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Laxmi Gaur Thapliyal
दूरियां नज़दीकियां इश्क़ की बारीकियां है नहीं कोई फासला भी तेरे - मेरे दरमियां। लक्ष्मी #alone इश्क़ की बारीकियां 💞
Ek villain
आज से ठीक दूसरे दिन देश का आम बजट पेश होने जा रहा है कारोबारी से लेकर आम कारगर और शेयर बाजार की टकटकी वित्त मंत्री की घोषणा पर लगी हुई है यह स्वाभाविक भी है क्योंकि विभिन्न क्षेत्रों के लिए किया गया 1 टन और करो के मार्ग पर हादसे से निवेशक समीकरण नए सिरे से बैठाया जाएंगे वहीं निवेश का मामला इतना पेचीदा है कि संवेदना है तो उसके लिए भी उसे लेकर कोई भविष्यवाणी करना कठिन हो जाता है फिर भी कुछ भरोसेमंद लोगों का निवेश दर्शन मार्गदर्शन से होता है ऐसे ही भरोसे का एक नाम है वह रन देकर उनका नाम है यही प्राप्त है कि प्रत्येक देश के दिग्गज निवेशक को उस देश का वर्ण विच्ड कहा जाता है वास्तव में यह निवेश कोई कला है तो भी फोटोस के सबसे बड़े कलाकार कहीं जाएंगे फिर भी एक नाम जिंदगी से निवेश के लिए अपने मंत्रियों को अभी तक कलम बंद नहीं किया लेकिन उनके पुत्र वधू रहे मेरी भी फर्टीविन कलर के साथ मिलकर बेफिट को बायो पुस्तक के माध्यम से दिया है यह पुस्तक अर्थशास्त्र किस में बताया गया है कि आप कौन सा मंत्री है जिससे बेटी को सोना बनाना जानता है और उसे सोने की चमक भी जल्द काफी नहीं पड़ती ©Ek villain #निवेश की बारीकियां सीखने वाले मंत्र #Thoughts
Mukesh Meet
हमें आता बहुत कुछ है मगर चालाकियां नहीं आती, तुम्हारी गूढ़ बातों की हमें बारीकियां नहीं आती। हमारा बोलना ज्यादा तुम्हें अच्छा नहीं लगता, तो सच मानो तुम्हारी चुप्पियां हमको नहीं भाती।। ©Mukesh Meet #न#चालाकियां#न#बारीकियां
Anamika Gupta
ग़ज़ल मुहब्बत का' होगा असर धीरे धीरे। ज़माने को' होगी ख़बर धीरे धीरे॥ जो' करके गए थे मुहब्बत का' वादा, वो' होते गये बेख़बर धीरे धीरे। सनम जब से तुम बेवफा हुए हो , मुहब्बत के' सूखे शजर धीरे धीरे। तरन्नुम मे' मैंने ग़ज़ल जब पढ़ी तो , हुई मस्त महफ़िल, नगर धीरे धीरे। जिधर देखिए अब दरिंदे खड़े हैं , बशर हो रहा जानवर धीरे धीरे । सभी के लिए अनु दुआ माँगती है, मिले सबको शुहरत मगर धीरे धीरे। --अनामिका "अनु" गया , बिहार शायरी की ग़ज़ल
Sudha Tripathi
आप सभी को आज रात 9:00 बजे आमंत्रित करती हूं पहली बार औपचारिक रूप से nojoto पे live show में आ रही हूँ ©Sudha Tripathi ग़ज़ल की शाम
Anamika Gupta
किसी को किसी की ज़रूरत नहीं है। बशर को बशर से मुहब्बत नहीं है। तुम्हीं पे सभी कुछ ऐ जानम है वारा कहूँ कैसे तुमसे कि उल्फ़त नहीं है। हुई है मुहब्बत तुम्हीं से सजन रे कहूँ तुझसे कैसे कि हिम्मत नहीं है। बहुत ज्ञान बांचा रहम भी करो अब मुझे ज्ञान की अब ज़रूरत नहीं है। दरिंदे हुए 'अनु' बशर आज देखो नजर में किसी की शराफ़त नहीं है। -- अनामिका 'अनु' गयाजी शायरी की ग़ज़ल
anil.gangwar.1994000
न तुम खुश हो न हम तो,खुशी किस हिस्से है। लोग गलतफहमी में हैं उनके अलग ही क़िस्से हैं।। जहन कांप जाता है मेरे शहर की वारदातों से। सियासत फिर से गर्मायी है पर हालात जैसे के तैसे हैं।। उन्हें ये लगता है कि मैं उनका गुनेहगार हूं। पर उन्हें खबर नहीं कि मै उससे हूं,बो मुझसे है।। सराफत मुझे सिखाओ ठीक है मैं सीख जाऊंगा। पर मै चुप रहूंगा उसके लिए, मोहब्बत मुझे जिससे है।। गंगवार अनिल 6396456757 @copyright ©anil.gangwar.1994000 ग़ज़ल अनिल की।। #DilKiAwaaz
LAKSHMI KANT MUKUL
कोहरे से झांकता हुआ आया मांगी थी रोशनी ये क्या आया सूर्य - रथ पर सवार था कोई उसके आते ही जलजला आया घोंसले पंछियों के फिर उजड़े फिर कहीं से बहेलिया आया दूर अब भी बहार आँखों से दरमियाँ बस ये फ़ासला आया काकी की रेत में भूली बटुली मेघ गरजा तो जल बहा आया जो गया था उधर उम्मीदों से उसका चेहरा बुझा बुझा आया बागों में शोख तितलियां भी थीं पर नहीं फूल का पता आया _लक्ष्मीकांत मुकुल लक्ष्मीकांत मुकुल की ग़ज़ल