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Hemant Madhukar Dange
पर्ण-फुलेही चिंब भिजली चमचमत्या पाण्याने सजली -हे.म.डांगे.
पर्ण-फुलेही चिंब भिजली चमचमत्या पाण्याने सजली -हे.म.डांगे. #poem
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पर्ण-फुले ही चिंब भिजली चमचमत्या पाण्याने सजली... हे.म.डांगे.
पर्ण-फुले ही चिंब भिजली चमचमत्या पाण्याने सजली... हे.म.डांगे. #poem
read moreAnuradha Priyadarshini
धरती माँ के गर्भ में,बहुत रत्न भंडार। जिसको पाने के लिये,मनुज का अत्याचार। ©Anuradha Priyadarshini #धरती
Anekanth B
धरती धँस गई धरती उनकी निवृत्ति की मेरी बात सुनकर किसकी धरती ? धरती किसीकी धँसी नहीं तुम भ्रम में हो धरती नहीं धँसती वह सिर्फ़ घूमती है इसे कोई रोककर रख नहीं सकता धरती स्थिर नहीं है घूमती है उसे घूमने दो क्यों उसे स्थिर रहने दो । कभी नहीं भरता जी जितना भरो उतना ही रीता रहता है जी हित इसीमें है इस सच को समझ लो । न धरती स्थिर , न आकाश स्थिर धरती और आकाश के बीच चर-अचर भी अस्थिर इस परम सत्य को जानकर चित्त को अपने में करो सुस्थिर वहीं है परम सुख और परम आनंद भी भरपूर । -बाहुबली भोसगे धरती
धरती
read moreAnekanth Bahubali
धरती धँस गई धरती उनकी निवृत्ति की मेरी बात सुनकर किसकी धरती ? धरती किसीकी धँसी नहीं तुम भ्रम में हो धरती नहीं धँसती वह सिर्फ़ घूमती है इसे कोई रोककर रख नहीं सकता धरती स्थिर नहीं है घूमती है उसे घूमने दो क्यों उसे स्थिर रहने दो । कभी नहीं भरता जी जितना भरो उतना ही रीता रहता है जी हित इसीमें है इस सच को समझ लो । न धरती स्थिर , न आकाश स्थिर धरती और आकाश के बीच चर-अचर भी अस्थिर इस परम सत्य को जानकर चित्त को अपने में करो सुस्थिर वहीं है परम सुख और परम आनंद भी भरपूर । -बाहुबली भोसगे धरती
धरती
read moreAnuradha Priyadarshini
सुनो धरा के लाल सुनो अब, जंगल को अब न कटने दो। धरा को वात्सल्य लुटाने दो, जीवन को मुस्कराने दो।। ©Anuradha Priyadarshini धरती
धरती #कविता
read moreAnuradha Priyadarshini
धरती की बातें बड़ी ही निराली बदले मौसम की अपनी कहानी कभी जाड़े की धूप मन खिलाए वही धूप गर्मी में बहुत झुलसाती ©Anuradha Priyadarshini धरती
धरती #कविता
read moreAsrahul
#5LinePoetry पानी की उठती तेज लहर, किरणों से घिरती देख पहर, कोयल की कू कू की सरगम, मध्यम चलती मनमोह पवन। पत्तो का ये इठलाता पन, घायल होता ये मेरा मन, फूलो की महक का इतराना, पानी में झलकता दीवाना, इन लफ्जो में क्यों जान पिरो, दिल का नजराना लिखता है, धरती को खुदको सौंप कर, ये शाम घराना लिखता है।। ©Asrahul धरती
धरती #कविता #5LinePoetry
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