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New बिखरे मोती Quotes, Status, Photo, Video

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Mohd Asif

#SunSet जख्म जब मेरे सीने के भर जायेंगें …. आसूं भी मोती बन कर बिखर जायेंगें …. ये मत पूछना किस-किस ने धोखा दिया …. वर्ना कुछ अपनों के चेहरे #शायरी

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Shivkumar

gaTTubaba

#Road तुम हमको ना चाहो ये शरीर तो सजा सजाया हैं चारों और बस रूह को चाहो यकीन नहीं होगा अंदर नजारा ही हैं कुछ और #शायरी

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꧁ARSHU꧂ارشد

गुलाबों की तरह दिल.. अपना शबनम में भिगोतें हैं... मोहब्बत करने वाले.. ख़ूबसूरत लोग होते हैं.. किसी ने जिस तरह... अपने सितारों को सजाया है.. #Shayari

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Bhanu Priya

#Thinking क्षणिक सुख टपके आंसू छलकी बूंदे यूं मोती बन वह तो वही जाने कैसे बिसरे थे उन्होंने वे दिन तुम्हारे बिन आंसू तो लाज़मी थे #Poetry

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Bharat Bhushan pathak

#सँभल मन साफ सदा रखें, कभी किसी को न ठगें, वैर भाव पाले नहीं, प्रेम अपनाइए। बिखरे असंख्य रंग, दया बिन बदरंग, #Poetry

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मन साफ सदा रखें,
कभी किसी को न ठगें,
वैर भाव पाले नहीं,
प्रेम  अपनाइए।

बिखरे असंख्य रंग,
दया बिन बदरंग,
विश्वास सभी पे करें,
अब समझाइए।

दुनिया का लगा मेला,
खूब भागे यहाँ रैला,
भलाई जो कर रहे,
उसे ना सताइए।

पाप-पुण्य,मोह-माया,
काम-क्रोध यहाँ आया,
ईर्ष्या का घना कुहरा,
खुद को बचाइए।

©Bharat Bhushan pathak #सँभल 
मन साफ सदा रखें,
कभी किसी को न ठगें,
वैर भाव पाले नहीं,
प्रेम  अपनाइए।

बिखरे असंख्य रंग,
दया बिन बदरंग,

Sarvesh kumar kashyap

💐🔥बिखरे पन्नों की बातें..🤷🤔 #hunarbaaz Life #viral #Trending Poetry #status #sk_pilibhiti #Sarveshkashyap #शायरी

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Sarvesh kumar kashyap

✨💖 मेरी डायरी के बिखरे पन्नों से 🔥 #New #viral #status #Shorts #sk_pilibhiti #Sarveshkashyap #merikalammerevichar #शायरी

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Rahul Gumbade

#Holi होली के रंग बिखरे आपके जीवन में, खुशियों की बौछार लाये आपके चेहरे पर मुस्कान बन कर। #वीडियो

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मनहरण घनाक्षरी :- लोभ मोह माया छोडो , आपस में नाता जोड़ो । त्यागो अभी हृदय से ,  दुष्ट अभिमान को । नही अब सिर फोड़ो ,बैरी ये दीवार तोड़ो , चलो #कविता

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मनहरण घनाक्षरी :-
लोभ मोह माया छोडो , आपस में नाता जोड़ो ।
त्यागो अभी हृदय से ,  दुष्ट अभिमान को ।
नही अब सिर फोड़ो ,बैरी ये दीवार तोड़ो ,
चलो सब मिलकर, करो मतदान को ।
ये तो सब लुटेरे हैं , करते हेरे-फेरे हैं
पहचानते  है हम , छुपे शैतान को ।
मतदान कर रहे , क्या बुराई कर रहे,
रेंगता है मतदाता , देख के विधान को ।।१
वो भी तो है मतदाता, क्यों दे जान अन्नदाता , 
पूछने मैं आज आयी , सुनों सरकार से ।
मीठी-मीठी बात करे , दिल से लगाव करे,
आते हाथ सत्ता यह , दिखता लाचार से ।
घर गली शौचालय, खोता गया विद्यालय,
देखे जो हैं अस्पताल , लगते बीमार से।
घर-घर रोग छाया , मिट रही यह काया ,
पूछने जो आज बैठा , कहतें व्यापार से ।।२
टीप-टिप वर्षा होती , छत से गिरते मोती ,
रात भर मियां बीवी , भरते बखार थे ।
नई-नई शादी हुई , घर में दाखिल हुई ,
पूछने वो लगी फिर , औ कितने यार थे ।
मैने कहा भाग्यवान , मत कर परेशान ,
कल भी तो तुमसे ही , करते दुलार थे ।
और नही पास कोई , तुम बिन आँख रोई,
जब तेरी याद आई ,  सुन लो बीमार थे ।।३
२८/०३/२०२४      महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :-
लोभ मोह माया छोडो , आपस में नाता जोड़ो ।
त्यागो अभी हृदय से ,  दुष्ट अभिमान को ।
नही अब सिर फोड़ो ,बैरी ये दीवार तोड़ो ,
चलो
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