Find the Latest Status about पिंगला भरतरी from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, पिंगला भरतरी.
शेखर सिंह आजमगढ़ी
अलवर के राजा वैरागी भरतरी की रानी इतिहास की सबसे बड़ी बेवफ़ा थी और अभी आप सबकी अपनी अपनी...
Rohit Barod Aadiwasi
Life जितनी Hard होगी आप उतने ही Strong बनोगे, आप जितने Strongs रहोगे Life उतनी ही Easy लगेगी । ©Rohit Barod Aadiwasi struggle के साथ में smart work करके आप लोहे को भी पिंगला सकते हैं। Post Like 🧡 Comment and Follow ज़रूर करें।
KP EDUCATION HD
KP NEWS for the same for me to get ©कंवरपाल प्रजापति टेलर सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर नाग पंचमी मनाई जाती है. इस साल 21 अगस्त 2023 को नाग पंचमी है. इस दिन शेषनाग, वासुकी नाग, तक्षक नाग,
आयुष पंचोली
क्या हमारे सारे सवालों के जवाब हमारे खुद के अस्तित्व मे खुद ही के भीतर कहीं छुपे हैं। और अगर ऐसा हैं तो उनका जवाब प्राप्त कैसे किया जायें? आयुष पंचोली ©ayush_tanharaahi #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ayuspiritual क्या हमारे सारे सवालों के जवाब हमारे खुद के अस्तित्व मे खुद ही के भीतर कहीं छुपे हैं। और अगर ऐसा हैं तो उनका जवाब प्राप्त कैसे किया जायें?
N S Yadav GoldMine
इस मंदिर मे भगवान हनुमान की एक विशाल मूर्ति वैराग्य स्थिति में स्थापित है, पढ़िए इसका इतिहास !! 🐚🐚 {Bolo Ji Radhey Radhey} पांडुपोल हनुमानजी मंदिर :- 🌊 पांडुपोल का हनुमान मंदिर राजस्थान के सरिस्का राष्ट्रीय बाघ अभयारण्य के अंदर स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। जिसमे भगवान हनुमान की एक विशाल मूर्ति वैराग्य स्थिति में स्थापित है। अरावली रेंज के ऊंचे कगार वाले पहाड़ी के बीच,स्थित पांडुपोल का प्राचीन हनुमान मंदिर अलवर में सबसे अधिक देखी जाने वाली जगहों में से एक है। मंदिर के परिसर लंगूर, मकाक और कई प्रकार के पक्षियों और अपने भव्य 35-फुट झरने के लिए भी प्रसिद्ध है। पांडुपोल का इतिहास :- 🌊 पांडुपोल हनुमान मंदिर इतिहास 5000 साल पुराना माना जाता है, पौराणिक कथा के अनुसार भीम ने अपनी गदा से प्रहार किया जिससे पहाड़ मे दरवाजा निकल गया और पहाड़ पर बना दरवाजा ही पांडुपोल हनुमान मंदिर के नाम से स्थापित हो गया। एक अन्य कथा के अनुसार, पांडुपोल वही स्थान था जहा भगवान हनुमान ने भीम को पराजित कर उसके अभिमान पर अंकुश लगाया था। पांडुपोल धाम का रहस्य :- 🌊 आपको बता दे की पांडुपोल वही रहस्यमयी स्थान जहा पांडवों ने अपने निर्वासन के दौरान अपने कुछ साल पांडुपोल में बिताए थे। जबकि एक अन्य कथा के अनुसार, यह पांडुपोल वही स्थान था जहा भगवान हनुमान ने भीम को पराजित कर उसके अभिमान पर अंकुश लगाया। पांडुपोल का मेला :- 🌊 पांडुपोल हनुमान मंदिर का मेला अलवर का एक लोकप्रिय मेला है जो हर साल भादौ शुक्ल पक्ष की अष्टमी को भरता है। जहा बड़ी संख्या में दिल्ली, पंजाब, मध्यप्रदेश व अन्य जगहों से श्रद्धालु आते है। पांडुपोल हनुमान जी के दर्शन का समय :- 🌊 अगर आप पांडुपोल हनुमान मंदिर जाने का प्लान बना रहे है तो आपको बता दे की आप पांडुपोल हनुमान मंदिर घूमने जाने के लिए अक्टूबर से मार्च का समय सबसे बेहतर समय माना जाता है। पांडुपोल हनुमान मंदिर जाने के लिए सर्दियाँ का समय आदर्श समय होता है क्योंकि इस दौरान मौसम बहुत सुहावना होता है। पांपांडुपोल हनुमान मंदिर पर्यटकों के लिए प्रतिदिन सुबह 5.00 बजे से शाम 10.00 बजे तक खुला रहता है। पांडुपोल भरतरी कैसे पंहुचा जाये :-🌊 दिल्ली से 165 किलोमीटर और जयपुर से 110 किलोमीटर दूर, स्थित पांडुपोल हनुमान मंदिर अलवर आप ट्रेन, सड़क या हवाई मार्ग से यात्रा करके पहुच सकतें हैं। फ्लाइट से पांडुपोल हनुमान मंदिर कैसे पहुचे :- 🌊 अगर आप फ्लाइट से यात्रा करके पांडुपोल हनुमान मंदिर जाने का प्लान बना रहे है तो बता दे की पांडुपोल हनुमान मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा जयपुर हवाई अड्डा है, जो पांडुपोल हनुमान मंदिर से लगभग 110 किलोमीटर दूर है। आप जयपुर तक किसी भी प्रमुख शहर से उड़ान भरकर पहुच सकते है, और फिर वहा से पांडुपोल हनुमान मंदिर पहुंचने के लिए बस या एक टैक्सी किराए पर ले सकते है। सड़क