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Stories related to सहर अफ्शा

shamawritesBebaak_शमीम अख्तर

©मुझें लिखना आता है तभी तो मैं लिखती हूं.... जार जार होते अल्फ़ाज़ बिन्त हव्वा के हिस्से के रंजो अलम,वो मायूसी के आलम,वो शामो_ सहर जारों कता

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White ©मुझें लिखना आता है तभी तो मैं लिखती हूं....
जार जार होते अल्फ़ाज़
बिन्त हव्वा के हिस्से के रंजो अलम,वो मायूसी के आलम,वो शामो_ सहर जारों कतार अश्क, अलूदा चश्म से आलूदा  कजरारी पलके....
वो कुछ बुने हुए ख्वाब
कुछ गिले_शिकवे....?जो इब्न_आदम इल्म रखते हुए भी,औरत के अंतर्मन को जानबूझकर बेझिझक उसके द्वारा नजर अंदाज कर देना....
हां मैं लिखती हूं तरतीब से लफ्जों को पिरोकर,
तमाम आलमी औरत के अंतर्मन को,उनके मन में चलते शोरगुल करते सांय सांय सन्नाटे को....
गर रही हयात तो मै बहुत कुछ लिखूंगी इन
इब्न आदम पर भी ....
#Shamawritesbebaak

©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर ©मुझें लिखना आता है तभी तो मैं लिखती हूं....
जार जार होते अल्फ़ाज़
बिन्त हव्वा के हिस्से के रंजो अलम,वो मायूसी के आलम,वो शामो_ सहर जारों कता

RJ VAIRAGYA

#rjharshsharma #rjvairagyasharma metaphysical poetryआँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा तमाम उम्र कहा

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White आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा
वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा

तमाम उम्र कहाँ कोई साथ देता है
ये जानता हूँ मगर थोड़ी दूर साथ चलो

अभी तो जाग रहे हैं चराग़ राहों के
अभी है दूर सहर थोड़ी दूर साथ चलो

जब भी दिल खोल के रोए होंगे
लोग आराम से सोए होंगे

तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल
हार जाने का हौसला है मुझे

कितना आसाँ था तिरे हिज्र में मरना जानाँ
फिर भी इक उम्र लगी जान से जाते जाते

याद आई है तो फिर टूट के याद आई है
कोई गुज़री हुई मंज़िल कोई भूली हुई दोस्त

शहर-वालों की मोहब्बत का मैं क़ाएल हूँ मगर
मैं ने जिस हाथ को चूमा वही ख़ंजर निकला

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते
जो आज तो होते हैं मगर कल नहीं होते

ज़ब्त लाज़िम है मगर दुख है क़यामत का 'फ़राज़'
ज़ालिम अब के भी न रोएगा तो मर जाएगा

©RJ VAIRAGYA #rjharshsharma #rjvairagyasharma  metaphysical poetryआँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा
वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा

तमाम उम्र कहा

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर ज़िंदगी के हर मोड़ पर इम्तिहान ही तो है, हर जीत के पीछे छुपा अरमान ही तो है। ग़म का हर लम्हा सिखाता है सब्र, हर रात के बाद सहर

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ज़िंदगी के हर मोड़ पर इम्तिहान ही तो है,
हर जीत के पीछे छुपा अरमान ही तो है।
ग़म का हर लम्हा सिखाता है सब्र,
हर रात के बाद सहर की पहचान ही तो है।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
ज़िंदगी के हर मोड़ पर इम्तिहान ही तो है,
हर जीत के पीछे छुपा अरमान ही तो है।
ग़म का हर लम्हा सिखाता है सब्र,
हर रात के बाद सहर

नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर हो गई है रात बहुत, होने को है सहर, अब तो मुझे घर जाने दो। देख ले वो इक बार मुझे, मेरे होने का यकीं उन्हें हो जाने दो।

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हो गई है  रात बहुत, होने को है सहर,
अब तो मुझे घर जाने दो।
देख ले वो इक बार मुझे,
मेरे होने का यकीं उन्हें हो जाने दो।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
हो गई है  रात बहुत, होने को है सहर,
अब तो मुझे घर जाने दो।
देख ले वो इक बार मुझे,
मेरे होने का यकीं उन्हें हो जाने दो।

#Mr.India

ख़्वाहिशें तो बेपनाह हैं, मगर ख़ुद को तरसाना अभी बाक़ी है, सफ़र पर निकले हैं, लेकिन मंज़िल तक पहुंचना अभी बाक़ी है। उम्मीदें पलती हैं, फिर प

