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Shubhro K
एक लिहाज़ का ही तो फ़र्क़ था हम दोनों में, हमने तुम्हें रेहल पे रखा, तुमने हमें खिलौनों में! यही सोच के नहीं बुहारा हमने ये ग़रीबख़ाना, के कुछ यादें पड़ी होंगी अब भी घर के कोनों में! ©Shubhro K #Difference रेहल - लकड़ी का stand जिस पर रामायण, महाभारत जैसी पवित्र क़िताबों को रख कर पढ़ा जाता है! बुहारना - झाड़ू लगाना
ANIL KUMAR
राहें पुकारती मंजिल पुकारती; मुश्किलें ही किस्मत संवारती। जिंदगी का मतलब भी बतातीं; कदम दर कदम पथ बुहारतीं।। निश्छल ©ANIL KUMAR #BadhtiZindagi #Nishchhal #anilkumar #AnilKumarNishchhal राहें पुकारती मंजिल पुकारती; मुश्किलें ही किस्मत संवारती। जिंदगी का मतलब भी बतात
HINDI SAHITYA SAGAR
उसे तेज़ बुख़ार था फिर भी घर बुहार रही थी, कभी धोती कपड़े तो कभी बर्तन माँज रही थी, एक बड़े बच्चे और एक दुधमुँहे को भी संभाल रही थी, कोई उसका भी हाल पूँछे, कहाँ थी किसी को इतनी फुर्सत, निःस्वार्थ भाव से ख़ुद को उजाड़ रही थी, वो माँ थी दोस्त, ख़ुद को घिस-घिस कर हमको सँवार रही थी। ©HINDI SAHITYA SAGAR #MothersDay उसे तेज़ बुख़ार था फिर भी घर बुहार रही थी, कभी धोती कपड़े तो कभी बर्तन माँज रही थी, एक बड़े बच्चे और एक दुधमुँहे को भी संभाल रही थी
HINDI SAHITYA SAGAR
बचपन और माँ उसे तेज़ बुख़ार था फिर भी घर बुहार रही थी, कभी धोती कपड़े तो कभी बर्तन माँज रही थी, एक बड़े बच्चे और एक दुधमुँहे को भी संभाल रही थी, कोई उसका भी हाल पूँछे, कहाँ थी किसी को इतनी फुर्सत, निःस्वार्थ भाव से ख़ुद को उजाड़ रही थी, वो माँ थी दोस्त, ख़ुद को घिस-घिस कर हमको सँवार रही थी। ©HINDI SAHITYA SAGAR #maa #bachpan #poem #Hindi #hindi_poetry #hindisahityasagar #motherlove #Maa❤ #maa_ka_pyar उसे तेज़ बुख़ार था फिर भी घर बुहार रही थी, कभी धो
अनिल मालवीय मन्नत*
Divya Joshi