Find the Latest Status about तीसरा भाग महाभारत का from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, तीसरा भाग महाभारत का.
Prakash Shukla
"मैं और मेरी तन्हाई" तीसरा भाग अब तक की उसकी शरारतें मेरे मन को छू चुकीं थी पर ये सब मुझे सचेत रहने का अंदेशा भी दे रही थीं उसकी हरकतें तो वीराने में खुशहाली लाने जैसी थी उसकी मुस्कान ही उसकी सबसे बडी़ ताकत थी मानो यूँ लगता था कि सारा संसार बौना है उसकी तरह जिन्दगी को देखना और उसे जीना बहुत कम लोगों को नसीब होता है और मै अपनी बात करूँ तो मात्र दो दिनों में ही मुझमें बदलाव आने शुरू हो गए मैने भी खुले आसमान मे उड़ते पंक्षियों की तरह अपने पंख फैलाने शुरू कर दिए थे और सोंच केवल उसकी तरह जीने मे सिमट कर रह गई थी उसका और मेरा सामना करीब दस दिनों तक नहीं हुआ हालाकि हम साथ मे एक क्लास मे बैठते थे पर उसने कभी मेरी तरफ ध्यान नहीं दिया पर मेरा ध्यान सिर्फ और सिर्फ उसकी ओर रहता थामै अन्दर से चाहता था कि मेरा उससे सामना हो और बात हो मै उसे करीब से जानना चाहता था पर वह मुझे भाव तो छोडो़ घास भी नहीं डालती थी पर एक बात तो थी कि उसने कभी मुझे निशाना नहीं बनाया था उसका क्या कारण था मैं नहीं जानता पर उसने कभी मेरी तरफ ध्यान भी नहीं दिया यह बात मुझे कचोट रही थी उसने सबको उल्लू बनाया था बारी बारी से उसने सबसे बात किया पहले तो उसकी गैरमौजूदगी सताती थी अब तो उसकी मौजूदगी खलने लगी थी पता नहीं संकोच से मैं इतना ग्रसित था कि मुझे बात तो करना था पर हिम्मत नहीं जुटा पाता था खैर लगभग जब दस दिन बीते तो वह मेरे पास आई और मुझसे कहा कि *प्रकाश* "मैं और मेरी तन्हाई"तीसरा भाग
Anjali Jain
चक्रवर्ती महाराज युधिष्ठिर जिस प्रकार दाँव पर दाँव लगाए जा रहे थे, क्या वो एक चक्रवर्ती महाराज को शोभा देता था ? पितामह भीष्म, विदुर, गुरुजन, और सभी भाईयों की चिंता व व्याकुलता को उन्होंने नजरअंदाज कर दिया, क्या यहाँ भी द्रोपदी दोषी थी? अपने निहित स्वार्थों के चलते चाटुकारिता करने वाली मंडली जब व्यक्ति के इर्दगिर्द मंडरा रही होती है तो मद में अंधा व्यक्ति क्या न कर गुजरे, दुर्योधन इसका साक्षी है! यश और सफलता किस तरह सिर चढ़कर व्यक्ति को बेभान कर देती है, युधिष्ठिर इसके साक्षी हैं? धृतराष्ट्र का पुत्र मोह क्या रंग लाया? माना दुर्योधन अपमान की आग में झुलस रहा था किन्तु युधिष्ठिर को यहाँ तक पहुँचाने में तो द्रोपदी का कोई हाथ न था! महारथी भाइयों ने तो कोई सवाल ही नहीं किया! "आर्य पुत्र तो धर्म राज हैं अपनी पत्नी को तो कोई अधर्मी भी दाँव पर नहीं लगाता! वह पहले अपने आपको हारे थे या मुझे!" प्रश्न पूछने का साहस रखने वाली द्रोपदी, संपूर्ण नारी जाति का अभिमान है हाँ, जुआ खेलना तो कतई गलत नहीं था, बस द्रोपदी के शब्दों ने महाभारत करवाई! वाह! पुरुषों का महा पौरुष!! #द्रोपदी और महाभारत, भाग 2, 19.04.20
Anjali Jain
