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Pawan Didwaniyaa
डुबी है दुनिया आधी सी वो राह है बर्बादी की रहमत कर मुझ पर मेरे खुदा मुझे मोहब्बत इश्क से बचाने की डुबी है दुनिया आधी सी वो राह है बर्बादी की रहमत कर मुझ पर मेरे खुदा मुझे मोहब्बत इश्क से बचाने की #yqbaba #yqdidi #didwaniyaa #openforc
Shree
हो! अहम् है वहम है या खुदा का रहम, बन बैठा गोधूलि.. सांझों के इंतजार का मर्म है! मगरुर मंद-मंद गुरुर खुशबू बन इतरा रहा, पूर्वैया पगला रही, अंजुरी भर-भर ख़्वाब ढ़लके, पलकें औंघा रहीं। सृष्टि के सृजन में, वृष्टि के वर्णन में, दृष्टि के मनन में, जिधर पौ फटे नारंगी, श्री एक प्राण तुम पे वार रही। **** हो! अहम् है वहम है या खुदा का रहम, बन बैठा गोधूलि.. सांझों के इंतजार का मर्म है! मलकियत सी हमारी
Rabindra Kumar Ram
" उन्हें कुछ भले ही याद ना होगा, उनकी यादें मुझे किस तरह बर्बाद कर रही है, कभी शौंक था जुनून था तेरी चाहतों का, आज याद डुबी में तेरी रुबाई किस तरह बर्बाद कर रही हैं, कभी नशा था तेरे प्यार का, आज फिर वही यादें और रुसवाई तबाह कर रही हैं. " --- रबिन्द्र राम " उन्हें कुछ भले ही याद ना होगा, उनकी यादें मुझे किस तरह बर्बाद कर रही है, कभी शौंक था जुनून था तेरी चाहतों का, आज याद डुबी में तेरी रुबा
Vandana
तेरे शहर की शाम कितनी खूबसूरत होगी,, जब नीला आसमान गुलाबी हो जाता होगा,,,और डूबते हुए सूरज की किरनें तेरे चेहरे को छु कर जाती होगी,,,तु कहीं मुंडेर में बैठी ख्यालों में डुबी रहती होगी,,,और हवा के झोंके से एहसास तुझे मेरा हो जाता होगा,,,, तेरे शहर की शाम कितनी खूबसूरत होगी,, जब नीला आसमान गुलाबी हो जाता होगा,,,और डूबते हुए सूरज की किरनें तेरे चेहरे को छु कर जाती होगी,,,तु कहीं
Mha Aj
कब तक ।। वो बातें,वो राते,वो जज़्बाती ख्यालातें। तन्हा सी रातों में खुद से ही बातें । यादों में डुबी शामो की ख्यालातें। कब तक यूँ ढोऊँगा कंधो पर अपने
Ajay Dudhwal
मैंने किस तरह जिंदगी तबाह की क्या बताऊँ, मोहब्बत शराब एक साथ पी क्या बताऊँ, समंदर भी शांत था बीच मजधार में किनारे पर पहुँचकर कश्ती डुबी क्या बताऊँ, उल्फ़त में खुद को बेहतर समझा था मगर, उसे मुझसे भी बेहतर मिल गया तो क्या बताऊँ, अगर मैं उसे छू लेता तो वो भी यहीं रुकता, पर मैंने उसे पलकों पर रखा तो क्या बताऊँ, ऐसा नहीं कि मुझपर उसने कोई हक नहीं रखा, ये हक उसने औरों पर भी रखा तो क्या बताऊँ।। ©Ajay Dudhwal मैंने किस तरह जिंदगी तबाह की क्या बताऊँ, मोहब्बत शराब एक साथ पी क्या बताऊँ, समंदर भी शांत था बीच मजधार में किनारे पर पहुँचकर कश्ती डुबी क्य
Deepak Katkani
अनुज
मिला नही जो दिल अगर आप मिल सके तो क्या.... (कृपया अनुशीर्षक पढ़ें) ©अनुज मिला नहीं जो दिल अगर जो अब आप मिल सके तो क्या चांद में सब्र जो तुमको मिला नहीं जो अब आफताब मिल सके तो क्या डुबी नहीं तुम नशें में मेरे फिर
Rabindra Kumar Ram
" उन्हें कुछ भले ही याद ना होगा, उनकी यादें मुझे किस तरह बर्बाद कर रही है, कभी शौंक था जुनून था तेरी चाहतों का, आज याद डुबी में तेरी रुबाई किस तरह बर्बाद कर रही हैं, कभी नशा था तेरे प्यार का, आज फिर वही यादें और रुसवाई तबाह कर रही हैं. " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram " उन्हें कुछ भले ही याद ना होगा, उनकी यादें मुझे किस तरह बर्बाद कर रही है, कभी शौंक था जुनून था तेरी चाहतों का, आज याद डुबी में तेरी रुबा