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Dr. Shakuntala Sarupariya

गजल -शीशा -ए- दिल को चटकने के लिए छोड़ दिया। मेरी खुशियों को मचलने के लिए छोड़ दिया।। a a ghazal by Dr. Shakuntala sarupria from Udaipur -Ra #शायरी

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Roshan Shayar

#lovebeat दिल टूटने पर आवाज नहीं आएगी चटकने की...#dilkibaat #shyari #merikalamse #sayar #शायरी

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Shrikant Sindhu Madhukar

स्वतःचं कुसळ नाही पण दुसऱ्याच्या डोळ्यातलं मुसळ चटकन दिसतं ना?

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unforgettable

गिरता है अपने आप पर, "दीवार" की तरह..!
_अन्दर से जब, "चटख़ता"  है.. "टुटा हुआ आदमी"...!! #बिखरना#चटकना#पत्थर#आदमी

NEERAJ SIINGH

तड़क - टूटना , चटकना , दरार #neerajwrites#yqbaba #yqdada

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कहीं पर कोई 
रिश्ता तड़प 
रहा होता हैं 

तो कहीं पर 
कोई रिश्ता 
तड़क गया 
होता हैं
 तड़क - टूटना , चटकना , दरार 
#neerajwrites ☺ #yqbaba #yqdada

||स्वयं लेखन||

ये रिश्ते कांच जैसे, एक चटकन से टूटकर बिखर जाते हैं। #story Life #Life_experience #thought Poetry #विचार

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ये रिश्ते कांच जैसे एक चटकन से 
टूटकर बिखर जाते हैं।

©Gunjan Rajput ये रिश्ते कांच जैसे, एक चटकन से 
टूटकर बिखर जाते हैं।

#story #Life #Life_experience #thought #Poetry

Ankur tiwari

शीशा नही लोग यहां, पर न जाने क्यों चटकने लगे हैं कमियां निकालने को हमारे किरदार में,वो भटकने लगे हैं और 'अंजान' जब अपनी शर्तो पर आगे बढ़ नि #शायरी

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शीशा नही हैं लोग यहां, पर न जाने क्यों चटकने लगे हैं
कमियां निकालने को मेरे किरदार में,वो भटकने लगे हैं 
और 'अंजान' जब अपनी शर्तो पर आगे बढ़ निकले हम
कंबख्त दुनियां को ही नही,अपनो को भी खटकने लगे है

©Ankur tiwari शीशा नही लोग यहां, पर न जाने क्यों चटकने लगे हैं
कमियां निकालने को हमारे किरदार में,वो भटकने लगे हैं 
और 'अंजान' जब अपनी शर्तो पर आगे बढ़ नि

Harshita Dawar

रिश्तों के चटकने की आवाज़ नहीं हो रही ख़ामोशी से खामोश लिहाज़ में तकरार नही हो रही मिलना जुलना सब डिजिटल होता गया अब एक कॉल में भी बुनियाद न #yqbaba #yqdidi #yqtales #yqhindi #yqquotes

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रिश्तों के चटकने की आवाज़ नहीं हो रही
ख़ामोशी से खामोश लिहाज़ में तकरार नही हो रही
मिलना जुलना सब डिजिटल होता गया अब एक कॉल में भी बुनियाद नहीं हो रही
सोशल डायटक्स इतना हुआ के कम अब डिस्टेंस नही हो रही
लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप स्टेटस में काल का भी साथ नहीं हो रहा
हो क्या रहा हैं खुद में सीमित है डिप्रेशन का एहसास भी नहीं हो रहा
 रिश्तों के चटकने की आवाज़ नहीं हो रही
ख़ामोशी से खामोश लिहाज़ में तकरार नही हो रही
मिलना जुलना सब डिजिटल होता गया अब एक कॉल में भी बुनियाद न

मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *

#यादें दिसम्बर कि इस ठंड में एक अजीब सी चूभन होती है जब याद आती है .....माँ वो माँ के संग चूले पर बैठना वो जलती हुई लकडियों का चटकना चू #Yadein #TYPEWRITER_SAYS

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यादें
दिसम्बर कि इस ठंड में 
एक अजीब सी चूभन होती है 
जब याद आती है .....माँ
वो माँ के संग चूले पर बैठना 
वो जलती हुई लकडियों का चटकना 
चूले पर रखी दाल कि खूशबू का महकना 
उन लाल लाल अगारों मे रोटी का फूलना 
         बडा सकून मिलता था जब
एक रोटी वहीं बैठे गुड के साथ खा लेना 
आज भी दिसम्बर वही है पर....माँ नहीं
बस रहती है तो अतीत की कुछ यादें 
सीने के किसी कोने पर- जैसे ठंड से ठिठुरती हुई.... 
🖋....

©Ankur Mishra #यादें

दिसम्बर कि इस ठंड में 
एक अजीब सी चूभन होती है 
जब याद आती है .....माँ
वो माँ के संग चूले पर बैठना 
वो जलती हुई लकडियों का चटकना 
चू

electrovalent vishal Vardhamane

अशीच आहे ती अशीच आहे ती .. परक्यांनाही आपलसं करणारी , आपल्यांना काळजाशी धरणारी .. पोटभर जेवूनही उपाशी म्हणणारी , दुसऱ्याच्या सुख

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अशीच आहे ती 
  अशीच आहे ती ..
  परक्यांनाही आपलसं करणारी ,
  आपल्यांना काळजाशी धरणारी ..
  पोटभर जेवूनही उपाशी म्हणणारी ,
  दुसऱ्याच्या  सुख
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