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Stories related to गये का बहुवचन

Radhe Radhe

चयन का,,,

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चलो कुछ दिन खिलखिला ले
काटों में रहकर भी मुस्कुराले
क्योकि हम जानते है विदा ही लेना है
सामाज के जंजीरो से बंधे
क्यूं अधिकार नही तुम्हे मुझे और मुझे तुम्हे चयन का
जय श्री राधे

©Radhe Radhe चयन का,,,

Yunus golden

#Thinking जो इक बार नज़र से उतर गये फ़र्क नहीं पड़ता वो किधर गये यूनुस गोल्डन

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White जो इक बार नज़र से उतर गये 
फ़र्क नहीं पड़ता वो किधर गये 
यूनुस गोल्डन

©Yunus golden #Thinking जो इक बार नज़र से उतर गये 
फ़र्क नहीं पड़ता वो किधर गये 
यूनुस गोल्डन

- Arun Aarya

#HeartBreak #ले गये

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मेरे आँखों की रौशनी , मेरी चमक , मेरे उजाले ले गये !

 मेरी गाँव की मोहब्बत को आकर ,, शहर वाले ले गये..!!

- अरुन आर्या

©- Arun Aarya #HeartBreak #ले गये

हिमांशु Kulshreshtha

ख्वाबों का...

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White ख्वाबों का
मासूम सा सवाल
कुछ उम्मीद है बाकी
या फ़िर
टूट जाएं हम

©हिमांशु Kulshreshtha ख्वाबों का...

TARUN KUMAR VIMAL

#BuddhaPurnima #महात्मा #बुद्ध #धर्म के पहले #वैज्ञानिक है, जिन्होंने उन्हें जाना वो इंसान बन गये, और जिन्होंने उन्हें नहीं जाना वो इंसानिय

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महात्मा बुद्ध धर्म के पहले वैज्ञानिक है,
जिन्होंने उन्हें जाना वो इंसान बन गये,
और जिन्होंने उन्हें नहीं जाना वो इंसानियत के 
दुश्मन बन गये.

©TARUN KUMAR VIMAL #BuddhaPurnima #महात्मा #बुद्ध #धर्म के पहले #वैज्ञानिक है,
जिन्होंने उन्हें जाना वो इंसान बन गये,
और जिन्होंने उन्हें नहीं जाना वो #इंसानिय

Praveen Jain "पल्लव"

#library अजायबघर जैसे घर हो गये

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Unsplash पल्लव की डायरी
प्यार के काबिल थे हम
घरौंदा अपना सजाना था
परवरिश देकर परिवारों को
संस्कारो और ममता का दायरा बढ़ाना था
मगर जमाने ने नारी को बरगला रखा है
खुद के बजूद की दुहाई देकर
शोषण का बाजार सजा रखा है
टूट रही है बुनियाद परिवारों की
सन्तति अमर्यादित हो रही है 
भोगवाद की भेंट चढ़ाकर
दायरे सब सिमट रहे है
माँ बहन बेटी सब कमाने निकल गये
अजायबघर जैसे घर हो गये 
                                   प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #library अजायबघर जैसे घर हो गये

Praveen Jain "पल्लव"

#GoodMorning कितने पहरे ईजाद किये गये है

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White पल्लव की डायरी
छाँव की पर्दादारी गयी
रिश्ते सब टूट गये
खिल ना सके
 इन पतझरो के बाद
कैद कही हवा पानी हो गये
ठूठ से हम बंजर खड़े है
खाद्यपानी नेता चर गये
अग्नि परीक्षा देते देते हम
ओवरेज की उम्र में चले गये
खता जो मैने समझी अब तक
साजिशों से ठगे गये है
बूँद तक की प्यास के लिये
कितने पहरे ईजाद किये गये है
                                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #GoodMorning कितने पहरे ईजाद किये गये है

RUPESH Kr SINHA

#घट गये जीवन का एक वर्ष

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.............................

©RUPESH Kr SINHA #घट गये जीवन का एक वर्ष

Praveen Jain "पल्लव"

#tanha हम तन्हा अकेले इस पड़ाव में रह गये

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पल्लव की डायरी
सुबह शाम रहती थी मेरे नाम
अरमान सब के मुझसे जुड़े थे
फिक्र सबकी मेरे हिस्से में थी
जोड़े रहते सबको एक सूत्र में
बस परिवारों की मुस्कराहट पर
हम फिदा रहते थे
 व्यस्त हो गये सब अपने मे अब
हम तन्हा अकेले इस पड़ाव पर रह गये
                                           प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #tanha हम तन्हा अकेले इस पड़ाव में रह गये

Anjali Jain

आज का विचार 08.12.24 आज का विचार

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आज प्रजातंत्र,भीड़तंत्र में बदल चुका है 
भीड़, पहले नेतृत्व को विवश करती है
 अपनी सुख सुविधाओं के लिए....
फिर स्वयं विवश होती है
 अपने दुःख और दुविधाओं से...!!

©Anjali Jain  आज का विचार 08.12.24  आज का विचार
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