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Ek villain
इंजीनियरिंग और चिकित्सा शिक्षा संस्थानों में दाखिले के लिए आयोजित होने वाली यहीं पर नेट की तर्ज पर केंद्र सरकार ने अब देश के सभी 45 केंद्रीय विद्यालय में नामांकन के लिए कॉमन यूनिवर्सिटी इंटर डेट शीट लागू करने का फैसला किया इस प्रणाली के लोग होने के केंद्रीय विश्वविद्यालय में स्नातक स्तर पन्ना का कटऑफ व्यवस्था समाप्त हो जाएगी इसमें कोई दो राय नहीं है कि उचित शिक्षा संस्था को पढ़ाई और शोध कार्य पर फोकस करना चाहिए ना की प्रवेश परीक्षा पर इसलिए यह काम टेस्टिंग एजेंसी ने करवाया फैसला स्वागत योग्य इसकी परीक्षा बढ़ने के साथ ही समय पर भी बचेगा पिछले साल तक देश के अलग-अलग बारहवीं कक्षा के आधार पर छात्रों को छात्र सभी केंद्रीय विश्वविद्यालय में दाखिले के योग्य है कि आयोजित की गई है किसी भी भाषा में ऑनलाइन परीक्षा में आयोजित होगा ©Ek villain #उच्च शिक्षा नामांकन की संयुक्त प्रवेश परीक्षा #Life
Sonali Agrawal
परीक्षाओं से जो डरने लगे हो ये कौन दिशा में चलने लगे हो इक दफा भूतकाल में जाकर आ संघर्षों को गले लगाकर आ... हौसला इक बार जगा फिर से मन को फौलाद बना फिर से और जब हो जाए सच सारे सपने फिर आना यहां अपनों के पास, तब सम्मान मिलेगा दुनिया में मुस्कुराहटें मिलेंगी मां की आंखों में, तो तू जा, मंजिल से रूबरू होकर आ जो चाहा है वो सब पाकर आ...— % & परीक्षा..
Ripudaman Jha Pinaki
राह नहीं आसान है चलना बड़ा ही दुर्गम ये जीवन है। पग-पग पर बाधाएं आएं ये जीवन एक कंटक वन है।। जाने क्या नियति में लिखा है कुछ न समझ में आता है। जो सोचूं होता ही नहीं ना सोचूं वो हो जाता है।। मृगमरीचिका में मन मेरा सदा भटकता रहता है। कहता नहीं किसी से कुछ भी खुद ही सब दुख सहता है।। अंधक वन सा जीवन मेरा दिखता नहीं प्रकाश जरा। फिर भी मैं दुर्भाग्य से अपने तिनका भर भी नहीं डरा।। निष्ठुर मेरा समय हुआ है या अभी परीक्षा बाकी है। इस जीवन गुरुकुल से मिलना कोई शिक्षा बाकी है।। रिपुदमन झा "पिनाकी" धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©Ripudaman Jha Pinaki #परीक्षा
Geeta Sharma pranay
"गृह-प्रवेश " =========== गृह प्रवेश था आज उसके घर में मेरा | मेरी ही नजर में थे अनजान स्वागत था ,सत्कार था | पर !बहू के रूप में नहीं , मेहमान के रूप में या सच्चा ग्रह प्रवेश तो वह था, जो वह मेरा हाथ थाम कर मुझे अपने प्यार की दुनिया में ले गया था | पर तभी तो वह अनजान न होकर मेरी आंखों का अरमान बन गया | शायद वह ऐसा अरमान था जो मेरी जिंदगी को सँवार देता जो कहीं जाकर भी हमारा 'प्रणय' तो हो जाता,,,,,,| गीता शर्मा 'प्रणय' गृह प्रवेश