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viraj gosavi

mandir sajali जत्रा सजली..///kokan/// #मराठीपौराणिक

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Hemant Madhukar Dange

पर्ण-फुलेही चिंब भिजली चमचमत्या पाण्याने सजली -हे.म.डांगे. #poem

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 पर्ण-फुलेही चिंब भिजली
चमचमत्या पाण्याने सजली
          -हे.म.डांगे.

Hemant Madhukar Dange

पर्ण-फुले ही चिंब भिजली चमचमत्या पाण्याने सजली... हे.म.डांगे. #poem

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 पर्ण-फुले ही चिंब भिजली
चमचमत्या पाण्याने सजली...
             हे.म.डांगे.

Anuradha Priyadarshini

Anekanth B

धरती

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धरती

धँस गई धरती उनकी
निवृत्ति की मेरी बात सुनकर
किसकी धरती ?
धरती किसीकी धँसी नहीं
तुम भ्रम में हो
धरती नहीं धँसती
वह सिर्फ़ घूमती है 
इसे कोई रोककर रख नहीं सकता 
धरती स्थिर नहीं है 
घूमती है उसे घूमने दो
क्यों उसे स्थिर रहने दो ।
कभी नहीं भरता जी
जितना भरो उतना ही 
रीता रहता है जी
हित इसीमें है 
इस सच को समझ लो ।
न धरती स्थिर , 
न आकाश स्थिर
धरती और आकाश के बीच
चर-अचर भी अस्थिर
इस परम सत्य को जानकर
चित्त को अपने में करो सुस्थिर
वहीं है परम सुख 
और परम आनंद भी भरपूर ।

-बाहुबली भोसगे धरती

Anekanth Bahubali

धरती

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धरती

धँस गई धरती उनकी
निवृत्ति की मेरी बात सुनकर
किसकी धरती ?
धरती किसीकी धँसी नहीं
तुम भ्रम में हो
धरती नहीं धँसती
वह सिर्फ़ घूमती है 
इसे कोई रोककर रख नहीं सकता 
धरती स्थिर नहीं है 
घूमती है उसे घूमने दो
क्यों उसे स्थिर रहने दो ।
कभी नहीं भरता जी
जितना भरो उतना ही 
रीता रहता है जी
हित इसीमें है 
इस सच को समझ लो ।
न धरती स्थिर , 
न आकाश स्थिर
धरती और आकाश के बीच
चर-अचर भी अस्थिर
इस परम सत्य को जानकर
चित्त को अपने में करो सुस्थिर
वहीं है परम सुख 
और परम आनंद भी भरपूर ।

-बाहुबली भोसगे धरती

Anuradha Priyadarshini

धरती #कविता

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Anuradha Priyadarshini

धरती #कविता

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Monika jayesh Shah

Asrahul

धरती #कविता #5LinePoetry

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#5LinePoetry पानी की उठती तेज लहर,
किरणों से घिरती देख पहर,
कोयल की कू कू की सरगम,
मध्यम चलती मनमोह पवन।

पत्तो का ये इठलाता पन,
घायल होता ये मेरा मन,
फूलो की महक का इतराना,
पानी में झलकता दीवाना,
इन लफ्जो में क्यों जान पिरो,
दिल का नजराना लिखता है,
धरती को खुदको सौंप कर,
ये शाम घराना लिखता है।।

©Asrahul धरती
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