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Nova Changmai
दर क्या है??? एक लंबा हट्टा कट्टा आदमी उसी आवाज से बात कर रही है, और तुम सुनकर डर रही हो, उसको को दर नहीं बोलता है। जो बीते हुए कल है उससे शिक्षा लो, और जो आज करने वाले हो उसे किया नया क्या कुछ कर सकते हो उसके बारे में सोचो ,और डरो उस समय के लिए जो भविष्य में तुम्हारे जीवन को सुनहरी अक्षर में लिखकर जीवन को बदल सकता है। #सीखना #शायरी#कविता#रोमांस#मीनिंग #Motivational #Good #evening
Knowledge of 2023
Mahendra Sharma
😡😡 एक लड़की केदारनाथ दर्शन करने जाती है, वहां मुस्लिम कुली से उसको प्यार हो जाता है, लड़की का बाप कहता है 'ये रिश्ता हुआ तो प्रलय आ जायेगा' । लड़की कहती है 'फिर तो मैं प्रार्थना करती हूं कि प्रलय आये' । बादल फट जाता है, पूरा केदारनाथ डूब जाता है और वो मुस्लिम कुली दूसरे किसी मदद करने की बजाय सिर्फ हीरोइन को बचाता है और लड़की के बाप को दिव्य ज्ञान प्राप्त होता है कि प्रेम में जाती धर्म नहीं होता और हमारा देश गंगा जमुनी तहजीब वाला देश है (जैसे दिल्ली के अंकित सक्सेना को ज्ञान प्राप्त हुआ था) । वो अपनी लड़की का निकाह उस कुली से करवा देता है । ये कहानी है फ़िल्म केदारनाथ की । 😡 फ़िल्म से एक सीख और मिलती है कि हिन्दुओ ने अपनी लड़की का निकाह मुसलमानो से नहीं कराया तो प्रलय आएगा । बॉलीवुड वाले भांड क्या गुल खिला सकते हैं, समझ से बाहर है. केदारनाथ त्रासदी में करीब एक लाख लोग मारे गए, कइयों के तो शव भी नहीं मिले आज तक, पूरा देश खून के आंसू रोया था, जैसे अपना कोई सगा वाला मरा हो । इतनी भयानक घटना पर फ़िल्म भी बनाई तो उसमें भी लव जिहाद का जहर घोल दिया । केदारनाथ पर फ़िल्म ही बनानी थी तो सेना ने अपनी जान पर खेलकर कैसे लोगों की जान बचाई ये बताते । सेना का पराक्रम बताने की बजाय एक मुस्लिम कुली को महान बता दिया। ये वो फिल्मकार है जो पैसों की खातिर अपनी बहन बीवी बेटी भी सुला देंगे किसी के भी साथ। क्या फिल्म का नाम केदारनाथ रखकर भी ऐसी घटिया फिल्म बनायीं जा सकती है? 😡😡😡 केदारनाथ रिव्यू Havaruni Dueby Balakrishna Deepa Rajput Deepika Dubey Nidhi Dehru
prashant Singh rajput
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Taransh
Altifa
lalitha sai
एक कथा.. जिस कथा में हो एक ऐसा अर्थ सबके सोच के परे हो... कुछ लघुकथा ऐसे दिल चुरा लेते है.. कोई सोच भी नहीं सकता.. अंत में एक सुकून के एहसास को.. दिल और दिमाग़ में छा जाते है.. बहुत पहले से ही मैं शॉर्टफ़िल्म के शौकीन हूँ.. कुछ कुछ शॉर्टफिल्म्स ऐसे होते है.. जिसे title कुछ अलग होता है.. देखने के बाद पता चले.. कितना म
Abhishek Yadav
बरसती बूँदें अचानक ठहर गयी, बहती हुई तेज हवा भी थम गई चुपचाप। आपस में गुँथे हुये सब पर्वत ढीले होकर तकने लगे आकाश। उड़ते हुए रेत कण तटस्थ हो देखने लगे, रास्ते सारे मुड़कर आने लगे झील की ओर। फिर चहकते हुये जीवों की सब बोलियाँ छीन ली गयीं और तब उस पल झील की एक लहर जागृत हुई! वह सोचने लगी...🤔 क्या जन्म और पुनर्जन्म की बहस उसके लिए भी है? क्या उसका किनारे के पत्थरों से बार-बार टकरा जाना , पिछले जन्मों का परिणाम है? या आगे आने वाले जन्मों के लिए, जमा की जा रही कर्मों की पूँजी है? यूँ उसका मचलना, सूरज की किरणों में नाचना, ये सब क्या वह खुद कर रही है या करवाने वाला कोई और ही है? और वह सिर्फ एक माध्यम मात्र है! उसको यह जिज्ञासा भी हुई, कि उसके जीवन का रिव्यू कैसा होगा? रोज एक ही कार्य समान रूप से करने पर, निरंतरता के लिए प्रशंसा होगी! या बार-बार दोहराने पर, मौलिकता के अभाव वाली आलोचना होगी? उसने अपने चारों तरफ घूमकर देखा और खुद से पूछ बैठी- क्या वह सुन्दर दृश्य में टांक दिए जाने के लिए है केवल? पहले से तय एक भूमिका निभा देने के लिए है बस? कभी खुद तय करके किसी धारा में क्या बह पायेगी वह? उसे पहाड़, हवा, रास्ते, रेत, कण सब की दिनचर्या एकदम अपने जैसी लगी, और उनसे जवाब पाने की उम्मीद खोकर वह और निराश हो गई। इन गहरे सवालों के जवाब लहर को न मिलने थे और न मिले। रास्ते फिर चलने लगे वैसे ही दिशाहीन, जीव फिर से आवाज पा गए और निरर्थक कुछ कहने लगे। पहाड़ों ने फिर लहरों को घेर लिया, रेत, कण फिर उड़ने लगे तमाशा समाप्त देखकर। हवायें फिर से पगलाकर सरसराने लगीं, और लहरें फिर चल पड़ीं होकर उदास।😢 मगर! चलने के पहले एक लहर मेरे पास आयी और तपाक से बोली- "तुमने फिर मुझमें अपनी छवि खोज ली न ?"😕😍 -✍️ अभिषेक यादव बरसती बूँदें अचानक ठहर गयी, बहती हुई तेज हवा भी थम गई चुपचाप। आपस में गुँथे हुये सब पर्वत ढीले होकर तकने लगे आकाश। उड़ते हुए रेत कण तटस्थ ह