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Shilpa
पकडली है हमने तसबीह ये सोच के की जिसने इस काईनात को संभाला है वो इस नाचीज़ को भी संभाल लेगा 2020#shilpapandya
alex akash
एक सदमें से हम बाहर आ रहे है, लोग हैं की मुस्कुरा रहे है, तसबीह रखी सब ने अपनी सोच के, हम अब भी सिर्फ़ अपने हिस्से में आ रहे है। एक सदमें से हम बाहर आ रहे है, लोग हैं की मुस्कुरा रहे है, तसबीह रखी सब ने अपनी सोच के, हम अब भी सिर्फ़ अपने हिस्से में आ रहे है। #alexcolle
रजनीश "स्वच्छंद"
दरिद्र।। आयु दरिद्र, दीर्घायु दरिद्र, ज्ञान से है जटायु दरिद्र। दर्शन दरिद्र, दर्पण दरिद्र, अंजुरी और तर्पण दरिद्र। देव दरिद्र, दानव दरिद्र, पशु और मानव दरिद्र। सरस्वती दरिद्र दुर्गा दरिद्र, है ज्ञान और ऊर्जा दरिद्र। धरती दरिद्र अम्बर दरिद्र, है ईश और पैगम्बर दरिद्र। तसबीह दरिद्र माला दरिद्र, हर बालक और बाला दरिद्र। मुल्ला दरिद्र पंडित दरिद्र, है एकाकी और खण्डित दरिद्र। दुखी दरिद्र सुखी दरिद्र, अंतर और बहिर्मुखी दरिद्र। दिन दरिद्र रात दरिद्र, समूल मानव जात दरिद्र। ज्ञानियों का झुंड लो, क्यूँ दरिद्र, तुम ढूंढ लो। हर बात मैं ही क्यूँ कहूँ, काम मे अपना मुंड लो।। ©रजनीश "स्वछंद" दरिद्र।। आयु दरिद्र, दीर्घायु दरिद्र, ज्ञान से है जटायु दरिद्र। दर्शन दरिद्र, दर्पण दरिद्र, अंजुरी और तर्पण दरिद्र। देव दरिद्र, दानव दरिद्र
रजनीश "स्वच्छंद"
राजनीति की बात बताऊं।। तुम हो मेरे और मैं हूँ तेरा, कानों में एक बात बताऊं मैं, बड़ी अनोखी राजनीति है, तुम्हे इसका स्वाद चखाऊँ मैं। महिला का अपमान है होता, जनता बैठ बजाती ताली, इस युग मे भी बैठ यहां, तुम्हे महाभारत याद कराऊं मैं। धृतराष्ट्र अकेला अंधा था, अब पांडव भी मूक बधिर हुए, हो रही द्रौपदी रोज है नँगी, अब कृष्ण कहाँ से लाउं मैं। भीष्म पितामह राजभक्त थे, अब जनता उनका पर्याय है, किस मुख बोलो, इस जनता को राजधर्म सिखलाऊँ मैं। अश्वत्थामा लहु से लथपथ, फिर भी भ्रूण निशाना है, जो इस पापी को मार सके ब्रह्मास्त्र वो कैसे चलाऊँ मैं। दुर्योधन भी लगाए ठहाका, शकुनि है पासा फेंक रहा, धर्मराज बोली है लगाता, क्यूँ अब रोक उसे ना पाऊँ मैं। कपटी धृष्टद्युम्न की फौज खड़ी, द्रोण पड़े बिन माथा हैं, कैसे मैं संजय हो जाऊं, उसकी दृष्टि कहाँ से लाऊं मैं। कौन है पंडित कौन मौलवी, माला और तसबीह बिके हैं, अल्लाह ईश्वर नीलाम हुए, बोलो चैन कहाँ अब पाऊँ मैं। ©रजनीश "स्वछंद" राजनीति की बात बताऊं।। तुम हो मेरे और मैं हूँ तेरा, कानों में एक बात बताऊं मैं, बड़ी अनोखी राजनीति है, तुम्हे इसका स्वाद चखाऊँ मैं। महिला क