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Priyanka Sharma
मत पूछो हमसे कितना कमाया और क्या लेकर लौट रहे हैं भूख ही लेकर गये शहर को.. भूखे ही हम लौट रहे हैं # दिहाड़ी मजदूर
Priyanka Sharma
मत पूछो हमसे कितना कमाया और क्या लेकर लौट रहे हैं भूख ही लेकर गये शहर को.. भूखे ही हम लौट रहे हैं # दिहाड़ी मजदूर
प्रदीप
खुशकिस्मत हैं वो लोग जो अपने घर में हैं। बदकिस्मती हमारी जो अभी भी सफर में हैं। ना मेरा कोई शहर है,ना ही कोई गांव हैं। मानवता ने भी खींच लिए अपने पांव है। ये सफर महीनों का हैं,दो पैर की चाल है। सिर्फ भूख-प्यास साथ है,तलवों में छाल हैं। एक तरफ भुखमरी दूजी कोरोना महामारी। दोनों की हार-जीत में उलझी सांस हमारी। एक हाथ में सामान,दूसरे कन्धे पर बच्चा। आंखों में आंसू,दिल का हाल मकान कच्चा। किसी को नहीं मालूम किसका क्या होगा। मन में यही,जो होगा मंजूर- ए -खुदा होगा। खुदकिस्मत है वो लोग जो अपने घर में है बदकिस्मती हमारी जो अभी भी सफर में हैं। "प्रदीप" #पलायन करने वाले दिहाड़ी मजदूर
ADIL ALFAZ
सियासती मामलात से शिकार दिहाड़ी मजदूर..😔
PRABH
भारत में कॉपीराइट रजिस्ट्रेशन वर्ष 1957 में बने कॉपीराइट एक्ट के तहत होता है, जो 1958 से हरकत में आया. वैसे कॉपीराइट का पहला कानून ब्रिटिश राज में 1912 में बना था. उसके बाद इसमें संशोधन भी हुए. 1957 में बने कानून में भी 2012 में जरूरी संशोधन किए गए हैं. ©PRABH #भारत में कॉपीराइट रजिस्ट्रेशन
संजय श्रीवास्तव
मजदूर **************************************** हर रोज वो निकलता है तयशुदा चौराहे पर शायद मिल जाये उसके दो हाथों को काम आखिर जीना है उसको अपने मासूम बच्चों का पेट भरने के लिये और वो माँ जो खाँसती रहती है दरवाजे पर दवाई के बिना उसको भी तो डाक्टर को दिखाना है इतना मिल जाता काश तो वो भी बच्चों के साथ मुस्करा लेता बरसों से दबे आँसुओं को दिल के किसी कोने में छुपा लेता संजय श्रीवास्तव मजदूर
Pankaj Priyam
मज़दूर पेट की आग में ,मजबूर हो गया घर का बादशाह मजदूर हो गया। मजदूर दिवस की छुट्टी में हैं सब उसे आज भी काम मंजूर हो गया। दो जून की रोटी के जुगाड़ में ही मजबूर अपने घर से दूर हो गया। दिवस मनाएंगे सब एसी कमरों में वो तो धूप में ही मसरूर हो गया। बच्चों को दे रोटी, पानी पी सो गया भूख में उसका,चेहरा बेनूर हो गया। इक मजदूर कितना मजबूर प्रियम थकान मिटाने, नशे में चूर हो गया। ©पंकज प्रियम मजदूर