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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White दोहा :- ये जो तेरी आँख में , भर आया है नीर । बिन इसके संसार में , खूब उठेगी पीर ।। संकट ये गंभीर है , मानो मेरी बात । बूँद-बूँद से भर घड़ा , आयी है बरसात ।। रोते फिरते आज जो, नही पास व्यापार । बैठे-बैठै लोग वह , वृक्ष करें तैयार ।। काम बड़ा छोटा नहीं , करो समय से काम । याद रखें ये आप भी , साथ रहें श्री राम ।। अधिक हुआ विज्ञान अब , आगे दिखे विनाश । सोच-सोच मानव सभी , होने लगे निराश ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- ये जो तेरी आँख में , भर आया है नीर । बिन इसके संसार में , खूब उठेगी पीर ।। संकट ये गंभीर है , मानो मेरी बात । बूँद-बूँद से भर घड़ा
दोहा :- ये जो तेरी आँख में , भर आया है नीर । बिन इसके संसार में , खूब उठेगी पीर ।। संकट ये गंभीर है , मानो मेरी बात । बूँद-बूँद से भर घड़ा #कविता
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दोहा :- सुनो अवध के वासियों , आज हमारी पीर । थामो बहते नीर को , देखो हृदय अधीर ।। कहाँ हमारी पीर को , सुनते अवध नरेश । राम-राम कहते रहे , दर पर खड़े सुरेश ।। सत्य सनातन ही यहाँ , कर बैठा है घात । बुला लिया जयचंद को , घर में आधी रात ।। लिखे अवध पर आज कुछ , हमने दोहा छन्द । भाई जिनको कह रहे , निकले वे जयचन्द ।। कहना सुनना कुछ नही , बस इतनी है बात । सत्य सनातन छोड़ कर , दें हमको सौगात ।। कैसे लंका में बने , मेघनाथ थे भूप । ठीक अवध के लोग भी , वही दिखाये रूप ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- सुनो अवध के वासियों , आज हमारी पीर । थामो बहते नीर को , देखो हृदय अधीर ।। कहाँ हमारी पीर को , सुनते अवध नरेश । राम-राम कहते रहे , द
दोहा :- सुनो अवध के वासियों , आज हमारी पीर । थामो बहते नीर को , देखो हृदय अधीर ।। कहाँ हमारी पीर को , सुनते अवध नरेश । राम-राम कहते रहे , द #शायरी
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जी भर कर अब देख लो , शीतल निर्मल नीर । आने वाली पीढ़ियां , झेलेंगी यह पीर ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR *जी भर कर अब देख लो , शीतल निर्मल नीर ।* *आने वाली पीढ़ियां , झेलेंगी यह पीर ।।* *महेन्द्र सिंह प्रखर*
*जी भर कर अब देख लो , शीतल निर्मल नीर ।* *आने वाली पीढ़ियां , झेलेंगी यह पीर ।।* *महेन्द्र सिंह प्रखर* #कविता
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उडियाना छन्द :- स्वाद में सब जन बहे , जीव हत्या करें । और देते ज्ञान हैं , पाप क्यों सिर धरे ।। जानते है सब यहीं , पाप है ये बड़ा । देखता हूँ फिर वहाँ , घेरकर सब खड़ा ।। मारकर सब डुबकियां , पाप धोने चले । मातु गंगा सोचती , तनय कैसे पले ।। पीर इनकी सब मिटे, और आगे बढ़े । राह जीवन की सभी , स्वयं चलकर गढ़े ।। कष्ट सारे झेलकर , चक्षु जिनके खुले । राम-सिय जपते रहे , श्वास जब तक चले ।। लौट जायें वो सभी, सुगम पथ पर कहीं । विनय करता यह प्रखर , आप ठहरे वहीं ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR उडियाना छन्द :- स्वाद में सब जन बहे , जीव हत्या करें । और देते ज्ञान हैं , पाप क्यों सिर धरे ।। जानते है सब यहीं , पाप है ये बड़ा । देखता ह
उडियाना छन्द :- स्वाद में सब जन बहे , जीव हत्या करें । और देते ज्ञान हैं , पाप क्यों सिर धरे ।। जानते है सब यहीं , पाप है ये बड़ा । देखता ह #कविता
read moreAnjali Singhal
"दिल के तरकश में से निकाल फेंके हैं, हमने उनकी यादों के तीर! चुभने लगे थे गढ़कर धड़कनों में, बनकर साँसों की पीर!!" #AnjaliSinghal nojoto
read moreRajkumar Siwachiya
White लागी ये जो पीर सुनहरी मेरय लागी चेहरा तय समझ सारी दुनिया मेरय आगी ✨🥺✨🕉️🔭📙🖋️ - Rajkumar Siwachiya ✍️♠️ ©Rajkumar Siwachiya लागी ये पीर जो सुनहरी मेरय लागी चेहरा तय समझ सारी दुनिया मेरय आगी ✨🕉️🔱✨🔭📙🖋️ – Rajkumar Siwachiya ✍️♠️🙏 #harharmahadev #rajkumarsiwachiya #
लागी ये पीर जो सुनहरी मेरय लागी चेहरा तय समझ सारी दुनिया मेरय आगी ✨🕉️🔱✨🔭📙🖋️ – Rajkumar Siwachiya ✍️♠️🙏 #harharmahadev #rajkumarsiwachiya # #Haryana #Haryanvi #bhiwani #oyedesi #Loharu #JhumpaKalan #Jhumpa_Kalan
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Vishnu Bhagwan दोहा :- कर्म रखो बस ध्यान तुम , सोचों मत परिणाम । देने वाला और है , तू कर अपना काम ।। कुण्डलिया:- जाने कैसे कर्म थे , भुगत रहे परिणाम । करता हूँ अरदास अब , मिले मुझे आराम ।। मिले मुझे आराम , कृपा अब रघुवर कीजै । सह जाऊँ मैं पीर , और अब साहस दीजै ।। विनय प्रखर की आज , सुना रघुनंदन माने । स्वप्न दिखाया दास , छोड़ अब हम सब जाने ।। २९/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- कर्म रखो बस ध्यान तुम , सोचों मत परिणाम । देने वाला और है , तू कर अपना काम ।। कुण्डलिया:- जाने कैसे कर्म थे , भुगत रहे परिणाम । क
दोहा :- कर्म रखो बस ध्यान तुम , सोचों मत परिणाम । देने वाला और है , तू कर अपना काम ।। कुण्डलिया:- जाने कैसे कर्म थे , भुगत रहे परिणाम । क #कविता
read moreEklakh Ansari
किस से माँगें कहाँ जाएँ किस से कहें और दुनिया में हाजत-रवा कौन है सब का दाता है तू सब को देता है तू तेरे बंदों का तेरे सिवा कौन है #Shayari #naat #Hamd #pirnaseeruddinnaseer #EklakhAnsari
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माहिया/टप्पा छन्द दुनिया दुखयारी है पाँव पडूँ गिरधर यह पीर हमारी है ।। पढ़कर दौड़े आना पाती हूँ लिखती अब छूट गया दाना ।। चाल चलूँ मतवाली देखो तुम साजन हो अधरो पे लाली ।। पट आज उठा लेना बाते करने को ढ़ल जाये जब रैना ।। क्या प्रीति बिना फागुन भायेगा मुझको कुछ आकर कर अवगुन । २०/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR माहिया/टप्पा छन्द दुनिया दुखयारी है पाँव पडूँ गिरधर यह पीर हमारी है ।
माहिया/टप्पा छन्द दुनिया दुखयारी है पाँव पडूँ गिरधर यह पीर हमारी है । #कविता
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