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Matangi Upadhyay( चिंका )
तुमने खबर ही कहाँ ली मेरी मेरे साथ रहते हुए भी बस मान लिया कि ठीक ही होगी, तुमने पूछा ही कहाँ कुछ मुझसे बस मेरी खामोशी को समझ लिया की मेरी हाँ ही होगी, मैं जरूरी ही कहाँ थी उतनी जितना मैंने खुद को तुम्हारी जिंदगी में समझ लिया, मैंने तो बस सोच लिया की मैं तुम्हारे लिए कुछ खास होऊँगी पर मैं स्वीकार ही कहाँ पायी कुछ सच बस पाले रही वहम की खुशी ऐसी ही होती होगी, ये जो मानने और होने के बीच का फर्क होता है न उसे स्वीकारने में एक उम्र साथ गुजार देते है दो लोग और फिर पता ही नहीं चलता की कब एक दूसरे की आदत बन गए..! ©Matangi Upadhyay( चिंका ) आदत बन गए हो तुम 🤔 #matangiupadhyay #thought #Life #Love
आदत बन गए हो तुम 🤔 #matangiupadhyay #thought Life Love
read moreJayesh gulati
Unsplash करता हूँ मैं बातें तुम्हारी, खुद से कई दफ़ा । मेरे ख्वाबों में, तेरी ये तस्वीर भी चलती हैं ।। पढ़ता हूँ मैं तस्बीह¹, हर रोज़ तेरे नाम की । सुना हैं, यह दुनियां खुदा के नाम से चलती हैं ।। (read full in caption) ©Jayesh gulati तुम, नहीं जानती ये कैसे चलती हैं । यहां सांसे मेरी, तेरे दीदार से चलती हैं ।। करता हूँ मैं बातें तुम्हारी, खुद से कई दफ़ा । मेरे ख्वाबों में
तुम, नहीं जानती ये कैसे चलती हैं । यहां सांसे मेरी, तेरे दीदार से चलती हैं ।। करता हूँ मैं बातें तुम्हारी, खुद से कई दफ़ा । मेरे ख्वाबों में
read moreAnjuu
Unsplash ए मोहब्बत सुन! आज फिर तेरे नाम पे रोना आया। कुदरत का फैसला था इश्क के अंजाम पे रोना आया। जो गुजरे थे साथ तेरे, वो लम्हें तमाम पे रोना आया। जंचते थे नाम हमारे साथ में, उस नाम पे रोना आया। ©Anjuu #L♥️ve दिल की जिस गहराई में आके बस गए हो तुम, तुम्हें वहां से निकालने के लिए मुझे एकबार तो मरना होगा!
L♥️ve दिल की जिस गहराई में आके बस गए हो तुम, तुम्हें वहां से निकालने के लिए मुझे एकबार तो मरना होगा!
read moreनवनीत ठाकुर
White षड्यंत्रों की छाया हर दिल पर भारी, भ्रष्टाचार की चादर ने लूट ली जिम्मेदारी। शोषण के जख्म चीखते हैं बेआवाज़, जुर्म के मंजर बन गए रोज़ का आगाज़। अपहरण के धंधे अब आम हो गए, अपराधी खुलेआम इनाम हो गए। छेड़छाड़ के ज़ख्म लहू-लुहान हैं, इंसाफ के मंदिर खुद बदगुमान हैं। यह कैसी सभ्यता, यह कैसी रवायत? जहां जुर्म को मिलती है हर इक सहायत। ©नवनीत ठाकुर #षड्यंत्रों की छाया हर दिल पर भारी, भ्रष्टाचार की चादर ने लूट ली जिम्मेदारी। शोषण के जख्म चीखते हैं बेआवाज़, जुर्म के मंजर बन गए रोज़ का आगा
#षड्यंत्रों की छाया हर दिल पर भारी, भ्रष्टाचार की चादर ने लूट ली जिम्मेदारी। शोषण के जख्म चीखते हैं बेआवाज़, जुर्म के मंजर बन गए रोज़ का आगा
read moreNaimuddin
Red sands and spectacular sandstone rock formations मैं तो खा मा खा में बदमान हो गया । इश्क़ उन्होंने किया मुझसे, और मेरा नाम हो गया ।। और अब वो छोड़ कर गए है इस तरह तन्हा मुझे, मेरा जीना और मरना हराम हो गया।। ©Naimuddin मैं तो खा मा खा में बदमान हो गया । इश्क़ उन्होंने किया मुझसे, और मेरा नाम हो गया ।। और अब वो छोड़ कर गए है इस तरह तन्हा मुझे, मेरा जीना और मरन
मैं तो खा मा खा में बदमान हो गया । इश्क़ उन्होंने किया मुझसे, और मेरा नाम हो गया ।। और अब वो छोड़ कर गए है इस तरह तन्हा मुझे, मेरा जीना और मरन
read morePoet Maddy
जब से उसकी मोहब्बत के हम गुलाम हो गए हैं, अपने शहर में हम काफ़ी ज़्यादा बदनाम हो गए हैं......... जब से हमने शुरू किया महबूब पर ग़ज़ल लिखना, शायरों की बस्तियों में महंगे हमारे कलाम हो गए हैं........ ©Poet Maddy जब से उसकी मोहब्बत के हम गुलाम हो गए हैं, अपने शहर में हम काफ़ी ज़्यादा बदनाम हो गए हैं......... #Slave#Love#Infamous#Town#Write#Gazal#Word#Ex
नवनीत ठाकुर
पहाड़ों से निकली एक धारा खास, सपनों से भरी, एक नई तलाश। पत्थरों से टकराई, राह बनाई, हर दर्द को हँसी में समेट लाई।। हर ठोकर को उसने गले लगाया, रुकना उसकी किस्मत में नहीं था। दर्द से उसने अपना राग बनाया, सच में, वो कभी थमा नहीं था।। जब सागर से मिली, वो हर्षित हुई, उसकी लहरों में हर पीड़ा समा गई।। सागर ने उसे अपनी बाहों में समेटा, उसकी हर बूंद में जीवन का सन्देश देखा। नदी ने कहा, "मैं खुद को समर्पित करती हूँ, पर हर बूंद से तुझे अमर कर देती हूँ।। फ़ना होकर भी, वो अमर हो गई, सागर के आँचल में हर याद बस गई। ©नवनीत ठाकुर फना हो कर भी अमर हो गए
फना हो कर भी अमर हो गए
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