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# दहलीज़ पर कविता"

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White  दहलीज़ पर कविता"

बहुत पछताए ,घर की 
लांघ के "दहलीज़"हम लड़कपन में,

बड़ा भरोसा था जिनके वादे पे,
मौसम की तरह रंग बदल गए कुछ दिन में।

अनुजकुमार हेयय क्षत्रिय

© # दहलीज़ पर कविता"

Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)

White चुराय लियो,
    चित गोकुल को चोर..

माखन चोरी मटकी फोरी
छैल छबीली ब्रज की गोरी 
हाय री पड़ गई प्रीत के पाले
अब का होइगो मोर..!
                      चुराय लियो....!
जमुना तट पे बंशीवट पे
कुंज गलिन में वृन्दावन में 
जित को जाऊँ सब मोहे ताकें 
घर घर मच गयो शोर..!
                     चुराय लियो....! 
साँवली सूरत मनहर मूरत
श्यामल अलकें कंवल सी पलकें 
आन बसो है इन नैनन में,
बाँको नंदकिशोर..!
                     चुराय लियो....!

©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #कान्हा

Dr. Bhagwan Sahay Meena

कान्हा

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#कान्हा 

सब कहने की बात है पर....
जो जाहिर हो जाए वो दर्द कैसा...??
और जो समझ न सके वो हम दर्द कैसा...??

©Dr. Bhagwan Sahay Meena कान्हा

Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)

White श्याम सुंदर ना देरी लगाओ
   कब से ठाड़े हैं दर्शन कराओ
अर्जी सुनो.. अब ना बनो...2

हमनें सुना जब आये सुदामा
नंगे पग तुम दौड़े थे कान्हा
जरा हमको भी करके दिखाओ..!
श्यामसुंदर ना देरी लगाओ..!

बिदुरानी घर तुम पहुना से
खा गये छिलके तुम केला के 
जरा हमको भी खाके दिखाओ..!
श्यामसुंदर ना देरी लगाओ..!

जब प्रहलाद ने तुमको पुकारा
तब प्रगटे नरसिंह अवतारा
जरा हमको भी करतब दिखाओ..!
श्यामसुंदर ना देरी लगाओ..!

कहते हैं तुम भक्तों के चाकर
बंध गये द्वारे बलि के जाकर
कभी अंगना हमारे भी आओ..!
श्यामसुंदर ना देरी लगाओ..!

©अज्ञात #कान्हा

Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)

White कान्हा है हर रूप में तू
सुख दुःख छांव धूप में तू
ग्वाल बाल के संग में तू
प्रेम के जितने रंग में तू
जगत का पालनहार है तू 
मीरा का गिरधार है तू 
दीन हीन का दाता तू 
गीता का निर्माता तू 
गोप-ग्वाल की हृदय गति 
उद्धव मन मस्तिष्क मति 
मैया यशोदा की ममता 
युग परिवर्तन की तू क्षमता 
देवकी माँ की वेदना हो
ब्रज की सब संवेदना हो
रुक्मणी जी का दर्पण हो 
श्री राधा का समर्पण हो
वृंदावन की शांति हो
मथुरा की शुभ क्रांति हो
विकृतियों का दहन हो तुम 
आसुरी शक्ति हनन हो तुम 
अर्जुन की साहस शक्ति
मित्र सुदामा की भक्ति
तुम सर्वग्य तुम्हीं सृष्टि
दीन सुधा की तू दृष्टि
भावों से मिल जाओगे
तब कान्हा कहलाओगे..!

©अज्ञात #कान्हा

कवि प्रभात

#GoldenHour कुमार विश्वास की कविता कविता कोश प्यार पर कविता

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तूने वो काम किया,
जो न दुश्मन करे 
सोचे    करने से   पहले,
रब से डरे 
ज्ञान तुझको भी होगा
हो जैसा करम 2
फल करनी का वैसा 
भुगतान पड़े

©कवि प्रभात #GoldenHour  कुमार विश्वास की कविता कविता कोश प्यार पर कविता

himesh

#good_night कविता बारिश पर कविता

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White DARKNESS 🌑

©himesh #good_night  कविता बारिश पर कविता

Zindgi Ka Safar # priyaa

#good_night हिंदी कविता हिंदी दिवस पर कविता कविता कोश हिंदी कविता

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White जनाब यू इतराते है अपने गोरे रंग पर..
एक बार सांवले रंग पर फिदा होकर देखिये..
क्योंकि सितारे काले आसमान में ही खूबसूरत लगते हैं

©Zindgi Ka Safar # priya #good_night  हिंदी कविता हिंदी दिवस पर कविता कविता कोश हिंदी कविता

Writer Mamta Ambedkar

#Sad_Status प्यार पर कविता कविता कोश प्रेम कविता कविता कविताएं

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White बारिश की बूंदे

कितनी ख्वाहिश थी,
बारिश की बूंदों को,

आसमान से गिरकर,
जमीन में दफ्न होने की।

वो जो ऊंचाइयों में,
बादलों की गोद में थीं,

हर एक लम्हा सोचती थीं,
धरती की मिट्टी से मिलने को।

चमकते सूरज के डर से,
बादलों में छुपती रहीं,

पर दिल में हसरत थी,
जमीन की आगोश में समाने की।

फिर एक दिन बादलों ने भेजा 
उन्हें धरती को तोहफा बनाकर,

जीवन को सींचने,
और प्यास बुझाने।

गिरती रहीं,झूमकर, नाचकर,
हर पत्ती, हर शाख से लिपटकर,

मिट्टी की खुशबू में,
अपने अस्तित्व को मिटाने।

दफ्न होकर मिट्टी में,
वो बूंदें मुस्कुराईं,

कि उनकी ख्वाहिश ने,
जीवन को एक नई कहानी सुनाई।

ख्वाहिशें भी ऐसे ही,
अधूरी नहीं रहतीं,

आसमान से गिरकर,
ज़मीन पर मुकम्मल होती हैं।

राइटर ममता आंबेडकर मोटिवेशनल कवित्री

©Writer Mamta Ambedkar #Sad_Status  प्यार पर कविता कविता कोश प्रेम कविता कविता कविताएं

कवि प्रभात

#good_night प्यार पर कविता कविता कोश

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White साँझ ढली फिर नहीं आयी वो आज फिर
मैं राह देखते रहा होते रहा अधीर 
सोचते की किस खता की दे रही सज़ा 2
सोचते की कैसे हो गई बेपीर

©कवि प्रभात #good_night  प्यार पर कविता कविता कोश
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