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@RD
इश्क़ के कदम ना पड़े मोहब्बत के शहर मोहब्बत ने इश्क़ से वादा लिया उसके नाम से मोहब्बत की धड़कने ना तेज़ हो फिर इश्क़ ने भी ये सौदा किया। इश्क़,,,अपने रूआब पर मोहब्बत ,,,,,,अपने शबाब पर उफ़.........दोनों में गुरुर दोनों मगरुर!।!! मगर.............प्यार में।❤ # मगर प्यार में
# मगर प्यार में
read moresawai singhai vineet kumar jain
जब तुम्हें देखा था , मेरे जीवन का नया सवेरा था। जब तूने मुझे इंकार किया, मेरे जीवन खुशियों का अंत था। कह नही सकते थे , प्यार की बातें तुमसे। क्योंकि मैं जानता था, कि प्यार के गरीब इंसा कभी प्त्रार नही कर सकता। प्यार की दुनिया
प्यार की दुनिया
read moreRavi Pratap pal
"कोरोना के खिलाफ"(कविता) आस लगाए बैठा था कि अब कोरोना टल सकता है एक दुपहरी से मजदूरों का भोजन चल सकता है पर अभी भी लोगों के हालत को नाजुक बनाए बैठे हो? कितनो को डूबा चुके कितने को डुबाए बैठे हो तेरे इस काले कारनामे को हम सब मिल मिटाएंगे जो सपना बन बैठे हो तुम, तुम पर ही छड़ी चलायेंगे जो फसें है तेरे उलझन में उनका भी एक अपना घर है एक पहर में मन लगता नहीं कैसे कहे कि 8 पहर है जो लट्ठ लाचारी के मारे अपने दर्द छुपाएं बैठे है कर दे उनको भी रिहा क्योंकि उनका भी एक शहर है तू निर्जीव निर्मित श्रेणी का एक तुच्छ दरिंदा है मानव भी सजीव श्रेणी का एक नादान परिंदा है मत जला रोज -रोज हर घर में चिराग को तू नश्वर रूपी मुर्दा है,नर"रवि" मानव रूपी जिंदा है BY RAVI PRATAP PAL जलो मगर प्यार से
जलो मगर प्यार से #कविता
read moreGaruna_Anurag
Garuna_Anurag ©Garuna_Anurag प्यार बहुत हैं मगर,,,
प्यार बहुत हैं मगर,,, #विचार
read moreRavi Pratap pal
"कोरोना के खिलाफ"(कविता) आस लगाए बैठा था कि अब कोरोना टल सकता है एक दुपहरी से मजदूरों का भोजन चल सकता है पर अभी भी लोगों के हालत को नाजुक बनाए बैठे हो? कितनो को डूबा चुके कितने को डुबाए बैठे हो तेरे इस काले कारनामे को हम सब मिल मिटाएंगे जो सपना बन बैठे हो तुम, तुम पर ही छड़ी चलायेंगे जो फसें है तेरे उलझन में उनका भी एक अपना घर है एक पहर में मन लगता नहीं कैसे कहे कि 8 पहर है जो लट्ठ लाचारी के मारे अपने दर्द छुपाएं बैठे है कर दे उनको भी रिहा क्योंकि उनका भी एक शहर है तू निर्जीव निर्मित श्रेणी का एक तुच्छ दरिंदा है मानव भी सजीव श्रेणी का एक नादान परिंदा है मत जला रोज -रोज हर घर में चिराग को तू नश्वर रूपी मुर्दा है,नर"रवि" मानव रूपी जिंदा है BY RAVI PRATAP PAL जलो मगर प्यार से
जलो मगर प्यार से #कविता
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