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गरिमा तिवारी....❤
इश्क बन के दुआ सा असर कर गया है मेरा महबूब जैसे.....फरिश्ता हो कोई !! #इश्क़ #महबूब #गरिमातिवारी
गुनेश्वर
J- कल मिल पाओगी कुछ वैचारिक सीपीयाँ अब भी सन्दूक मे हैं तुम्हें अब लौटानी है|| मेरी पुलकन मे अब भी तुम्ही हो मेरी सोच की दीर्घा मे बस एक ही स्थान था और वो तुम्हारी हँसी आस्था की दीवारों को पुलकित करती रहती हैं पर , एक सीमा रेखा उन्होने खींची जो हमारे होने के मायने हैं मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा चर्च सभी तो हैं वही और हम अलग हैं क्यों न सीपियों को वापस कर ले बस एहसास काफी है हमे हममे होने के लिए क्यों हैं न ,, कल मिलना जरूर गरिमामय प्रेम
pramod pandit
गगन की गरिमा को छू लूं ! मां के आंचल की गरिमा में झूलू़ं बरसते बदरा के गरिमा को आंखों से ही मैं पी लूं ! जमीन की सोंधी खुशबू की गरिमा में मैं तो खेलूं गगन की गरिमा को छू लूं पुरवाई के झोंकों में मैं प्रेम रस की गरिमा रस घोलूं! बंधी हुई गांठें जीवन की , हर पल में प्रेमी बन खोलूं गगन की गरिमा को छू लूं ! प्रमोद पंडित अमेठी उत्तर प्रदेश गरिमा
MADHUKANT THAKUR
झूठ बोल कर हर किसी से एक ही जैसे रिश्ते निभा रहे हो क्यूं अपनी गरिमा गिरा रही हो एकांत में सोचना जरा तुम्हें ऊंचाई पे देखा था कभी पर अपनी ही नजरों में गिरती जा रही हो ✍️ मधुकांत ©MADHUKANT THAKUR गरिमा
Lk jha
एक चेहरा छुप रहा है. समाज कि आँखें ओढ़कर, नकाब में.. क्या करें हमारी मज़बूरी है, कि अर्थ को बताना भी है,अर्थ को छुपाना भी है ताकि शब्द अपने सामर्थ और लेखक कि गरिमा को कायम रखे ©Lk jha गरिमा #leaf
Ajay Bishwas
माँ नर्म आवाज़ का जादू है माँ ग़ुस्से पर करती क़ाबू है माँ भरोसे का दामन मुट्ठी में भींच लाती है माँ उम्मीद का मोती खींच लाती है माँ सारे झगड़े टाल देती है माँ दामन में ख़ुशियाँ डाल देती है # माँ की गरिमा
Ashvani Kumar
कोई कर गुजरता है , कोई सोच भी नहीं पाता 'संस्कारों' की 'समृद्धि' ही ऐसी है वो गरिमा के नीचे कभी नहीं जाता ©Ashvani Kumar #ramsita'संस्कारों' की 'समृद्धि' की गरिमा
chahat
है विद्या गुरु तुम्हे नमन तुम उज्ज्वल हो, तुम हो ज्ञायक तुम आधार हो,तुम हो साधक जैन धर्म की गरिमा तुम हो। गा न सके जिसे वो महिमा तुम हो।। शिष्य तुम्हारे सूर्य से चमकते। मेरे गुरुवर उनका तेज उनकी चर्या तुम हो।। रत्नत्र्य से तुम बनकर बैठे, मोती दिए बिखरा चारो ओर। एक एक मोती ज्ञान से भरे, साधना से बंधी जैसे पक्की डोर। उंगली पकड़ी फिर चला दिया। हम जैसे पुण्यहीनों को गुरुवर मुनियों के दर्श देकर तार दिया।। जीवन छड़ भंगुर है, धर्म की पतवार देकर समझा दिया। फंसे थे बीच भंवर में, भक्त की पुकार पर जैसे भगवान ने अवतार लिया। हुआ रोशन ये जग सारा, जब चमका धरती पर एक ध्रुव तारा। शरद पूर्णिमा पर चंदा ने गुरु दर्श पाने , जैसे खुदको धरती पर उतारा।। दर्श सदा ही मिलते रहे गुरुवर । तुम एक मात्र हम डूबो का सहारा। गहरी है राग द्वेष की नदी । गुरुवर बस हो तुम ही एक सहारा।। नमन नमन नमन हो गुरुवर स्वीकार हमारा........... मिलता रहे आशीष सदा आपका आपका जन्मदिवस है,जैसे है उपकार हम पर आपका।।।।।।।। ©chahat जैन धर्म की गरिमा तुम