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~anshul
तेरी याद बहुत देर से बाहर खड़ी है लेकिन मैं आज दरवाज़ा नहीं खोलूंगा!! @perceptions anshul #Door तेरी याद बहुत देर से बाहर खड़ी है लेकिन मैं आज दरवाज़ा नहीं खोलूंगा.. Ishita Singh....... Sandeep Dwivedi Piyush Bora 🇮🇳 Aman Gupta
Swatantra Yadav
सोशल मीडिया की इतनी बुरी आदत लग गई है आज पड़ोसी ने X-Ray दिखाया मुँह से Nice Pic निकल गया गम ना कर ये जिंदगी बहुत बड़ी है ये महफ़िल तेरे लिए ही सजी है एक बार मुस्करा कर तो देख तकदीर खुद तुझसे मिलने बाहर खड़ी है
स्वतन्त्र यादव
सोशल मीडिया की इतनी बुरी आदत लग गई है आज पड़ोसी ने X-Ray दिखाया मुँह से Nice Pic निकल गया गम ना कर ये जिंदगी बहुत बड़ी है ये महफ़िल तेरे लिए ही सजी है एक बार मुस्करा कर तो देख तकदीर खुद तुझसे मिलने बाहर खड़ी है
Pro ARUN KUMAR
गम ना कर ज़िंदगी बहुत बड़ी है, चाहत की महफ़िल तेरे लिए सजी है, बस एक बार मुस्कुरा कर तो देख, तक़दीर खुद तुझसे मिलने बाहर खड़ी है… ©Arun Morya गम ना कर ज़िंदगी बहुत बड़ी है, चाहत की महफ़िल तेरे लिए सजी है, बस एक बार मुस्कुरा कर तो देख, तक़दीर खुद तुझसे मिलने बाहर खड़ी है… #Happy_ho
Ranveer__Maheshwari
गम ना कर ज़िंदगी बहुत बड़ी है, चाहत की महफ़िल तेरे लिए सजी है, बस एक बार मुस्कुरा कर तो देख, तक़दीर खुद तुझसे मिलने बाहर खड़ी है… #river गम ना कर ज़िंदगी बहुत बड़ी है, चाहत की महफ़िल तेरे लिए सजी है, बस एक बार मुस्कुरा कर तो देख, तक़दीर खुद तुझसे मिलने बाहर खड़ी है…
Abhishek 'रैबारि' Gairola
बारिश बहुत पसंद है न तुम्हें, मेरे शहर पर भी बादलों की मेहरबानी है। मैं ले आता तुम्हें तुम्हारे घर से, पीछे कैरियर पे बिठा कर, मगर पिछले पूरे सावन, बाहर खड़ी-खड़ी मेरी साईकिल जंग खा गई है। ©Abhishek 'रैबारि' Gairola बारिश बहुत पसंद है न तुम्हें, मेरे शहर पर भी बादलों की मेहरबानी है। मैं ले आता तुम्हें तुम्हारे घर से, पीछे कैरियर पे बिठा कर, मगर पिछले
Nitin Kr Harit
फिर निशा सी घिर के आई ! एक ज्योति जल रही जो, विघ्नों में भी पल रही जो, जब उठी ईर्ष्या की आंधी, एक क्षण भी टिक ना पाई । फिर निशा सी घिर के आई ।। दूरियां संपूर्ण जग में, पाट ली थी एक पग में, जो विचारों में मिली वो, खाई, किन्तु भर ना पाई । फिर निशा सी घिर के आई ।। गेह के बाहर खड़ी जो, अश्रु से गीली पड़ी जो, सुबकियां लेती रही पर, कब किसे दी है दिखाई ? फिर निशा सी घिर के आई ।। फिर निशा सी घिर के आई ! एक ज्योति जल रही जो, विघ्नों में भी पल रही जो, जब उठी ईर्ष्या की आंधी, एक क्षण भी टिक ना पाई । फिर निशा सी घिर के आ
नितिन कुमार 'हरित'
चौधरी Writes
अर्थी भारी थी पढ़िए नीचे कैप्शन में 👇 वो अभी 5 वीं कक्षा में बैठे बैठे पढ़ रहा की "मृत्यु जीवन का पर्यायवाची है" उसे इस बात अभी समझ ही नहीं थी कि जीवन मृत्यु क्या है । तभी उसे आव