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Naveen Dutt

"बेवफ़ाई की राख में जलते ख़्वाब"

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White ‎तू छोड़ गई थी उस...
‎अनजान शख़्स के लिए...
‎अब तू ही लुटना चाहता है,उसी अनजान शख़्स की वजह से...
‎जिसे चाँद समझा था तूने,वो धुंधला सा साया निकला...
‎जिसके वादों पे इतराती थी,वो तेरी ही परछाईं निकला...
‎तेरे अश्कों की कीमत उसने,एक हँसी में उड़ा दी थी...
‎जिस राह पे तेरा घर था,वहीं आग लगा दी थी...
‎अब लौटकर आई है,खुद को समेटने की ख़ातिर...
‎पर जो टूटा था तेरा दिल,वो जुड़ता नहीं है आखिर...
‎वो लफ्ज़ जो तूने कहे थे,अब भी सीने में चुभते हैं...
‎तेरी बेवफाई के ज़ख्म,हर रोज़ नए दर्द लिखते हैं...
‎ख़्वाब जो संजोए थे मैंने,वो राख बनकर उड़ गए...
‎तेरी मोहब्बत के मौसम,बस पतझड़ बनकर रह गए...
‎अब शिकवा नहीं,न गिला कोई,बस सब्र की राह पकड़ी है...
‎जो रोशनी बुझी थी दिल में,वो अब अंधेरों से गहरी है...
‎
‎

©Naveen Dutt "बेवफ़ाई की राख में जलते ख़्वाब"

AAYUSH DESHMUKH

"मुझसे पूछों न दर्द की हद अब जहर से आबलों को भर डाला पहले ससुराल में ही जलती थी अब तो सत्ता ने राख कर डाला!"

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Unsplash "मुझसे पूछों न दर्द की हद अब जहर से आबलों को भर डाला पहले ससुराल में ही जलती थी अब तो सत्ता ने राख कर डाला!"

©AAYUSH DESHMUKH "मुझसे पूछों न दर्द की हद अब जहर से आबलों को भर डाला पहले ससुराल में ही जलती थी अब तो सत्ता ने राख कर डाला!"

theABHAYSINGH_BIPIN

#GoldenHour Sheetal Shekhar Sarfraz Ahmad Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal) Monu Kumar Saurabh Tiwari नज़र से नज़र मिलाकर तुम क

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नज़र से नज़र मिलाकर तुम क्या करोगे,
ख़ुद की नज़र में उठाकर तुम क्या करोगे।
उठ रही हैं कितनी उंगलियाँ मुझ पर,
मैं कैसा हूँ, ये बताकर तुम क्या करोगे।

अब मुझमें रूहानी फ़क़ीर-सा जहाँ है,
कदम से कदम मिलाकर तुम क्या करोगे।
टूट चुका हूँ, बिखर चुकी है हस्ती मेरी,
अब मुझसे रिश्ता निभाकर तुम क्या करोगे।

बेमक़सद हूँ, अब ख़ुद का भी न रहा मैं,
मुझे अपना बनाकर भी तुम क्या करोगी।
मोहब्बत का साया जो राख़ हो चुका,
उस राख़ को हवा देकर तुम क्या करोगी।

ख़ुद को खो दिया और जहाँ को भी,
मुझसे हाथ मिलाकर तुम क्या करोगे।
बुझ चुकी है चिंगारी, फिर से नहीं जलेगी,
राख़ में शोला जगाकर तुम क्या करोगे।

भरी महफ़िल में अब मेरे चर्चे आम हैं,
मेरी दामन को बचाकर तुम क्या करोगे।
नहीं लग रही बोली इस नीलामी में मुझपर,
मेरी हैसियत को बढ़ाकर तुम क्या करोगे।

बदनामी के डर से पास खड़े न होते कुछ दोस्त,
और मुझसे नज़दीकियाँ बढ़ाकर तुम क्या करोगे।
मोम सा था दिल, अब तो पत्थर-सा हो गया,
इस पाषाण को पिघलाकर तुम क्या करोगे।

दुनिया ने जो किया, वो कर दिया, अब क्या होगा,
तुम्हारी बातों से तसव्वुर करके तुम क्या करोगे।
मुझसे मोहब्बत की जो जलती रही है आरज़ू,
उस आरज़ू को जिन्दा कर तुम क्या करोगे।