मार्ग से पांडुपोल हनुमान मंदिर अलवर कैसे पहुँचे :- 🌊 राज्य के विभिन्न शहरों से अलवर के लिए नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं। चाहे दिन हो या रात इस रूट पर नियमित बसे उपलब्ध रहती हैं। जयपुर, जोधपुर आदि स्थानों से आप अलवर के लिए टैक्सी ,कैब किराए पर ले कर या अपनी कार से यात्रा करके पांडुपोल हनुमान मंदिर अलवर पहुच सकते हैं। ट्रेन से पांडुपोल हनुमान मंदिर अलवर कैसे पहुँचे :- 🌊 पांडुपोल हनुमान मंदिर का सबसे निकटम रेलवे स्टेशन अलवर जंक्शन है जो शहर का प्रमुख रेलवे स्टेशन है जहां के लिए भारत और राज्य के कई प्रमुख शहरों से नियमित ट्रेन संचालित हैं। आप ट्रेन से यात्रा करके अलवर पहुच सकते है और वहा से बस से या टैक्सी किराये पर ले कर पांडुपोल हनुमान मंदिर पहुच सकते हैं। ©N S Yadav GoldMine #snowfall इस मंदिर मे भगवान हनुमान की एक विशाल मूर्ति वैराग्य स्थिति में स्थापित है, पढ़िए इसका इतिहास !! 🐚🐚 {Bolo Ji Radhey Radhey} पांडुपो
PARBHASH KMUAR
अभिषेकात्मक अनुष्ठान, सदा शिव की आराधना एवं स्तुति में विशेष महत्व रखता है। लेकिन क्या आपको पता है, शिवलिंग का जलाभिषेक क्यों किया जाता है? ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव को जल बहुत प्रिय है। यही कारण है, कि मंदिरों में शिवलिंग के ऊपर एक बर्तन लटका दिया जाता है, जिससे पानी टपकता रहता है। लेकिन इसके पीछे का कारण क्या है। इस प्रश्न के उत्तर के लिए लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें- शास्त्रों के अनुसार,शिवलिंग में मौजूद ऊर्जा को शीतलता देने के लिए जलाभिषेक किया जाता है, क्योंकि ऐसी मान्यता है की शिवलिंग पर जल चढ़ाने से वहां मौजूद नकारात्मक ऊर्जा नष्ट हो जाती है, लेकिन यहां किस शीतलता और ऊर्जा की बात हो रही है? बताते हैं, लेकिन उससे पहले एक पौराणिक कथा का ज़िक्र करते हैं। जब भगवान शिव ने विषपान किया था, तो उनका शरीर और मस्तिष्क गर्म हो गया था, तब देवताओं ने उनके ऊपर जल अभिषेक कर उन्हें शीतल किया। यहां मस्तिष्क गर्म होने से आज के दौर में अभिप्राय है, हमारी नकारात्मक सोच और नकारात्मक भाव। और यहां जल चढ़ाकर शीतल करने का अर्थ है, नकारात्मक शक्तियों को मन और मस्तिष्क के भीतर से बहाकर बाहर कर दिया जाए और स्वयं को शीतल किया जाए। आपने देखा होगा की जब आपको गुस्सा आता है, तो आपको पानी पीने की सलाह दी जाती है, चाय या कॉफ़ी पीने की सलाह क्यों नहीं दी जाती? क्योंकि पानी पीने से आपका मन और मस्तिष्क शांत हो जाता है। आपको मालूम होगा की मनुष्य के माथे में मध्य में आज्ञाचक्र होता है, जो पिंगला और इंडा नाड़ियों के मिलने का स्थान होता है और वहीं से आपके सोचने और समझने की क्षमता संचालित होती है, आयुर्वेद की चिकित्सा में भी, शिरोधारा मस्तिष्क को शांत करती है और हमारे शरीर में मौजूद 5 तत्व- पृथ्वी , जल, अग्नि, वायु, और आकाश, अंदर के तत्वों को विनियमित करते हैं। लेकिन इन तत्वों को संतुलित करने के लिए मन का शांत और शीतल होना ज़रूरी है। यह तभी संभव है, जब आप ओंकार का ध्यान करते हैं, जिससे आपके शरीर की ऊर्जा और मौजूद तत्व संतुलित हो जाते हैं। यही शांत मन ही तो शिव का स्थान है, और यही सकारात्मक ऊर्जा हमें, हमारे मन और सोच को शांत रखने में सहायक होती है। हम जल तो भौतिक स्तर पर डालते हैं, लेकिन वास्तव में यह जल हम अपने भीतर मौजूद सूक्ष्म स्तर पर डालते हैं। जो हमें एक स्वस्थ और उन्नत भविष्य की ओर ले जाता है। यही कारण है कि,भगवान शिव पर जल चढ़ाया जाता है, जो उनको शीतलता प्रदान करती है और जो हमारे अंतर्मन को भी शीतलता का अनुभव कराती है और उन्हें जागृत करने में हमारी मदद करती है । क्योंकि जीवन में सबसे अहम पल वो होता है जब हम अपनी ताकत को पहचान लेते हैं। तो चलिए, अपने जीवन के दुःख दर्द भोले शंकर के पास छोड़ दें। वो भोले हैं, शक्तियों का स्रोत हैं, सभी के जीवन में खुशियों का संचार करेंगे। श्रावण माह में आप भी भगवान शिव का अभिषेक कर अपने भीतर के शिवमय वातावरण को जागृत करें। ©parbhashrajbcnegmailcomm अभिषेकात्मक अनुष्ठान, सदा शिव की आराधना एवं स्तुति में विशेष महत्व रखता है। लेकिन क्या आपको पता है, शिवलिंग का जलाभिषेक क्यों किया जाता है?