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White ख़्वाहिशें तो बेपनाह हैं, मगर ख़ुद को तरसाना अभी बाक़ी है,
सफ़र पर निकले हैं, लेकिन मंज़िल तक पहुंचना अभी बाक़ी है।
उम्मीदें पलती हैं, फिर पल में बिखर जाती हैं,
ठोकर लगती है तो ज़िंदगी रुककर ख़ुद सँभल जाती है।

हर मोड़ पर आफ़तें हैं, हर रास्ता अजनबी है,
सिरफ़रोशी का जज़्बा है, यही हमारी तलब है।
तूफ़ानों में चलने का इरादा हमने बांधा है,
जहाँ सहर नहीं, वहीं एक चिराग़ हमने जलाया है।

हवा के रुख़ से डरकर हम क़दम पीछे नहीं करते,
सूरज की तपिश में भी साया ढूंढ लिया करते।
मंज़िल नहीं तो क्या हुआ, सफ़र का मज़ा लिया जाएगा,
हर गिरते पत्थर को राह का नक़्शा बनाया जाएगा।

©#Mr.India ख़्वाहिशें तो बेपनाह हैं, मगर ख़ुद को तरसाना अभी बाक़ी है,
सफ़र पर निकले हैं, लेकिन मंज़िल तक पहुंचना अभी बाक़ी है।
उम्मीदें पलती हैं, फिर प

नवनीत ठाकुर

#हर लफ़्ज़ थमा है दर्द के नीचे, जुबां को फलक भर नहीं आती। सन्नाटे चीखते हैं दिल के अंदर, पर दुनिया को सहर नहीं आती। दिल की गुंजाईश है बेहिस

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White हर लफ़्ज़ थमा है दर्द के नीचे,
जुबां को फलक भर नहीं आती।
सन्नाटे चीखते हैं दिल के अंदर,
पर दुनिया को सहर नहीं आती।

दिल की गुंजाईश है बेहिसाब,
पर फिज़ा तक असर नहीं जाती।
ख्वाब जलते हैं रात की आग में,
सुबह उनकी खबर नहीं आती।

खुद से भी गुमशुदा हैं ऐसे,
जैसे राह कोई नजर नहीं आती।
आईने भी सवाल करते हैं अब,
पर उनकी सूरत उभर नहीं आती।

©नवनीत ठाकुर #हर लफ़्ज़ थमा है दर्द के नीचे,
जुबां को फलक भर नहीं आती।
सन्नाटे चीखते हैं दिल के अंदर,
पर दुनिया को सहर नहीं आती।

दिल की गुंजाईश है बेहिस

N S Yadav GoldMine

#sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} सहर की दवा और गांव की हवा करीब-2 एक समान है। जय श्री राधेकृष्ण जी।।

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White {Bolo Ji Radhey Radhey}
सहर की दवा और गांव की
हवा करीब-2 एक समान है।
जय श्री राधेकृष्ण जी।।

©N S Yadav GoldMine #sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey}
सहर की दवा और गांव की
हवा करीब-2 एक समान है।
जय श्री राधेकृष्ण जी।।

नवनीत ठाकुर

#हर रात की तन्हाई में चांदनी खो जाती है, सहर की रोशनी भी धुंधली हो जाती है। जिन लम्हों ने दिल पर दस्तक दी थी कभी, उन्हें दरकिनार किया जाए तो

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White हर रात की तन्हाई में चांदनी खो जाती है,
सहर की रोशनी भी धुंधली हो जाती है।
जिन लम्हों ने दिल पर दस्तक दी थी कभी,
उन्हें दरकिनार किया जाए तो मुश्किल होगी।

दर्द ने संवार दी हैं ये तहरीरें दिल की,
ग़म ने निखार दी हैं तस्वीरें दिल की।
हर कहानी का एक हिस्सा बन चुका हूँ मैं,
खुद को मिटाया जाए तो मुश्किल होगी।

आसमान से तारे भी पूछते हैं सवाल,
क्यों उजाले में भी दिखता है ये मलाल?
ज़िंदगी के हर ग़म को हमने गले लगाया,
अब उन्हें छोड़ दिया जाए तो मुश्किल होगी।

©नवनीत ठाकुर #हर रात की तन्हाई में चांदनी खो जाती है,
सहर की रोशनी भी धुंधली हो जाती है।
जिन लम्हों ने दिल पर दस्तक दी थी कभी,
उन्हें दरकिनार किया जाए तो
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