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arvind bhanwra
उन बूढ़ी उँगलियों का मखमली कंबल का स्पर्श, मानो खुदा की, मौसम को ढकने, सहने की तरीकाए-ब्यानी साफ़, पाक है । arvind bhanwra स्पर्श ।
Dr Mangesh Kankonkar
स्पर्श स्पर्श म्हणजे नेमक काय असते जे हाताना अनुभवते ते की जेव्हा पावसाचे थेंब शरीरावर पडल्यावर जे मनाला अनुभवते ते की पहिला पाऊस पडल्यावर ओल्या मातीचा जो दरवळ श्वास अनुभवते ते सांगा ना हो कुणी मला स्पर्श म्हणजे नेमक काय असते -मंगेश काणकोणकर स्पर्श
Rashmi Abhaya
आज भी मौजूद हैं माथे पे....तुम्हारे स्पर्श के एहसास, छुअन से सिमटते थे हम, और देख के खिलते थे तुम। 'रश्मि' #स्पर्श
Kamal bhansali
चाहत के दाग बड़े खरे होते क्योंकि इनमें सच्चाई के मोती जड़े होते इजहार में दम हो तो मौहब्बत कभी नहीं रुकती आहिस्ता से ही सही मंजिल का स्पर्श कर जाती ✍️कमल भंसाली #NojotoQuote स्पर्श
TubeLights
बैठा के सामने तुझे, सीने से लगा लूँ तस्वीर तेरी, आज की रस्म भी पूरी हो जाये और हद पार भी न हो ।। ©TubeLight स्पर्श ...
Babita Buch
तुम्हारे स्पर्श से मै मुकम्ल हो गई दो जिस्म एक जान हो गई तुम्हारी संसो की खुशबू मेरी संसो में बस गई जुल्फें लेहरा के तुमको अपना दीवाना बना गई जाओ तुम कही भी मेंरी मोहब्बत खिंच लयेगी छूड़ना चाहो लाख दामन फिर भी नजरे इनायत मुझी पर होगी है कुछ ऐसा मेरे खुदा का कमर आशिकी इनायत मुझी पर होगी ©Babita Bucha #स्पर्श
Pushpvritiya
नई सी लग रही हूँ मैं, सब कुछ नया नया सा हैं, कल प्रेम से मिली थी मैं, प्रेम ने छुआ सा हैं........ अलग सा ही खुमार हैं, नज़र में इक नशा सा हैं, ये कौन हैं जो इस तरह, अंतस में आ बसा सा हैं......... हाव भाव में मेरे, इक हर्ष सा घुला सा हैं, उलझी सी भंगिमाओं से,भेद भी खुला सा हैं.......... मैं प्रेम रंग में रंगी या जहां रंगा रंगा सा हैं, प्रीत ने अपना लिया, सब राख हैं धुआँ सा हैं.......... स्पर्श से इस भाव के, सब कुछ निखर निखर गया, देह आत्मा की छवि, कल क्या अब क्या सा हैं......... प्रीत ने अपना लिया सब राख हैं धुआँ सा हैं.......... ©Pushpvritiya #स्पर्श
somnath gawade
होता स्पर्श तुझा.. स्पंदने ही मंदावली रात्र डोळ्यात अंधारली सहवास तुझा झाला बोलता अन श्वास ही झाला मुका. #स्पर्श
Babli BhatiBaisla
हवाओं में महसूस होता है स्पर्श तुम्हारा बिना बोले ही तुमने क्यों कर लिया किनारा मेरे ख़यालों में आया जाया करती हो जैसे ख्वाबों में इतनी गहरी पकड़ रखती हो कैसे तुम्हारे मन से मै निकला हूं या निकाला गया हूं इतनी सी बात ही नहीं बता पाई तुम कैसे अगर परिवार के दबाव में हो तो कोई गिला नहीं परिवार और परवरिश में जीत परवरिश की है सही बबली भाटी बैसला ©Babli BhatiBaisla स्पर्श