©theABHAYSINGH_BIPIN #GoldenHour 
 Sheetal Shekhar  Sarfraz Ahmad  Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal)  Monu Kumar  Saurabh Tiwari 
 नज़र से नज़र मिलाकर तुम क

V S

#lovelife जलते🔥 #ख्वाब #राख #nojohindi #nojofamily #nokotofalimy #nokotoshayari #nojoindia Bhavana kmishra Akshita Maurya vineetapanchal D

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Unsplash रोज रोज जलते हैं फ़िर भी राख ना हुए अजीब है कुछ ख्वाब भी बुझ कर भी 
राख ना हुए

©V S #lovelife #जलते🔥 #ख्वाब #राख #nojohindi #nojofamily #nokotofalimy #nokotoshayari #nojoindia Bhavana kmishra Akshita Maurya  vineetapanchal D

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर तूफ़ान आए तो मेरा हौसला देखो, डूबता हूँ, उभरता ज़रूर हूँ। गिरकर फिर से खड़ा, तूफ़ानों से लड़ने का तरीका, ढूंढता ज़रूर हूँ।

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तूफ़ान आए तो मेरा हौसला देखो,
डूबता हूँ, उभरता ज़रूर हूँ।
गिरकर फिर से खड़ा, 
तूफ़ानों से लड़ने का तरीका, ढूंढता ज़रूर हूँ।

राहें कठिन हो, फिर भी रुकता नहीं ,
गिरते हुए भी खुद को सम्भालता हूँ,
 हार नहीं मानता कभी, 
हर हाल में जूझता ज़रूर हूँ।

हर चोट ने मेरी पहचान बनाई है,
जो गिरा, उसने उठने की कहानी सुनाई है।
राख से उगने की आदत है मुझमें,
जलकर भी खुद को जलाता ज़रूर हूँ।

मुश्किलें मुझसे हार मान जाती हैं,
मेरे इरादे हर मोड़ पर मुस्कुराते हैं।
ज़िंदगी के हर तुफ़ान को मैंने देखा है,
पर ख़ुद को हर बार आज़माता ज़रूर हूँ।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 


तूफ़ान आए तो मेरा हौसला देखो,
डूबता हूँ, उभरता ज़रूर हूँ।
गिरकर फिर से खड़ा, 
तूफ़ानों से लड़ने का तरीका, ढूंढता ज़रूर हूँ।

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर जो दिल में चुप था, वो अब तकलीफ से रोया नहीं, पर उस चुप्पी में भी अब किसी और से बात करने की तलब है। वो जो जलते थे कभी, अब राख म

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White  जो दिल में चुप था, वो अब तकलीफ से रोया नहीं,
पर उस चुप्पी में भी अब किसी और से बात करने की तलब है।

वो जो जलते थे कभी, अब राख में तब्दील हो गए,
पर इस राख में अब भी किसी और से सुलगने की तलब है।

दर्द में डूब कर भी हमने खुद को तलाशा था,
अब उस तलाश में किसी और से मिलने की तलब है।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
जो दिल में चुप था, वो अब तकलीफ से रोया नहीं,
पर उस चुप्पी में भी अब किसी और से बात करने की तलब है।

वो जो जलते थे कभी, अब राख म

नवनीत ठाकुर

#शमशान में जमीन आज ही करवा लो नाम, आज उस का कल मेरा भी वही ठिकाना होगा। घर वर, बार वार रह जाने सब यहां, आख़िर वहीं जाना होगा। जिन्हें था गुर

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शमशान में जमीन आज ही  करवा लो नाम,
आज उस का कल मेरा भी वही ठिकाना होगा।
घर वर, बार वार रह जाने सब यहां,
आख़िर वहीं जाना होगा।
जिन्हें था गुरूर ये वक्त उनके साथ,
सबको राख में मिल जाना होगा।

©नवनीत ठाकुर #शमशान में जमीन आज ही करवा लो नाम,
आज उस का कल मेरा भी वही ठिकाना होगा।
घर वर, बार वार रह जाने सब यहां,
आख़िर वहीं जाना होगा।
जिन्हें था गुर
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