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azad satyam
आज फिर जेहन में उठे सवालों ने घेर लिया ऐसी क्या खता हुई जो मुंह फेर लिया 💌🕊️अनकहे अल्फ़ाज़💖💞 #ek_panchi_diwana_sa ©azad satyam आज फिर जेहन में उठे सवालों ने घेर लिया ऐसी क्या खता हुई जो मुंह फेर लिया 💌🕊️अनकहे अल्फ़ाज़💖💞 #ek_panchi_diwana_sa
आज फिर जेहन में उठे सवालों ने घेर लिया ऐसी क्या खता हुई जो मुंह फेर लिया 💌🕊️अनकहे अल्फ़ाज़💖💞 #ek_panchi_diwana_sa
read moreHemant Meena
कभी जात न पूछो, कभी धर्म न देखो, इंसानियत के लिए बस इंसान को देखो। हाथ थाम लो जो गिरते हुए दिखे, इंसान वही जो दिल से दिल को जोड़े।" ©Hemant Meena कभी जात न पूछो, कभी धर्म न देखो, इंसानियत के लिए बस इंसान को देखो। हाथ थाम लो जो गिरते हुए दिखे, इंसान वही जो दिल से दिल को जोड़े।" Dhyaan m
कभी जात न पूछो, कभी धर्म न देखो, इंसानियत के लिए बस इंसान को देखो। हाथ थाम लो जो गिरते हुए दिखे, इंसान वही जो दिल से दिल को जोड़े।" Dhyaan m
read moreनवनीत ठाकुर
White मुंह पर बनते हो मीठे, पीठ पीछे ज़हर घोल ही देते हो। रिश्तों का ये कैसा फ़रेब, हर बार दिल तोड़ ही देते हो। क्या दोस्ती का बस यही मतलब है? हर ख़ुशी पर तुम सवाल छोड़ ही देते हो। हाले दिल जिक्र करते हैं अपना समझ के, तुम वक्त बेवक्त, गाहे-अगाहे यूं ही मुंह खोल देते हो। सच को नकाब पहनाकर, हर बार झूठ का दरिया बहा देते हो। जो दिखते हो, वो हो नहीं, हर साए में अपनी असलियत छुपा जो लेते हो। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर मुंह पर बनते हो मीठे, पीठ पीछे ज़हर घोल ही देते हो। रिश्तों का ये कैसा फ़रेब, हर बार दिल तोड़ ही देते हो। क्या दोस्ती का बस यह
#नवनीतठाकुर मुंह पर बनते हो मीठे, पीठ पीछे ज़हर घोल ही देते हो। रिश्तों का ये कैसा फ़रेब, हर बार दिल तोड़ ही देते हो। क्या दोस्ती का बस यह
read moreDar.baar
Unsplash वो मुस्करा कर, मुकर जाते हैं सामने से वो आंखे चुरा कर गुजर जाते हैं, सामने से हम बात करना चाहते हैं यकीनन उनसे मुंह फेर कर निकल जाते हैं, सामने से एक वो शख्स ही जो हमे बहुत भाता है यूंतो कही हसीन चेहरे गुजरते हैं सामने से कोई वजह है क्या हमसे आखें चुराने की क्यों नजरे चुराकर गुजर जाते हैं, सामने से ©Parmeshwar gujjar Parm #leafbook वो मुस्करा कर, मुकर जाते हैं सामने से वो आंखे चुरा कर गुजर जाते हैं, सामने से हम बात करना चाहते हैं यकीनन उनसे मुंह फेर कर न
#leafbook वो मुस्करा कर, मुकर जाते हैं सामने से वो आंखे चुरा कर गुजर जाते हैं, सामने से हम बात करना चाहते हैं यकीनन उनसे मुंह फेर कर न
read moreshamawritesBebaak_शमीम अख्तर
Unsplash वल्लाह छोटा मुंह बड़ी बात करना ही नहीं था, तुझे मगरूर से ताल्लुक बढ़ाना ही नहीं था//१ जाना जब निकल रही हो तेज तपिश,तो फिर तुझे तपिश मे जाके कपड़े सुखाना ही नहीं था//२ किसी कमजर्फ से लगा अपने दिल को,फिर ये सिलसिला तुझे आगे बढ़ाना ही नहीं था//३ जब बढ़ चुके,इश्क़ मे,इश्क़ की हद से आगे,तो फिर तुझे सनम को चश्म से गिराना ही नहीं था//४ अब होके तुझपे निसार,थाम चुके तेरा दामन, के"शमा"का तो बातिल से फ़साना ही नहीं था//५ #Shamawritesbebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #lovelife वल्लाह छोटा मुंह बड़ी बात करना ही नहीं था,तुझे मगरूर से ताल्लुक बढ़ाना ही नहीं था//१ जाना जब निकल रही हो तेज तपिश,तो फिर तुझे तपिश
#lovelife वल्लाह छोटा मुंह बड़ी बात करना ही नहीं था,तुझे मगरूर से ताल्लुक बढ़ाना ही नहीं था//१ जाना जब निकल रही हो तेज तपिश,तो फिर तुझे तपिश
read moreनवनीत ठाकुर
जब सच को छुपा लिया खुद से, तो फिर हर झूठ भी खुदा सा लगता है। दिल में जो सवाल था, वो चुप रहा, और सच से मुंह मोड़ना खता सा लगता है। दिल में सवालों का हल न मिला, तो अंदर का सच हमेशा तड़पता है। कभी खुद से रूबरू हो, तो सच्चाई पाओ, वरना हर झूठी खुशी का रंग फीका होता है। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर जब सच को छुपा लिया खुद से, तो फिर हर झूठ भी खुदा सा लगता है। दिल में जो सवाल था, वो चुप रहा, और सच से मुंह मोड़ना खता सा लगता ह
#नवनीतठाकुर जब सच को छुपा लिया खुद से, तो फिर हर झूठ भी खुदा सा लगता है। दिल में जो सवाल था, वो चुप रहा, और सच से मुंह मोड़ना खता सा लगता ह
read moreAdv AK Valmiki
नाग अर्चना संस्कृति हमार। मैं हृदय से शीश नवाऊं।। दो मुंहा से दूरी भली। जाने कौन मुंह दंश मिले।।
read moreIG @kavi_neetesh
White हाथ मिले काम करने को चाहे नारी या नर हो संस्कार दिखे परिधान में सब लगे हैं अपने काम में तालाब एक से न बन पाए दस बनाए, सैकड़ों नहाए कर्म करेंगे, फल पाएंगे जीवन में खुशहाली लाएंगे ©IG @kavi_neetesh #Sad_Status हाथ मिले काम करने को चाहे नारी या नर हो संस्कार दिखे परिधान में सब लगे हैं अपने काम में
#Sad_Status हाथ मिले काम करने को चाहे नारी या नर हो संस्कार दिखे परिधान में सब लगे हैं अपने काम में
read moreनवनीत ठाकुर
White लफ़्ज़ कम हों, पर एहसास गहरा देना, मुलाकात को यादों का चेहरा देना। उसकी हंसी में जन्नत का नूर दिखे, उसे देखकर, हर ग़म को किनारा देना। ©नवनीत ठाकुर #लफ़्ज़ कम हों, पर एहसास गहरा देना, मुलाकात को यादों का चेहरा देना। उसकी हंसी में जन्नत का नूर दिखे, उसे देखकर, हर ग़म को किनारा देना।
#लफ़्ज़ कम हों, पर एहसास गहरा देना, मुलाकात को यादों का चेहरा देना। उसकी हंसी में जन्नत का नूर दिखे, उसे देखकर, हर ग़म को किनारा देना।
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