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Dr. Shakuntala Sarupariya
Roshan Shayar
unforgettable
गिरता है अपने आप पर, "दीवार" की तरह..! _अन्दर से जब, "चटख़ता" है.. "टुटा हुआ आदमी"...!! #बिखरना#चटकना#पत्थर#आदमी
NEERAJ SIINGH
कहीं पर कोई रिश्ता तड़प रहा होता हैं तो कहीं पर कोई रिश्ता तड़क गया होता हैं तड़क - टूटना , चटकना , दरार #neerajwrites ☺ #yqbaba #yqdada
||स्वयं लेखन||
ये रिश्ते कांच जैसे एक चटकन से टूटकर बिखर जाते हैं। ©Gunjan Rajput ये रिश्ते कांच जैसे, एक चटकन से टूटकर बिखर जाते हैं। #story #Life #Life_experience #thought #Poetry
Ankur tiwari
शीशा नही हैं लोग यहां, पर न जाने क्यों चटकने लगे हैं कमियां निकालने को मेरे किरदार में,वो भटकने लगे हैं और 'अंजान' जब अपनी शर्तो पर आगे बढ़ निकले हम कंबख्त दुनियां को ही नही,अपनो को भी खटकने लगे है ©Ankur tiwari शीशा नही लोग यहां, पर न जाने क्यों चटकने लगे हैं कमियां निकालने को हमारे किरदार में,वो भटकने लगे हैं और 'अंजान' जब अपनी शर्तो पर आगे बढ़ नि
Harshita Dawar
रिश्तों के चटकने की आवाज़ नहीं हो रही ख़ामोशी से खामोश लिहाज़ में तकरार नही हो रही मिलना जुलना सब डिजिटल होता गया अब एक कॉल में भी बुनियाद नहीं हो रही सोशल डायटक्स इतना हुआ के कम अब डिस्टेंस नही हो रही लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप स्टेटस में काल का भी साथ नहीं हो रहा हो क्या रहा हैं खुद में सीमित है डिप्रेशन का एहसास भी नहीं हो रहा रिश्तों के चटकने की आवाज़ नहीं हो रही ख़ामोशी से खामोश लिहाज़ में तकरार नही हो रही मिलना जुलना सब डिजिटल होता गया अब एक कॉल में भी बुनियाद न
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
यादें दिसम्बर कि इस ठंड में एक अजीब सी चूभन होती है जब याद आती है .....माँ वो माँ के संग चूले पर बैठना वो जलती हुई लकडियों का चटकना चूले पर रखी दाल कि खूशबू का महकना उन लाल लाल अगारों मे रोटी का फूलना बडा सकून मिलता था जब एक रोटी वहीं बैठे गुड के साथ खा लेना आज भी दिसम्बर वही है पर....माँ नहीं बस रहती है तो अतीत की कुछ यादें सीने के किसी कोने पर- जैसे ठंड से ठिठुरती हुई.... 🖋.... ©Ankur Mishra #यादें दिसम्बर कि इस ठंड में एक अजीब सी चूभन होती है जब याद आती है .....माँ वो माँ के संग चूले पर बैठना वो जलती हुई लकडियों का चटकना चू