाजी है।हाँ ये वही आजादी है। जहाँ खेल है पैसा बनाने का, और जरूरतमन्दों पर पाबंदी है।हाँ ये वही आजादी है। जहाँ हर शख्स डूबा है अपने मे, बस अपने मैं ही राजी है।हाँ ये वही आजादी है। जहाँ मिट गया था हर मजहब ,हाँ ये वही आजादी है। जहाँ हो रही शहीदों के अरमानों की बर्बादी है। हाँ ये वही आजादी है। हाँ ये वही आजादी है। "स्वतन्त्रता दिवस पर सभी शहीदों को तहे दिल से। प्रणाम श्रद्धा सुमन 💐💐💐💐 जिन्होंने हमारी आजादी में अपना योगदान दिया और उसे बनाये रखने मैं भी योगदान है।"🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 🇮🇳🇮🇳🇮🇳 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 वन्देमातरम। #independenceday2020 #आजादी# कविता
Kavi Aditya Shukla
यू कहते कहते वक्ता की आंखों में खून उतर आया मुख रक्तवर्ण होगया चमक उठी उनकी स्वर्णिम काया हम देंगे खून ,हम देंगे खून बस शब्द यही सुनाई देते थे रण रण में जाने को युवक खड़े तैयार दिखाई देते थे / इंकलाब जिंदाबाद जिंदाबाद!! ©kavi aditya shukla #आजादी #कविता #Sunrise
Dr Mahesh Kaushik
हिंदुस्तान के माथे सजी है हिंदी जन-जन की प्यारी बनी है हिंदी हिंदी है मान स्वाभिमान हमारा हिंदी है पूरे राष्ट्र की आंख का तारा हिंदी ही है प्रेम की अविरल धारा एकता के गीत का संगीत प्यारा जनमानस के हृदय बसी है हिंदी।। हिंदी हम सबका विश्वास है विकास की आशा व प्रकाश है खुशहाली का झरना बिंदास है सप्त सुरों की माला यह खास है संस्कृति की प्रहरी बनी है हिन्दी।। ऋषि मुनियों का आशीर्वाद है ये वेद पुराणों का अनुवाद है हिंदी की हुकूमत निर्विवाद है हिंदुस्तानी दिलों का आह्लाद है गीता सी धरोहर बनी है हिंदी ©Dr Mahesh Kaushik हिंदी दिवस पर एक कविता #Darknight
Kumar Pushpendra
दो कदम साथ चलकर तुमने साथ चलना छोड़ दिया। खाकर संग जीने की कसमें तन्हा मुझको छोड़ दिया। कसूर क्या था मेरे मासूम दिल का जो एक पल में तोड़ दिया। क्यो छोड़कर मेरी दुनिया गैरों से रिश्ता जोड़ दिया। मेरी सूनी दुनियां में तुम आज भी नज़र आते हो। खामोश पड़े रास्तों में तुम आज भी मुस्कुराते हो। जब निकलता हूँ तन्हा बाहर की दुनियां में हर कदम पर तुम ही नजर आते हो। तुम ही नजर........... ©Kumar Pushpendra #हर कदम पर हिंदी कविता #lunar
kumar parth shukla
✍️✍️🌹बेजुबा है,,पर न जाने क्या क्या बयां करती है, किताबे। हमें जीने का रोज नया सलीका बयां करतीहै,, किताबे हमें संस्कार सिखाती है, किताबें। हमें सही पथ पर यह ले जाती है किताबें। हर रोज नया सबक और सबब दे जाती है,, किताबें।हमे आपस में मिलकर रहना सिखाती हैं,, किताबे।🌹🌹 कवि – पार्थ शुक्ला ###❤️❤️हिंदी दिवस पर कविता