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ranjit Kumar rathour
हर दिन एक डर होता है और फिर एक कल होता है फिर चर्चे में एक दिन कम होता है जख्म गहरा और होता है कभी उस पर मरहम होता है तो कभी दर्द की बाम लेता हूँ मैं ही नही कोई डरा है कोई तस्वीरों में सहेज रहा कोई चंद पल और जी लेता है चलो हम भी भीड़ बन जाये साथ उसके जी कर अमीर बन जाये एक कहानी और गढ़ लू अगले पड़ाव में सुनने की तासीर बन जाये हा कहूंगा कि थी वो ऐसी मैं ही कई और भी मरता था साथ थोड़ा झुठ कहूँगा लेकिन प्यार हमी से करता था है प्यार हमी से करता था ©ranjit Kumar rathour कहूंगा झूठ प्यार हमी से करता तंग
Shubhanshi Shukla
तंग गलियाँ तंग गलियों से ख़्वाब गुज़रते देखे हैं सालों से सँभाले लम्हे बिखरते देखे हैं मुझसे आँख चुराने लगे हैं लोग सभी नुक्कड़ पर दो बातें करते देखे हैं सब को दिख जाती है बाहर की चोट दिलों के दर्द चेहरे पे उभरते देखे हैं घर की चार दीवारों में जो थे महफूज़ अपनों की आहट से डरते देखे हैं जो उन की आवाज़ से खिल जाते थे कभी कोने में वो बदन सिहरते देखे हैं ©Shubhanshi Shukla तंग गलियाँ #shubhu #daynamicshubhu #sad #loveline
Amit Seth
Kapil Saini
Sarfaraj idrishi
महफ़िलों में अब कोई रंग नहीं, तन्हाई भी करता अब तंग नहीं. ©Sarfaraj idrishi महफ़िलों में अब कोई रंग नहीं, तन्हाई भी करता अब तंग नहीं.official manoj Nautiyal indu singh Ayesha Aarya Singh POETICPOOJA naaz
Gajender Kumar
Sangeeta Kalbhor
Village Life ये कहाँ की है रवायते जो समझ नही आ रही है सता रही है एक चिंता जो बताने नही दे रही है..... माना कि मैं कमजोर नही विचारों एवं इरादों से तंग चल रही है सेहतभरी हवा कैसे बच पाऊँगी विवादों से शांत , सरल रहना पसंद करती हूँ मैं आरोग्य से भरपूर प्रेम करती हूँ मैं मुझे मेरे मैं से फकत इतना पूछना है मुझे यूं कबतक विवादों से झूजना है..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor ये कहाँ की है रवायते जो समझ नही आ रही है सता रही है एक चिंता जो बताने नही दे रही है..... माना कि मैं कमजोर नही विचारों एवं इरादों से तंग च
Kanhaiya Kanhaiya Kanhaiya
White मतलब की ईस दूनया में कोई भी अपना नहीं है ©Kanhaiya Kanhaiya Kanhaiya चांदनी चांद से होती सितारों से नहीं मोहब्बत एक से होती हजारों से नहीं
चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज
जितने लोग मशहूर हुए हैं ,पहले लोगों ने उनके अंदर कमियांँ निकाली। लोगों की सुनकर यह लोग बैठ जाते तो शायद, आज इनको अपनी पहचान नहीं मिल पाती। चेतना कहती है प्रकाश से-- हम संघर्ष करेंगे , आखिरी सांँस तक लड़ेंगे, मेरे जीने का यही तरीका है , "स्वयं से लड़ो दूसरों से नहीं ।"__ चेतना प्रकाश चितेरी, प्रयागराज ५/४/२०२४ , ६:२६ अपराह्न ©चेतना सिंह 'चितेरी ', प्रयागराज # स्वयं से लड़ो , दूसरों से नहीं #