कितना सरल है घर - परिवार के झगड़ों का कारण एक स्त्री को मान लेना, अपनी कमजोरियों का इल्जाम एक स्त्री के माथे मढ़ देना? माना कि द्रोपदी ने दुर्योधन को बहुत ही अनुचित वचन कहे, बहुत अपमानित किया, ऎसा एक सुशिक्षित और सुसंस्कृत महारानी को शोभा नहीं देता, किंतु क्या इस बात से इंकार कर सकते हैं कि दुर्योधन की लालची गिद्ध दृष्टि इंद्र प्रस्थ पर पहले ही पड़ चुकी थी! अपमान की घटना से पूर्व ही! जिनकी महत्वाकांक्षाएँ प्रारंभ से ही गलत दिशा में भटक चुकी थी, उन पर नियंत्रण करने वाला कोई नहीं था बल्कि शकुनि और अंगराज तो उन्हें निरन्तर हाँक ही रहे थे! चौसर खेलने का निर्णय शकुनि पहले ही ले चुके थे अतः चौसर खेलकर षड्यंत्र पूर्वक इंद्र प्रस्थ हड़पना तो पहले ही निश्चित हो चुका था, किन्तु क्या युधिष्ठिर की कमजोर मनःस्थिति इसके लिए जिम्मेदार नहीं थी कि वे अपने भाइयों और पत्नी को दाँव पर लगा सके! क्या इसके लिए द्रोपदी उत्तरदायी थी? माना दुर्योधन के हृदय में प्रतिशोध की ज्वाला धधक रही थी वह अपने अपमान का बदला किसी भी तरह से लेता लेकिन पूरे महाभारत के युद्ध के लिए द्रोपदी को उत्तर दायी ठहराना अहंकारी व सामन्ती मनोवृत्ति का परिचायक है जो सचमुच निंदनीय है #द्रोपदी और महाभारत, भाग 1, 19.04.20
Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
Parasram Arora
जीवन के महाभारत मे दुर्योधन भी है. युधिष्टर भी है. किन्तु कृष्णा का कोई आता पता नहीं है. और न ही उसकी बांसुरी सुनाई पड़ती है ©Parasram Arora जीवन का महाभारत
Ek villain
रामायण और महाभारत भारतीय संस्कृति की ओर से महाकाव्य जिन पर आधारित ना जाने कितनी पुस्तक लिखी जा चुकी है और ना जाने कितनी लिखी जाएंगी मराठी और हिंदी में पढ़ने के लिए खत में यह अर्जित कर चुकी है शुभम जी भांडे वाले ने महाभारत पर भी अपनी लेखनी चलाई है अर्थ महाभारत कथा कथन उनका नाम सद्य प्रकाशित उपन्यास भारत की कुछ प्रमुख तत्वों के चक्रण को नए तरीके से प्रस्तुत करने वाले विराट रूप में उपस्थित हैं भारत में उठाने वाले को मिलते हैं मैं पुस्तक आदि से लेकर अंत तक उपस्थित है श्री कृष्ण के उनके संवाद एकदम नई गंदी रिकी परिचय कराते हैं द्रोपति रुक्मणी के साथ श्री कृष्ण ने संवाद महाभारत के कुछ प्रसंगों के नए प्रति खोलते समय होते हुए युद्ध का वर्णन और सभी संपर्क किया है परिस्थिति निर्मित होने वाले दौरान विभिन्न पात्रों की मानसिक दोनों के वर्णन में कई बिंदुओं को भी उठाया गया है जिनकी प्रसन्न किया था आज भी है पुस्तक में भाषा का प्रवाह सामान्य लेकिन पाठकों की रुचि अंत तक बनी रहती है बड़ी बड़ी घटनाएं जेल के रूप में है लेकिन उनकी बहनें एक संदेश का प्रयास किया गया जो पाठक महाभारत के मूल वतन से परिचित हैं उन्हें भी इस के संवादों को भरपूर आनंद ©Ek villain #महाभारत का पुनर्गठन #adventure
savitri mishra
रण भूमि में अर्जुन था जब समां अनोखा बांधे बढ़ा भीड़ भीतर से सहता कर्ण शरासन साधे । कहता हुआ तालियों से क्या रहा गर्व में फूल ? अर्जुन ! तेरा सुयश अभी क्षण में होता है धूल । "तूने जो जो किया , उसे मैं भी दिख ला सकता हूं , चाहे तो कुछ नई कला भी सिखया सकता हूं । आंख खोल कर देख, कर्ण के हाथों का व्यापार , फूल सस्ता सुयश प्राप्त कर , उस नर को धिक्कार ।" ©savitri mishra rshimarthi भाग 1 #nojotohindipoetry #दिनकर #कर्ण #mishra #महाभारत #EarthDay