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Priyanka Sharma

# दिहाड़ी मजदूर #शायरी

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मत पूछो हमसे कितना कमाया

  और क्या लेकर लौट रहे हैं 


 भूख ही लेकर गये शहर को..

 भूखे ही हम लौट रहे हैं # दिहाड़ी मजदूर

Priyanka Sharma

# दिहाड़ी मजदूर #शायरी

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मत पूछो हमसे कितना कमाया

  और क्या लेकर लौट रहे हैं 


 भूख ही लेकर गये शहर को..

 भूखे ही हम लौट रहे हैं # दिहाड़ी मजदूर

प्रदीप

#पलायन करने वाले दिहाड़ी मजदूर #कविता

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खुशकिस्मत हैं वो लोग जो अपने घर में हैं।
बदकिस्मती हमारी जो अभी भी सफर में हैं।
ना मेरा कोई शहर है,ना ही कोई गांव हैं।
मानवता ने भी खींच लिए अपने पांव है।
ये सफर महीनों का हैं,दो पैर की चाल है।
सिर्फ भूख-प्यास साथ है,तलवों में छाल हैं।
एक तरफ भुखमरी दूजी कोरोना महामारी।
दोनों की हार-जीत में उलझी सांस हमारी।
एक हाथ में सामान,दूसरे कन्धे पर बच्चा।
आंखों में आंसू,दिल का हाल मकान कच्चा।
किसी को नहीं मालूम किसका क्या होगा।
मन में यही,जो होगा मंजूर- ए -खुदा होगा।
खुदकिस्मत है वो लोग जो अपने घर में है
बदकिस्मती हमारी जो अभी भी सफर में हैं।
                 "प्रदीप" #पलायन करने वाले दिहाड़ी मजदूर

ADIL ALFAZ

सियासती मामलात से शिकार दिहाड़ी मजदूर..😔

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 सियासती मामलात से शिकार दिहाड़ी मजदूर..😔

PRABH

#भारत में कॉपीराइट रजिस्ट्रेशन #Knowledge

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Rajesh Catering Guluwa Comedy king बघेली

मजदूरमजदूर Comedy #ShortStory #कॉमेडी

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Priya Gour

#मजदूर #majdoor मजदूर की व्यथा #कविता #nojotovideo

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Narendra Kumar

वो खण्डहर आज फिर चमक उठा एक मजदूर ने दिन भर हाथ घिसे।। #मजदूर

संजय श्रीवास्तव

मजदूर

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मजदूर 
****************************************
हर रोज वो निकलता है 
तयशुदा चौराहे पर 
शायद मिल जाये 
उसके दो हाथों को काम 
आखिर 
जीना है उसको 
अपने मासूम बच्चों का 
पेट भरने के लिये 
और वो माँ 
जो खाँसती रहती है 
दरवाजे पर 
दवाई के बिना 
उसको भी तो डाक्टर को 
दिखाना है
इतना मिल जाता काश 
तो वो भी बच्चों के साथ 
मुस्करा लेता 
बरसों से दबे आँसुओं को 
दिल के किसी कोने में 
छुपा लेता 
संजय श्रीवास्तव मजदूर

Pankaj Priyam

मजदूर

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मज़दूर
पेट की आग में ,मजबूर हो गया
घर का बादशाह मजदूर हो गया।

मजदूर दिवस की छुट्टी में हैं सब
उसे आज भी काम मंजूर हो गया।

दो जून की रोटी के जुगाड़ में ही
मजबूर अपने घर से दूर हो गया।

दिवस मनाएंगे सब एसी कमरों में
वो तो धूप में ही मसरूर हो गया।

बच्चों को दे रोटी, पानी पी सो गया
भूख में उसका,चेहरा बेनूर हो गया।

इक मजदूर कितना मजबूर प्रियम
थकान मिटाने, नशे में चूर हो गया।
©पंकज प्रियम मजदूर
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