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Hamid Ali
Vikas Sharma Shivaaya'
हनुमान बीज मंत्र: ॐ ऐं भ्रीम हनुमते,श्री राम दूताय नम: मंगल मंत्र : 'ॐ धरणीगर्भसंभूतं विद्युतकान्तिसमप्रभम। कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्रणमाम्यहम।। ' मंगल मंत्र बंक बिलोचन हंसनि मुरि मधुर बैन रसखानि ! मिले रसिक रसराज दोउ हरखि हिये रसखानि !! रसखान जी कहते है कि उनका ह्रदय तब बहुत ज्यादा आनंदित हो जाता है जब श्रीकृष्ण तिरछी नजरो से देखकर मुस्कुराते है और मीठी भाषा बोलते है , अर्थार्त जब रसिक और रसराज कृष्ण मिलते है तब ह्रदय में आनंद का प्रवाह होने लगता है ! 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' हनुमान बीज मंत्र: ॐ ऐं भ्रीम हनुमते,श्री राम दूताय नम: मंगल मंत्र : 'ॐ धरणीगर्भसंभूतं विद्युतकान्तिसमप्रभम। कुमारं शक्तिहस्तं तं मंगलं प्
💔 © शायर वफ़ादार 💔
आज कि कहानि हे (( क्यु ? )) #gif *(( "क्यु" )):* कुछ लोग जिंदगी में जिंदगी बनकर आते हैं अन्जाने होते हुए भि दिल अपना दे जाते हैं मुसाफ़िर नहीं वो हमशफ़र होते हैं और कुछ लो
Divyanshu Pathak
"वक़्त इंसान का सबसे बड़ा शिक्षक है" सुनने में बहुत अच्छा लगता है किन्तु यह एक पंक्ति शिक्षक की व्यापकता को संकुचित करने के लिए काफ़ी है। मुझे ये बात हज़म करने में बड़ी मशक्कत करनी होती है। शिक्षक,गुरु,आचार्य एक ही अर्थ में प्रयुक्त होने वाले शब्द हैं। किसी बच्चे को जंगल में बिना इंसानी संपर्क के रखा जाए तो वह "टार्जन" के अलावा क्या बन सकता है। वक्त के साथ क्या ज्ञान अर्जित कर पाएगा? परिस्थितियों से लड़ने और स्वयं को बचाने के अलावा क्या करेगा? आहार,निंद्रा,भय और मैथुन के अलावा उसे क्या सीख मिल जायेगी कोई बताये मुझे? संस्कृति और संस्कार का ज्ञान वक़्त के माध्यम से आ सकता है क्या? एक बेहतर शिक्षक अपने द्वारा दिये गए शानदार प्रशिक्षण से ही साधारण प्रतिभा को
Insprational Qoute
***दोहे*** प्रेम प्रेम तो सब करे,अर्थ भयो ना कोइ। जो भी जानत प्रेम को,वो मीरा सम होइ।। मोल मेरा न पूछिये ,पूछ लीजिये हाल। क्यो वक्त पर याद करे,मन मे उठे सवाल।। सर पर माँ का हाथ हो,व ममता की छाया। दुख में मरहम बन जाए,ऐसा माँ का साया।। सम्पूर्ण दोहा अनुशीर्षक में पढ़े🙏 दोहे ****** देख पीड़ा संसार, मन अति विचलित होय। लघु व अधिक की मार में,सादा मन फिर रोय।।
CM Chaitanyaa
"श्रीराम चरितावली" प्रस्तावना : जिनका मुख-मंडल देख, अश्रु जल छलके अविराम। वे हैं नील मणि की भाँति, मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम।। दशरथ के नंदन बड़े अद्भुत,