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Kuldeep Shrivastava
तुम्हारी हथेलियों को ढक सके मेरी हथेलियां प्रेम ने चाहा हमेशा बस इतना सा स्पर्श !! ©Kuldeep Shrivastava #हथेलियां
Manmohan Dheer
मसरूफ़ ही रही हथेलियां मेरी देर तक ठहर न सकी उंगलियां तुम्हारी देर तक तब छुड़ाई भी न गई थी याद है मुझसे जब उलझी थीं बालियां तुम्हारी देर तक वो फ़लसफ़े हैं मेरे ज़रूरी नहीं कि मैं हूँ शक़्ल जिनपे सवालिया तुम्हारी देर तक जानलेवा ये सौदे भटके और बहके हुए हैं बिगड़ी है तबीयत हालिया तुम्हारी देर तक क्या तुम अब भी ग़ालिबन इश्क़ सुनते हो धीर तक आती है तालियां तुम्हारी देर तक हथेलियां
आपका अरविंद
हथेलियां संभाल लेगी नसीब अपने, तेरा हाथ बस, मेरे हाथ में ही रहे...!! हथेलियां
TAHIR CHAUHAN
हथेलियां खाली ही रहती है। जब दोस्त मतलबी हम , बना दो चार लेते है। मिला कर तुम से हाथ। तुम्हारे हाथों की लकीरों को भी। वो अपने हाथों में,उतार लेते हैं। ताहिर।।। #Dosti#हथेलियां
प्रेम और मैं
हथेलियां 'मुसाफ़िर' है जि न की पी ड़ा हो ती है व्य क्त उँ ग लि यों से। त न्हा स फ र में अ क्स र उँ ग लि याँ ढूं ढ ती है स्प र्श अ प ने प न का, औ र था म उ से जु ड़ जा ती है पु नः ह थे लि यों से। हथेलियां मुसाफ़िर है🍃
Pushpa Sharma "कृtt¥"
अच्छा सुन अपना हाथ तो दे ज़रा! हाथ माँगने तो घर आना पड़ेगा ऐसे कैसे दे दूँ मैं अपना हाथ? ओ ड्रामेबाज़ शादी के लिए घर जाना होगा न चला जाऊँगा लेकिन अभी मुझें तेरी हथेली अपनी हथेली से नापनी है, देखूं तो कितनी छोटी है! अच्छा मतलब मेरा मज़ाक उड़ाया जा रहा है? अरे किसमें इतनी हिम्मत आ गई कि कोई तेरा मज़ाक उड़ा सकें। तू तो घमंड है मेरा! मेरा प्यारा बच्चा। हम्म एक बात बताओं इतने सीरियस क्यों हो जाते हो बात -बात में..? क्योंकि तू कभी सीरियस नहीं होती न.... ©Pushpa Sharma "कृtt¥" #sparsh #हथेलियां #सीरियस_नहीं_होती #नोजोटो #नोजोटोहिंदी
MOHIT KUMAR BHATRA
⭐ ||हथेलियां|| *में अब भी उम्मीद की लकीरें थीं*। 🤚🤚🤚 ✍️ writer -Mohit Bhatara #Mohit Bhatara#हथेलियां...✍️✍️✍️
Pushpa Sharma "कृtt¥"
तेरे स्पर्श को ढूंढते हुए मैं, अपनी हथेलियां बड़ी संज़ीदगी से छूती हूँ। ©Pushpa Sharma "कृtt¥" #hands #तेरा_स्पर्श #हथेलियां #संजीदगी_से #नोजोटो #नोजोटोहिंदी
Chetan malviya
हथेलियां..!! कुछ-कुछ बराबर-सी पतली हल्की-फ़ुल्की कहानी-सी हथेलियां.., कुछ सख़्त और सपाट खुरदुरी ज़िन्दगी सी हथेलियां.., दिनभर इधर-उधर घर के कामों में उलझी साधारण दिखने वाली असाधारण-सी हथेलियां.., लंबी-लंबी उंगलियों वाली सुलझी हुई रेखाओं वाली सबको भाने वाली हथेलियां.., नर्म-नर्म छोटी-छोटी तकिये-सी मेरे गाल थपकने वाली प्यारी-सी हथेलियां.., कभी शर्म में लजाती अपने जज़्बात छुपाती हथेलियां.., कभी ग़म में उदास शामों को यूं ही बैठे बैठे आंसू छुपाती हथेलियां.., थोड़ी बड़ी सख़्त आत्मविश्वासी हुजूम से अलग दृढ़निषय वाली हथेलियां.., वो छोटी-छोटी ज़रा-ज़रा सी बात तालियां बजाती बचपन-सी हथेलियां.., दुनिया से बेपरवाह यूं ही शाम को बेवजह लिपट के घूमती हथेलियां..!! हथेलियां..!! कुछ-कुछ बराबर-सी पतली हल्की-फ़ुल्की कहानी-सी हथेलियां.., कुछ सख़्त और सपाट खुरदुरी ज़िन्दगी सी हथेलियां.., दिनभर इधर-उधर घर के