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dilkibaatwithamit
White यूं बेवजह नहीं त्यागा मैंने दुनिया का मोह मेरे किस्से का हर किरदार गद्दार निकला है... ©dilkibaatwithamit यूं बेवजह नहीं त्यागा मैंने दुनिया का मोह मेरे किस्से का हर किरदार गद्दार निकला है... #Sad_Status Noor Hindustani 'दर्द भरी शायरी'
यूं बेवजह नहीं त्यागा मैंने दुनिया का मोह मेरे किस्से का हर किरदार गद्दार निकला है... #Sad_Status Noor Hindustani 'दर्द भरी शायरी'
read moregaTTubaba
White सबसे बड़ा झूठ निकला ये तो की "तुम्हारी नहीं हैं तलाश हमें" ©gaTTubaba #Thinking सबसे बड़ा झूठ निकला ये तो की "तुम्हारी नहीं हैं तलाश हमें"
#Thinking सबसे बड़ा झूठ निकला ये तो की "तुम्हारी नहीं हैं तलाश हमें"
read moreseema patidar
आंखो में नमी ,हंसी लबों पर क्या हाल है, क्या दिखा रहे हो तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो क्या गम है........ जिसको छुपा रहे हो ....... ©seema patidar क्या गम है जिसको छुपा रहे हो तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो 🥺
क्या गम है जिसको छुपा रहे हो तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो 🥺
read more@Amarjeet Kumar shaksena
White मां कहती है... मुसीबत में आई हर लडकी को अपनी बहन मानकर मदद करना ताकी उसे भाई की कमी महसूस ना हो... ©@Amarjeet Kumar shaksena #Bhai_Dooj अपनी आंखों के सितारों छुपा लेंगे हम दम
#Bhai_Dooj अपनी आंखों के सितारों छुपा लेंगे हम दम
read moreनवनीत ठाकुर
इक उमर की चाहत थी, इक लम्हे की दस्तक, दरवाज़ा खुला तो ख्वाबों का सफर निकला। जो दिन था मुक़द्दर का, वो भी कुछ यूँ बीता, जैसे काग़ज़ पर गिरा, पानी का असर निकला। अरमान सजे थे जिनसे रोशन मेरी दुनिया, वो चिराग़ जला लेकिन हवा का असर निकला। मिलन की घड़ी आई तो जुदाई के साए थे, जिसे चाहा था अपना, वो भी बेख़बर निकला। ख़्वाबों की हक़ीक़त में जो देखा था कभी हमने, आईना दिखाया तो हर शक्ल बदल निकला। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर इक उमर की चाहत थी, इक लम्हे की दस्तक, दरवाज़ा खुला तो ख्वाबों का सफर निकला। जो दिन था मुक़द्दर का, वो भी कुछ यूँ बीता, जैसे का
#नवनीतठाकुर इक उमर की चाहत थी, इक लम्हे की दस्तक, दरवाज़ा खुला तो ख्वाबों का सफर निकला। जो दिन था मुक़द्दर का, वो भी कुछ यूँ बीता, जैसे का
read moreनवनीत ठाकुर
वक्त की रेत हाथों से यूँ फिसलती रही, हर पल में एक नई तलाश, जीने की राह चली। छोटी सी जिंदगी, एक बड़ी सी दास्तान बन गई, कुछ खोने के बाद ही, उसकी असली कीमत समझी हमने। वक्त ने सब कुछ छीन लिया, पर बहुत कुछ सिखा भी दिया, हर ख्वाब के पीछे, गहरे दर्द का ग़म छुपा हुआ मिला। वक्त ने छीना, मगर आईना भी साफ़ दिखा गया, जो मिला था, उसे संभालना हमें सिखा गया। ©नवनीत ठाकुर #वक्त की रेत हाथों से यूँ फिसलती रही, हर ख्वाब के पीछे, गहरे दर्द का ग़म छुपा हुआ मिला।
#वक्त की रेत हाथों से यूँ फिसलती रही, हर ख्वाब के पीछे, गहरे दर्द का ग़म छुपा हुआ मिला।
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