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voice of tales
गम खुशियां एक ही सिक्के के दो पहलू जैसे है खुशियां अगर दिन के उजाले जैसी दिखती है तो वही.... गम के साए भी किसी रात के अंधेरे से कम नहीं लगते क्या आपने कभी सोचा है अगर........ केवल, हो सिर्फ खुशियों का ही राज़, तो क्या आप पता लगा पाओगे कभी, क्या है इस ज़िन्दगी में ख़ास जैसे हर दिन के बाद अंधेरा जरूरी है हमें जीवित रखने के लिए ठीक वैसे ही खुशी के साथ थोड़ा गम भी जरूरी है, ज़िन्दगी को जानने के लिए आप केवल और केवल मीठा खाकर नहीं जीत सकते, ज़िन्दगी की दौड़ को जैसे आपके स्वास्थ और जीवन के तालमेल में नमक भी जरूरी है इसलिए...... इंसानों में बस इंसानियत और सद्भावना बनी रही इसलिए खुशी के साथ गम भी जरूरी है। ©voice of tales खुशी के साथ गम भी जरूरी है। #लव #प्यार #ज़िन्दगी #गम #खुशियां #Quote #Life
Diya
White तेरी आँखों की मदहोशियां मुझे जीने नहीं देती , मैं सरशार हूँ, ले, ले मुझे तू बाहों में, मैं मजबूर हूँ । ©Diya #love_shayari #तेरी #आंखों #की #मदहोशीया#diyakikalamse
#love_shayari #तेरी #आंखों #की #मदहोशीया#Diyakikalamse
read moreParasram Arora
White खाई थीं कसम हमने कि अब उनसे कभी बात नहीं करेंगे शायद इसी सदमे की वजह से जुबान मेरी लड़खड़ाई थी और ये झूठी कसम भी इसी वजह से खाई थी ©Parasram Arora झूठी कसम
झूठी कसम
read moreGhanshyam Ratre
White आपके जुदाई में ऐसा लगता है जिंदगी विराना सा हो गया है। आपके यादों के गम में हमारे रातों की नींद दिन की चैन उड़ गया है।। ©Ghanshyam Ratre जुदाई के गम
जुदाई के गम
read moreहिमांशु Kulshreshtha
Unsplash तेरी यादों की ओढ़ कर चादर तेरे ख्यालों की गलियों में की हैं हम ने आवारागर्दियाँ बस यूँ ही काटी है हमनें दिसंबर की सर्दियाँ!! ©हिमांशु Kulshreshtha तेरी यादों की..
तेरी यादों की..
read moreParasram Arora
Unsplash बड़ी ज़हमते उठा ली. हमने तेरी बंदिगी के. पीछे तेरी हर ख़ुशी मेरी हैँ मेरी हर ख़ुशी के पीछे मै कहा कहा न अब तक भटका तेरी बन्दगी के पीछे ©Parasram Arora तेरी बन्दगी के पीछे
तेरी बन्दगी के पीछे
read moreMohan Sardarshahari
यह दिल और इसमें चाहत के फूल भेजे जो तुमने सुबह करते हुए भूल किया है उन्होंने असर कुछ इस तरह जैसे जख्मों पर लग गई हो दवा माकूल।। ©Mohan Sardarshahari चाहत के फूल
चाहत के फूल
read moreRevashankar Nathani
White बिकती है ना कहीं खुशी ना कहीं गम बिकता है लोग गलत फेमी में है कि शायद कहीं महरम बिकता है इन्सान उम्मीदों से बंधा हुआ एक जिदी परिंदा है वो उम्मीदों से ही धायल है और उम्मीदों पर ही जिंदा है ©Revashankar Nathani न कहीं की खुशी बिकती है ना कही गम
न कहीं की खुशी बिकती है ना कही गम
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