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Stories related to क्या उचित after the storm

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Sonia Terra

After the storm... #Photography

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 After the storm...

Sunil Phukan Basumatary

The Storm #nojotophoto

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 The Storm

Anjani Upadhyay

ये मुहूर्त क्या उचित है ?

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Sandeep kumar Sakhawar

क्या ऐसा करना उचित #DecemberCreator #ज़िन्दगी

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Bharath Nandibhatla

And sometimes the storm is the calm. #Storm #Grandma

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Who said the storm
always follows the calm?

Did you see my granny
rocking the baby-me
to sleep?

Sometimes, the storm
precedes the calm too.

 And sometimes the storm is the calm.

#storm #grandma

D. Chowdhury

And enjoy the rainbow after it. 😊 #yqbaba #falleninloveseries #mywordsmyhashtag #Storm #Strength love

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I've fallen in love with the way you become my pillar in the storm.  And enjoy the rainbow after it. 😊

#yqbaba #falleninloveseries #mywordsmyhashtag #storm #strength #love

Vania Singh

Eye of the Storm #Photography

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 Eye of the Storm

SK Poetic

क्या मृत्यु भोज करना उचित है? #illuminate #पौराणिककथा

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शास्त्रों में मृत्यु भोज वर्जित है।महाभारत में एक वाक्य मिलता है जिसमें कृष्ण कहते हैं कि कहीं भोजन तब करो जब भोजन कराने वाले और भोजन करवाने वाले का मन प्रसन्न हो।दुख के समय किसी को कहीं भोजन करने नहीं जाना चाहिए। कहीं-कहीं तो मृत्यु वाले घर को छूतक मानकर लोग भोज में नहीं जाते।
किन्ही परिवारों या समुदायों में यह परंपरा से चल रहा है।संस्कार से नहीं।संस्कार तो हमारे यहां सोलह है। अंत्येष्टि के बाद कोई संस्कार नहीं है।आप यदि मृतक के नाम पर दान करना चाहते हैं तो अच्छा होगा पेट भरो को भोजन कराने से बेहतर होगा गरीब बेसहारा बच्चों को भोजन करवाएं। किसी गरीब बच्चों की फीस भरे।किसी गरीब को कंबल दे।पर मृत्यु भोज ना करें।
   ‌                     मृत्यु भोज क्यों नहीं खाना चाहिए?
हिंदू धर्म में मुख्य सोलह संस्कार बनाए गए हैं‌।इनमें सबसे पहला संस्कार गर्भाधान है और अंतिम व 16 वां संस्कार अंत्येष्टि है। यानी कि इन 16 संस्कारों के बाद कोई 17वां संस्कार है ही नहीं।
अब जब 17 वां संस्कार की कोई बात ही नहीं कहीं गई है तो तेरहवीं संस्कार कहां से आ गया?आज हम आपको महाभारत में मृत्यु भोज से जुड़ी हुई एक कहानी के बारे में बताएंगे जिससे आपको एक हद तक समझ में आ जाएगा कि क्या वाकई में मृत्यु भोज में जाना उचित है या नहीं?
इस कहानी में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने शोक या दुख की अवस्था में करवाए गए भोजन को ऊर्जा का नाश करने वाला बताया है।इस कहानी के अनुसार,महाभारत का युद्ध शुरू होने ही वाला था। भगवान श्री कृष्ण ने दुर्योधन के घर जाकर संधि करने का आग्रह किया।उन्होंने दुर्योधन के सामने युद्ध ना करने का प्रस्ताव रखा।हालांकि दुर्योधन ने श्री कृष्ण की एक ना सुनी।दुर्योधन ने आग्रह को ठुकरा दिया। जिससे श्री कृष्ण को काफी कष्ट हुआ।वह वहां से निकल गए।जाते समय दुर्योधन ने श्री कृष्ण से भोजन ग्रहण कर जाने को कहा। इसपर श्रीकृष्ण ने कहा कि
'सम्प्रीति भोज्यानि आपदा भोज्यानि वा पुनै:'
अर्थात हे दुर्योधन जब खिलाने वाले का मन प्रसन्न हो, खाने वाले का मन प्रसन्न हो,तभी भोजन करना चाहिए। इसके विपरीत जब खिलाने वाले एवं खाने वाले के मन में पीड़ा हो, वेदना हो,तो ऐसी स्थिति में कदापि भोजन नहीं ग्रहण करना चाहिए।
महाभारत की इस कहानी को बाद में मृत्यु भोज से जोड़ा गया।जिसके अनुसार अपने किसी परिजन की मृत्यु के बाद मन में अथाह पीड़ा होती है,परिवार के सदस्यों के मन में उस दौरान बहुत दुख होता है।जाहिर सी बात है कि ऐसे में कोई भी प्रसन्नचित अवस्था में भोज का आयोजन नहीं कर सकता, वहीं दूसरी ओर मृत्यु भोज में आमंत्रित लोग भी प्रसन्न चित्त होकर भोज में शामिल नहीं होते।ऐसा कहा गया है कि इससे ऊर्जा का विनाश होता है।कुछ लोगों का तो ये तक कहना है कि तेरहवीं संस्कार समाज के चंद चालाक लोगों के दिमाग की उपज है।महर्षि दयानंद सरस्वती, पंडित श्रीराम शर्मा, स्वामी विवेकानंद जैसे महान ऋषियों ने भी मृत्यु भोज का पुरजोर विरोध किया है।किसी व्यक्ति की मृत्यु पर लजीज व्यंजनों को खाकर शोक मनाने को किसी ढंग से कम नहीं माना गया है।
इसलिए हमें मृत्यु भोज का बहिष्कार करना चाहिए।

©S Talks with Shubham Kumar क्या मृत्यु भोज करना उचित है?

#illuminate

Manku Allahabadi

Storm #Storm #अनुभव

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वो तूफान की तरह ज़िन्दगी मैं आयी,
मैं उम्मीद की तरह उसके साथ बह गया,

उसकी पहेलियाँ सुलझते सुलझते,
मैं खुद उसके प्यार में उलझ गया,

जब मन भर गया, उसने छोड़ दिया,
सपने ही नही, दिल भी तोड़ दिया







                                               -Manku Allahabadi Storm
#storm

R.S.Meghwal

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