Find the Latest Status about जिल्ह्यातील घाट from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, जिल्ह्यातील घाट.
Praveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी सफर है जिंदगी,मंजिले तय करना है राह में जो हमराही बने उसे गंतव्य बनाना है रेगिस्तानी जहाज ही सही जहाँ उपलब्ध्ता जैसी मिले उसे मील का पत्थर बनाना है रोटी रोजगार के फेर में पानी घाट घाट का पीना पड़ता है दुरियाँ हो या नजदीकिया किस्मत सबको अजमाना पड़ता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #sad_shayari पानी घाट घाट का पीना पड़ता है #nojotohindi
writer_Suraj Pandit
White शमशान घाट पर लिखा था .... मंज़िल तो तेरी यही थी बंदे , उम्र गुजर गई आते-आते । क्या पाया इस दुनिया में , अपनों ने ही जला दिया जाते-जाते । ©writer_Suraj Pandit #lonely_quotes शमशान घाट m raj. g Brajraj Singh Lovely rasmi sana naaz
theunnamedpoet99
तुम बनारस सा इश्क तो दिखाना अगर मैं गंगा घाट ना हो जाऊं तो फिर कहना। ©theunnamedpoet99 तुम बनारस सा इश्क तो दिखाना अगर मैं गंगा घाट ना हो जाऊं तो फिर कहना।
Dhanraj Gamare
DM
Dhanraj Gamare
nsnsnsnsnsnsnsnsnsns ©Dhanraj Gamare *संगमेश्वरच्या सुपूत्राची* D.B.A.च्या ठाणे *जिल्हाध्यक्षापदी निवड* *मा.धनराज गमरे* यांचे *हार्दिक ! अभि
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Jai Shri Ram मनहरण घनाक्षरी:- भूल जाओ सारी व्यथा , याद रखो हरि कथा , पार उस घाट देखो , खड़े दीनानाथ हैं । छोड़ो यह मोह माया , मिट्टी की है यह काया , भज ले तू प्रभु नाम , थामे तेरा हाथ हैं । पग-पग देख तेरे , चलते है नाथ मेरे , कहीं भी अकेला नहीं, वही तेरे साथ हैं । वही कण-कण में हैं , वही तेरे प्रण में हैं, जान ले तू आज उन्हें , वही प्राण नाथ हैं ।।-१ वही राधा कृष्ण अब , वही सिया राम अब , वही सबके कष्टों का , करते उतार हैं । कहीं नहीं आप जाओ , मन में उन्हें बिठाओ, मन के ही मंदिर से , करते उद्धार हैं । भजो आप आठों याम , राम-सिया राधेश्याम, सुनकर पुकार वो , आते नित द्वार हैं, असुवन की धार वे , है रोये बार-बार वे , देख-देख भक्त पीर , आये वे संसार हैं ।।२ १४/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी:- भूल जाओ सारी व्यथा , याद रखो हरि कथा , पार उस घाट देखो , खड़े दीनानाथ हैं । छोड़ो यह मोह माया , मिट्टी की है यह काया , भज ले
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
प्रदीप छन्द दर-दर भटक रहा है प्राणी , जिस रघुवर की चाह में । वो तो तेरे मन में बैठे , खोज रहा क्या राह में ।। घर में बैठे मातु-पिता ही , सुन रघुवर के रूप हैं । शरण चला जा उनके प्यारे , वह भी तेरे भूप हैं ।। मन को अपने आज सँभालो , उलझ गया है बाट में । सारे तीरथ मन के होते , जो है गंगा घाट में ।। तन के वस्त्र नहीं मिलते तो, लिपटा रह तू टाट में । आ जायेगी नींद तुझे भी , सुन ले टूटी खाट में ।। जितनी मन्नत माँग रहे हो , जाकर तुम दरगाह में । उतनी सेवा दीन दुखी की , जाकर कर दो राह में ।। सुनो दौड़ आयेंगी खुशियाँ , बस इतनी परवाह में । मत ले उनकी आज परीक्षा , वो हैं कितनी थाह में ।। जीवन में खुशियों का मेला , आता मन को मार के । दूजा कर्म हमेशा देता , सुन खुशियां उपहार के ।। जीवन की भागा दौड़ी में , बैठो मत तुम हार के । यही सीढ़ियां ऊपर जाएं , देखो नित संसार के ।। २८/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR प्रदीप छन्द दर-दर भटक रहा है प्राणी , जिस रघुवर की चाह में । वो तो तेरे मन में बैठे , खोज रहा क्या राह में ।। घर में बैठे मातु-पिता ही , सु
Ravendra