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SK Singhania
बचपन में जिसे चान्द सुना था..! हो_जाऐगा_चेहरा यसा_ना_सोचा_था हम रोएंगे इतना हमें मालूम नही था..! बह जाएंगा चेहरा हमे मालूम नही था..! #Skg ©SK Singhania #waiting बचपन में जिसे चान्द सुना था..!हो_जाऐगा_चेहरा यसा_ना_सोचा_था हम रोएंगे इतना हमें मालूम नही था..! बह जाएंगा चेहरा हमे मालूम नही था..!
~Bhavi
बचपन में जिसे चाँद सुना था..... हो जायेगा चेहरा न ये सोचा था.... वैसे तो नज़र आते हैं... सब अपने हैं लेकिन.... कोई नहीं है अपना .... मालूम नहीं था.... हम रोयेंगे इतना हमें मालूम नहीं था.... बह जाएगा चेहरा .... हमें मालूम नहीं था।।। #भावना #footsteps #चेहरा→🌾 #लव❤ #प्यार😍 #तलाश❤️ #नोजोतो❤ बचपन में जिसे चाँद सुना था..... हो जायेगा चेहरा न ये सोचा था.... वैसे तो नज़र आते हैं...
#footsteps चेहरा→🌾 लव❤ प्यार😍 तलाश❤️ नोजोतो❤ बचपन में जिसे चाँद सुना था..... हो जायेगा चेहरा न ये सोचा था.... वैसे तो नज़र आते हैं... #Comedy #भावना
read moreMiss Poonam.PP
रुसवाइयों से कोशो दूर था वो जिसे मैं बचपन कहता था खेल में इतना मदमस्त था वो दुनिया की न खबर उसे थी पर हर खिलौना उसकी पहचान थी वो भी क्या दिन थे जब मां की लोरी में नींद छिपी थी छोड़ निवाला मुँह का वो दौड़ पड़ता था खेल में आज जवानी की दौड़ ने मिटा दिया है बचपन को ले लिया हर वक्त ,आगे बढ़ने की दौड़ ने अब न वो दोस्त रहा, और न अब वो दौर रहा जिसे मैं बचपन कहता था अब न वो अनोखा काल रहा -PP ©Miss Poonam.PP #जिसे मैं बचपन कहता था
#जिसे मैं बचपन कहता था
read moreParasram Arora
बचपन में एक तस्वीर मैंने अपनी भी बनाई थीं आज वो तस्वीर मुझे देख आंसू बहा रही. है अँधेरे से भरे रास्तो में जुगनूओं की जमात रास्ता दुखा रही खुदा की इनायत. पूरी कायनात में. जलवे दिखा रही. है हमारी जिंदगी में भी कोई फूल बन कर खिला था कभी उसीकी याद में आज एक नई गजल हमसे जन्म ले रही है ©Parasram Arora बचपन में... .
बचपन में... . #शायरी
read moreKumar Manoj Naveen
जब-जब फगुआ आवेला, लरिंकईया याद करावेला। होली जरावे खाती उ लकड़ी के जूगाड़, होली जारला के बाद उ भांजल लुकाड़, रंग घोरि फिचकारी,संग कईल खेलवाड, उ मस्ती अपार ,बड़ी गुदगुदावेला। जब-जब फगुआ आवेला... माई के बनावल पूवा-ठेकुआ अउर पकौड़ी के स्वाद, कटहर के तरकारी प पूड़ी अउर ओह प दही -सजाव, रंग से सनाइल हाथ से खाईल उ पकवान खास, सोचि-सोंचि के जिया हरसावेला। जब-जब फगुआ आवेला... गाँव-टोला के झुंड संगे घरे-घर जाके उ खेलल होली, ढोलक -झाल प फगुआ,जोगीरा अउर बोलल उ लगहर बोली, केहू संगे प्रेम से ,त केहू संग बरियरियो खेलल होली , होली के उ आनन्द अब कहाँ आवेला। साँझी के बेरा ,नाया -नाया कपड़ा पहिनल, घरे-घरे घूमिके,बड-छोट संग अबीर खेलल, बड-जेठ,काका-बाबा, के आशीर्वाद लिहल, गाँव के उ संस्कार ,बड़ी मनभावेला। जब-जब फगुआ आवेला... ***नवीन कुमार पाठक *** ©Kumar Manoj फगुआ बचपन में
फगुआ बचपन में
read moreAnees khan
ये दोस्ती के रिश्ते भी अजीब होते हैं, यूं उदासी तलाशती है मुझे! , जैसे बचपन में खो गया था में!! #Moody writer Anees khan जैसे बचपन में....