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Ek villain
प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में विश्व में भारतीय वस्तुओं की बढ़ती मांग का जो लेकर आए एक वास्तविक है और उसकी पुष्टि हाल में $400 के निर्यात का लक्ष्य हासिल करने से होती है निसंदेह भारत की बढ़ती क्षमता का परिचय है लेकिन आप भी उसे और बढ़ाने की आवश्यकता है इस आवश्यकता की पूर्ति हेतु लोकल के लिए वह कल अभियान के तहत स्थाई उत्पादन को प्रोत्साहित करने की एक बात लंबे समय से चली जा रही है देश की आत्मनिर्भरता बनाने के लिए ऐसा किया जाना चाहिए लेकिन घरेलू बाजार के साथ विश्व बाजार में देसी उत्पादों की मांग की अपेक्षा अनुरूप बढ़ेगी अब उनकी गुणवत्ता बढ़ेगी और वे उत्पादन के मामले में अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं पर खरे उतरेंगे यह ध्यान रखना चाहिए कि दिशा में अभी बहुत काम करना शेष है वास्तव में उन कारणों की तह तक जाने की जरूरत है जिनके चलते अनेक ऐसे चीनी उत्पादों की भारत में खपत हो रही है जिन्हें आसानी से देश में बनाने का पानी के साथ उनके निर्यात भी किए जा सकते हैं यह समय की मांग है कि हम भारत के लोग देसी उत्पादकों की तारीख को प्राथमिकता दें लेकिन इसके साथ यह भी तो देखा जाए कि हमारी उधमी अपने उत्पादों की गुणवत्ता का स्तर में पढ़ने में कैसे समर्थ हो यह समर्थ भी बढ़ सकती है जब देसी उत्पादन की गुणवत्ता विश्वस्तरीय बनाने के लिए सरकार के स्तर पर कोई प्रभाव अभियान चढ़े और इसके तहत शोध और संशोधन को प्राथमिकता दी जाए इस क्रम में सरकार को रोजगार के अवसर पैदा करने वाले छोटे और मझोले उद्योगों की विशेष रूप से मदद करनी ©Ek villain #देसी उत्पादकों की मांग #selfhate
Parasram Arora
हर फरिश्ता ईश्वर क़े चिंतनका परिणाम है और हर मनुष्य को "मनुष्य "का पहला सम्भोधन देने वाला भी ईश्वर ही है ज़ब ईश्वर क़े प्रेम का प्याला रिक्त हो जाता है तों वह अपने उत्साह और अपनी रिक्तता को भरने क़े लीए मनुष्य का उत्पादन करने की गल्ती करने लगता है . l " और " गलती " शायद इसलिए कि मनुष्य को इतनी सुख सुविधा और सम्पन्नता मुहइया कराने क़े बावजूद मनुष्य खुद को ईश्वरीय" "वरदान " न मानकर इसे आज भी " अभिशाप " ही मानता है ©Parasram Arora मनुष्य का उत्पादन
मनुष्य का उत्पादन
read moreEk villain
रामलाल की साबुन फैक्ट्री दी साबुन बहुत लोकप्रिय हुआ तो अधिक लाभ घुटने के चक्कर में ज्यादा मिला मिलावट शरण में गमछी हो जाते नतीजा उनके साबुन से कपड़े साफ होने की वजह फटने लगे आखिरकार उपभोक्ताओं ने उनके उत्पाद को नमस्ते कह दिया मगर पापी पेट पालने के लिए कुछ तो पुणे करना ही था तो उन्होंने अपनी फैक्ट्री की कवि फैक्ट्री में बदल दिया लोग कल महा कवियों को पता चला कि कभी सर्दी में कविता की मरम्मत होती है और फिर वह वहां से छनकर एक कार्य कविता निकलती है तो फैक्ट्री में कवियों की घनघोर दामाद होने लगी धामी ने हर कविता सुनने का अपना रेट फिक्स कर दिया कुछ दिन तक तो मामला ठीक चला लेकिन फिर यह कभी को ऐतराज होने लगा कि मेरी कविता की कुछ ज्यादा ही चीर फाड़ हो रही है कभी एक दूसरे से झगड़ने लगे वसंत पंचमी पर हुई कसौटी में तो मारपीट की नौबत आ गई एक नए काम है निराला हूं दूसरा बोला मैं निराला का साला हूं तीसरा चीका में दिनकर से कम नहीं यह सुन चौथा हजारे अरे मैं तो कुछ दम नहीं तभी पांचवी आवाज आई में महादेवी वर्मा बन रही हूं बस यही वह क्षण था जिसने व्यवस्थित मास कारों को वीडियो बनाया उसे वायरल करने का अवसर दे दिया गजब का कोई जलीय वीडियो बना भाई ©Ek villain #कभी फैक्ट्री की अद्भुत उत्पादन #MusicLove
#कभी फैक्ट्री की अद्भुत उत्पादन #MusicLove #Society
read moreअदनासा-
बाज़ार में खाने-पीने की बहुत सी वस्तुएं है और वह भी ब्रैंडेड, मगर उनकी करनी और कथनी में बहुत फ़र्क है, ज़्यादातर उत्पाद का विज्ञापन लोकलुभावन ही होता है, उत्पाद पर लिखा होता है कि उस उत्पाद में क्या-क्या है, मगर होता उसके विपरीत ही है, तो यह ग़लती आख़िर किस की है ? वैसे यह ग़लती उस ब्रेंड की नही हमारे ब्रेन की है जिसे पढ़ने का हुनर हर उत्पादनकर्ता के पास है, मगर हमारे ब्रेन तो विज्ञापन ने कंट्रोल में है, इसलिए हमारे पास ब्रेन तो है मगर उसका गेन (Gain - फ़ायदा), विज्ञापन और उत्पादनकर्ता के पास। ©अदनासा- #हिंदी #विचार #विज्ञापन #Creativity #उत्पाद #Brain #Instagram #Pinterest #Facebook #अदनासा
हिंदी विचार विज्ञापन Creativity उत्पाद Brain Instagram Pinterest Facebook अदनासा
read moreAjay Amitabh Suman
Ek villain
चीन के साथ व्यापार में रोजमर्रा के गिफ्ट आइटम एलईडी लाइट और त्यौहार समान का मूल्य कोलायत का नाम मात्र जबकि दवाई की पीएफआई और अन्य सेवाएं इलेक्ट्रॉनिक सामाजिक या आयात पर ही मुख्य निर्भरता है इसका स्वदेशी उत्पादन ही एकमात्र रास्ता है चीन की सीमा पर अतिक्रमण और घुसपैठ जैसी हरकतें भी व्यापार पर आंखें दिखाने का तरीका है भले ही कितना ही उत्पाद आ रहा हो उसे कम करने का यह सबसे अच्छा मौका है परंतु सबसे आवश्यक यह है कि ऐसे उद्योगों को जीएसटी और आयकर से कम से कम 10 वर्ष के लिए राहत टैक्स ब्रेक दिया जाए जिससे यह उद्योग विदेशी माल उत्पाद और गुणवत्ता के प्रति प्रदाता पर कर सकें ©Ek villain #mountain स्वदेशी उत्पाद ही एक रास्ता है चीन को सबक सिखाने का