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KK क्षत्राणी
क्यु रात मे ही हमे सपने याद आते हैं तारो की तरफ देख कर अपने याद आते हैं जिंदगी रोशनी मे कहा जाती है दिन मे अपने चहरे छुपाय जाते हैं ©KK क्षत्राणी रात बड़ी रात
Deepanjali Patel (DAMS)
होली का है त्यौहार आया, भर कर पिचकारी, देखो गोविंद आया, भोली-सी है वृषभान दुलारी, उनको रंगने, देखो हमारा छलिया आया, प्यारी किशोरी जू ने फिर लठ उठाया, भगा-भगा कर फिर सब ग्वालों को खूब दौड़ाया, हाथ न उनके पर गोपाला आया, बांध के फेटा, फिर गोविंद ने धमाल मचाया, फूलों की पिचकारी लेकर, बांध कमर में बंसी लाया, प्रेम रंग की लीला कर, सबको प्रेम रंग में डुबोने आया, ढूँढ-ढूँढ फिर सब सखियन को गुलाल लगाया, नटखट मेरे कान्हा ने अपनी राधा संग ये त्यौहार मनाया।। ।।राधे-राधे।। ।।होली के रसिया की जय।। ।।नन्दकिशोर-वृषभान दुलारी की जय।। ©dpDAMS #Colors ।।होली के रसिया की जय।।
Rashiv
संघर्ष जितना कठिन होगा जीत उतनी बड़ी होगी। ©Rajkumari संघर्ष जितना कठिन होगा जीत उतनी बड़ी होगी।
Sk
संघर्ष जितना कठिन होगा जीत उतनी बड़ी होगी। ©Sk संघर्ष जितना कठिन होगा जीत उतनी बड़ी होगी।
Rakhee ki kalam se
असाधारण होने की होड़ लगी हो जहाँ वहां साधारण होने की बड़ी कीमत चुकानी होती है ********** कुछ अलग ही हमने भी शख्सियत है पाई बेगुनाह हो कर भी नज़रे अपनी ही झुकाई परवाह की अगन में नींदे अपनी ही झुलसाई उलझी हुई दुनिया हमें समझ नहीं आई बस यही वजह है कि हमने हर बार सरल होने की बड़ी कीमत है चुकाई खुद के मुरझाने की न की फिक्र कभी कुछ इस तरह हमने, अपनी बगिया महकाई हुआ अंधेरा तो समझ आया कि किसी और से गिला बेमानी है हो न पाई जब अपनी ,खुद अपनी ही परछाई रिश्तों ने खेली शतरंज कदम कदम और हर बार हमने मात ही खाई लाख ढाला खुद को हालात के सांचे में मगर फिर भी ,कृत्रिमता की झलक छलक ही आईठ हाँ ये सच है कि ये दुनिया हमें रास नहीं आई मगर एक सुकून नज़र आया ,खुद से जब भी नज़रे मिलाई मिला हर बार जबाब यही कि हाँ इसी की खातिर हमने बड़ी कीमत चुकाई (राखी की क़लम से) #बड़ी कीमत चुकाई #ज़िदंगी #सरल होना बहुत कठिन है
Raj Maurya
कठिन समय की चुनौती, केवल धैर्य और हिम्मत से जीती जा सकती है। कठिन समय की चुनौती,
Radheshyam
रास रचाएँ, मोहन रसिया मेरा मन, मन बसिया, हैं मेरा सांवरिया पूनम की रात में, चांदनी हैं बात में बनसी बजाएं सांवरिया.... गवालिन, गोपिन दूर-दूर से धुन बनसी सुन, चली-चली आए नाचे, बजाए मोहन संग सब प्रेम गीत गाए, राधा भी धुन सुन के आए, पत्ता-पत्ता इस मधुबन का, नाच रहा हैं मोहन मन का, थिरक रहें हैं फूल यहाँ के, नाच रहे सब मोहन मन का, भूल गए सारी बातें, एक हुए पास आते राधा श्याम की हो गई, कैसे समझ ना पाते, एक हुए पास आते.... ©Divyanshi Triguna "Radhika" #NojotoHindi #मोहन रसिया