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Devesh Dixit
खून इंसानियत का खून इंसानियत का ही कर रहे हैं हम लोग, इंसानियत कहां गई फिर कह रहे हम लोग। जब खुद से ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी, फिर क्यों पीड़ा से अब चिल्ला रहे हम लोग। मुसीबत में देख उसे अभी भाग रहे हम लोग, वक्त नहीं हमारे पास यही कह रहे हम लोग। कैसा अब ये स्वार्थी दौर चल रहा है देखो तो, खुद की बारी पर क्यों दुहाई दे रहे हम लोग। अपने ही परिवार को कुचल रहे हैं हम लोग, आए दिन अखबार में ही पढ़ते हैं हम लोग। अपराधों का दौर ही अब चल पड़ा है दोस्त, उन्हीं अपराधों पर पग रख चुके हम लोग। कुरीतियों ने मुँह को फाड़ा वहीं बढ़ रहे हम लोग, दूसरों पर व्यंग्य कसते खुद बहक रहे हम लोग। आदि न अंत हमारी समस्याओं का कभी होगा, इसलिए खून इंसानियत का कर रहे हम लोग। खून इंसानियत का ही कर रहे हैं हम लोग, इंसानियत कहां गई फिर कह रहे हम लोग। जब खुद से ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी, फिर क्यों पीड़ा से अब चिल्ला रहे हम लोग। .................................................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #खून_इंसानियत_का खून इंसानियत का खून इंसानियत का ही कर रहे हैं हम लोग, इंसानियत कहां गई फिर कह रहे हम लोग। जब खुद से ही अपने पैरों पर कुल्
Adhura_mai
हम किसी को भी एक बार पढ़ते हैं, मगर पूरी शिद्दत से पढ़ते हैं...😍😍 @adhuramai #adhuramai
prahlad mandal
मन की आवाजें चल पड़ती हैं आपतक आप पढ़ते हैं इसलिए तों हम लिखते हैं..❤️ ©prahlad mandal आप पढ़ते हैं . #BookLife
Ali Shamir Ali
हम जैसे सिरफिरे ही इतिहास रचते हैं !समझदार तो केवल इतिहास पढ़ते हैं !! हम जैसे सिरफिरे ही इतिहास रचते हैं !समझदार तो केवल इतिहास पढ़ते हैं !!
Manoj Nigam Mastana
हम लिखते रहते हैं वो पढ़ते रहते हैं, यूँ ही हम दोनो एक दूजे से मिलते रहते हैं. ©Manoj Nigam Mastana हम लिखते रहते हैं वो पढ़ते रहते हैं, यूँ ही हम दोनो एक दूजे से मिलते रहते हैं. #BahuBali
Bhuresingh Waskel
*🌹लिखी* हुई *बात* को प्रत्येक *पढ़ने* वाला नहीं *समझ* सकता *🌹क्योंकि* लिखने वाला *भावनाएं* लिखता है और *लोग* केवल *शब्द* पढ़ते हैं। *🌞सुप्रभात🌞* लोग केवल शब्द पढ़ते हैं।
shashi kala mahto
कुछ-कुछ कहते रहते हैं। लम्हें जो बहते रहते हैं।। मंज़र फिर भी कोरा है। वक्त तो पढ़ते रहते हैं।। ©shashi kala mahto #वक्त तो पढ़ते रहते हैं
Bhuresingh Waskel
*🌹लिखी* हुई *बात* को प्रत्येक *पढ़ने* वाला नहीं *समझ* सकता *🌹क्योंकि* लिखने वाला *भावनाएं* लिखता है और *लोग* केवल *शब्द* पढ़ते हैं। *🌞सुप्रभात🌞* लोग केवल शब्द पढ़ते हैं।