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Vinod Mishra
Ravendra
Ravendra
Rohan Roy
सुख, दुःख की गरिमा को, लांघकर ही पाया जा सकता है। क्योंकि दुख जीवन का, सबसे शाश्वत अनुभव है। जिसके पार रहस्यमई सुख का प्रकाश छिपा है। ©Rohan Roy सुख, दुःख की गरिमा को, लांघकर ही पाया जा सकता है | #RohanRoy | #motivation_for_life | #rohanroymotivation | #HappyRepublicDay🇮🇳 | #jaihind🇮
Nitu Singh जज़्बातदिलके
#विश्व_पुरूष_दिवस यह संसार पुरुषों के बिना नीरस है हर रिश्ते में पुरुष की अपनी गरिमा जरूरत और जगह होती है जीवन मे रिश्ते गिरते हैं तो सम्भाल लेते हैं कोई रूठे तो मना लेते हैं झुककर और हंसकर हर मुश्किल को हल कर लेते हैं पुरुष होते ही ऐसे हैं जनाब नारी बिन पुरुष अधूरी है ये संसार बिन पुरुष नीरस हक़ जमाते नही दुख कभी दिखाते नही टूटना आता नही किसी का तिरस्कार भाता नही पुरुष होते ही ऐसे हैं ©Nitu Singh जज़्बातदिलके #विश्व_पुरूष_दिवस यह संसार पुरुषों के बिना नीरस है हर रिश्ते में पुरुष की अपनी गरिमा जरूरत और जगह होती है जीवन मे रिश्ते गिरते हैं तो सम्
chahat
है विद्या गुरु तुम्हे नमन तुम उज्ज्वल हो, तुम हो ज्ञायक तुम आधार हो,तुम हो साधक जैन धर्म की गरिमा तुम हो। गा न सके जिसे वो महिमा तुम हो।। शिष्य तुम्हारे सूर्य से चमकते। मेरे गुरुवर उनका तेज उनकी चर्या तुम हो।। रत्नत्र्य से तुम बनकर बैठे, मोती दिए बिखरा चारो ओर। एक एक मोती ज्ञान से भरे, साधना से बंधी जैसे पक्की डोर। उंगली पकड़ी फिर चला दिया। हम जैसे पुण्यहीनों को गुरुवर मुनियों के दर्श देकर तार दिया।। जीवन छड़ भंगुर है, धर्म की पतवार देकर समझा दिया। फंसे थे बीच भंवर में, भक्त की पुकार पर जैसे भगवान ने अवतार लिया। हुआ रोशन ये जग सारा, जब चमका धरती पर एक ध्रुव तारा। शरद पूर्णिमा पर चंदा ने गुरु दर्श पाने , जैसे खुदको धरती पर उतारा।। दर्श सदा ही मिलते रहे गुरुवर । तुम एक मात्र हम डूबो का सहारा। गहरी है राग द्वेष की नदी । गुरुवर बस हो तुम ही एक सहारा।। नमन नमन नमन हो गुरुवर स्वीकार हमारा........... मिलता रहे आशीष सदा आपका आपका जन्मदिवस है,जैसे है उपकार हम पर आपका।।।।।।।। ©chahat जैन धर्म की गरिमा तुम
GoluBabu
Sandeep Kothar
स्वच्छता न केवल परिवेश की हो, मन और नैतिकता की हो, इस देश की गरिमा की हो, महिलाओं के अधिकारों की हो, मज़दूर, पीड़ितों के सम्मान की हो, बच्चों के अच्छे भविष्य की हो, रोजगार और अवसरों की हो, हर क्षेत्र में विकास की हो, सिर्फ एक दिन की स्वच्छता नहीं, बल्कि पूरे वर्ष की हो.. बस इस दिन से शुरुआत करें, राष्ट्रपिता को याद करें..! ©Sandeep Kothar स्वच्छता न केवल परिवेश की हो, मन और नैतिकता की हो, इस देश की गरिमा की हो, महिलाओं के अधिकारों की हो, मज़दूर, पीड़ितों के सम्मान की हो, बच्चो
Chanchala Singh