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Vickram
क्यो किसी के लिए सोचकर परेशान रहना तेरा तेरे अलावा इस दुनिया में कोई नहीं है सीख ले नजरंदाज करना तू भी हर किसी को जिसके बारे में तू सोचे कोई इतना खास नहीं है वैसे भी हर कोई यहां सिर्फ दिखावे में लगा है एक वक्त तक ही साथ मिलेंगे एक दूसरे के काम निकल गया तो तुम्हें भी निकाल फेंकेंगे यहां ईश्वर के अलावा किसी को याद भी मतकर वो ही तो है हर वक्त तेरे भले और बुरे में फिर क्यों किसी के बहकावे में करना है सफर ©Vickram कौन है तेरा उसके अलावा,,
Neophyte
जिसने किया है तुम्हारा ये हश्र, कौन था हर किसी को ये जानना है वो शख़्स कौन था कौन भर गया ये ज़ख्म,नफ़्स नफ़्स में तुम्हारे इन ग़ज़लों से मिलता है जिसका अक्स,शख्स कौन था ! ©क्षत्रियंकेश कौन था!
Vickram
सिर्फ याद है हमें की तब क्या हुआ था,, कुछ तो था किसी का दिल टूटा हुआ था। गलती किसी की थी दोषी कोई और था । मेरी कहानी अलग थी कटघरे में कोई और था,, ©Vickram वो कौन था
Parasram Arora
कौन जानता था नाकाम होंगी सभी तदबिरे मेरी लगता नहीं था कभी बदल पायेगी तक़दीर मेरी ताउम्र ख्वाबों मे गुज़ार दीं जिंदगी हमने अपनी जानता नहीं था कोई ख्वाब तक़दीर बन सकेगा मेरी मैंने आँधियों से बचा रखी थीं लौ अपने जीबन की धुंधली होती दिख रही है तस्वीरे मेरे भविष्य की ©Parasram Arora कौन जानता था
Sanu Chauhan Spn
Alone कौन जानता था...?? केजरीवाल की खाँसी एक दिन इस देश की राष्ट्रीय caller tune बन जाएगी...!! और हमें क्या पता था कि ब्रेक-अप की वजह बन जाएगी 😂😂😂😂 S.S Chauhan 9005729520 कौन जानता था...
BantyDurgesh
वक्त मिले तो आ के बैठ मेरे पास पता तो चले बेवफा कोन था... #बेवफा कौन था
Parasram Arora
कौन जानता था नाकाम होंगी सभी तदबीरें मेरी लगता नहीं बदल जायेगी तकदीर मेरी ताउम्र ख्वाबों मे गुज़ार दीं जिन्दगी अपनी शायद ही बन पाये कोईख्वाब हकीकत मेरी आँधियों से लौ बचा रखी है जीवन की धुंधलाती दिखने लगी भविष्य की सभी तस्वीरे मेरी ©Parasram Arora कौन जानता था?
jay raghuwanshi
मैं अपने आप को तुझमें मुकम्मल नहीं पाता ये कौन था तुझमें जो मुझसे पहले यह गया कौन था #CalmingNature
Parasram Arora
गमो का इतना बड़ा ज़खीरा देख खुशियाँ हमसेदूर भागती रहीं हम आंसू बहाते रहे ता उम्र .. पर इस बात को भला कौन देखता था? पागल समझ कर ज़माने ने हमेँ ठुकराया था पर दुनिया क़े इस पागलपन को भला कौन देखने वाला था.? कितना मुश्किल है इस बगैरत दुनिया मे मंजिल अपनी ढूंढ लेना. तभी तो हम भटकते रहे थे जीवन भर पर ये सच भला कौन जानता था.? एक सच को छुपाने क़े लिये हमने संकड़ो झूठ बोले थे फिर भी सच तो एक दिन उजागर हुआ था लेकिन इस. सच को भला कौन देख्ग्ता था? ©Parasram Arora कौन देखता था?